main page

B'day spl: अनुराधा पौडवाल, भक्ति रस में डूबी एक आवाज

Updated 27 October, 2016 11:04:07 AM

बॉलीवुड की मशहूर पाश्र्वगायिका अनुराध पौडवाल ने अपने भक्तिपूर्ण गीतों के जरिए श्रोताओं के ...

मुंबई: बॉलीवुड की मशहूर पाश्र्वगायिका अनुराध पौडवाल ने अपने भक्तिपूर्ण गीतों के जरिए श्रोताओं के दिलों में खास पहचान बनाई है। अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्तूबर 1952 को हुआ। बचपन से ही उनका रूझान संगीत की ओर था और वह पाश्र्वगायिका बनने का सपना देखा करती थी। अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने बॉलीवुड की ओर रूख किया। हालांकि आरंभिक दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। अनुराधा पौडवाल ने वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म 'अभिमान' से अपने कैरियर की शुरूआत की। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में उन्हें मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के निर्देशन में एक संस्कृत के श्लोक गाने का अवसर मिला जिससे अमिताभ बच्चन काफी प्रभावित हुये। वर्ष 1974 में अनुराधा पौडवाल को मराठी फिल्म 'यशोदा' में भी पाश्र्वगायन करने का अवसर मिला। वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म ' कालीचरण ' में उनकी आवाज में 'एक बटा दो ,दो बटा चार' उन दिनों बच्चों में काफी लोकप्रिय हुआ था। इस बीच अनुराधा ने आपबीती ' उधार का सिंदूर' आदमी सड़क का, मैने जीना सीख लिया, जाने मन, और दूरियां जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पाश्र्यगायन किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा। लगभग सात वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1980 में जैकी श्राफ और मीनाक्षी शेषाद्री अभिनीत फिल्म 'हीरो' में लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन में 'तू मेरा जानू है तू मेरा दिलवर है' की सफलता के बाद अनुराध पौडवाल बतौर पाश्र्वगायिका फिल्म इंडस्ट्री में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गई । बता दें कि वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म 'उत्सव' बतौर पाश्र्वगायिका अनुराधा पौडवाल के कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। शशि कपूर के बैनर तले बनी इस फिल्म में अनुराधा पौडवाल को लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन में 'मेरे मन बजा मृदंग' गीत गाने का अवसर मिला जिसके लिये वह सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायिका के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गई। अनुराधा पौडवाल की किस्मत का सितारा वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म ' आशिकी' से चमका। बेहतरीन गीत- संगीत से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ अभिनेता राहुल राय , गीतकार समीर और संगीतकार नदीम, श्रवण और पाश्र्वगायक कुमार शानू को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया बल्कि अनुराधा पौडवाल को भी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। फिल्म के सदाबहार गीत आज भी दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं । उनकी आवाज ने फिल्म को सुपरहिट बनाने में अहम भूमिका निभाई। फिल्म में अनुराधा पौडवाल को 'नजर के सामने जिगर के पार' गीत के लिये सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायिका का फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ। नब्बे के दशक में अनुराधा पौडवाल ने निश्चय किया कि वह केवल टी.सीरीज द्वारा जारी भक्ति भावना से प्रेरित फिल्मों या अलबम के लिये ही पाश्र्वगायन करेंगी। इस क्रम में उन्होंने टी.सीरीज द्वारा जारी कई अलबमों के लिये पाश्र्वगायन किया। अनुराधा पौडवाल फिल्म इंडस्ट्री की पहली पाश्र्वगायिका बनी जिन्हें कैसेट के कवर पर फिल्म अभिनेता या अभिनेत्रियों की तुलना में अधिक प्रमुखता के साथ दिखाया गया। अनुराधा पौडवाल ने अपने तीन दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 350 फिल्मी/ गैर फिल्मी एलबम को अपनी आवाज दी। अनुराधा पौडवाल आज भी अपनी मधुर आवाज से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर रही है।
वीडियो देखने के लिए क्लिक करें
:

birthdayanuradha paudwal

loading...