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सुनील दत्त को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे अमिताभ, सोनिया गांधी और कई सेलेब्स

Updated 25 May, 2016 01:57:01 PM

हिन्दी सिनेमा जगत में सुनील दत्त पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने सही मायने में ‘एंटी हीरो’ की भूमिका निभाई और उसे स्थापित करने का काम किया।

मुंबई: हिन्दी सिनेमा जगत में सुनील दत्त पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने सही मायने में ‘एंटी हीरो’ की भूमिका निभाई और उसे स्थापित करने का काम किया। 6 जून 1929 को जन्में बलराज रघुनाथ दत्त उर्फ सुनील दत्त बचपन से ही अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखते थे। सुनील दत्त ने लंबे संषर्ष के बाद खुद को इंडस्ट्री में स्थापित किया और आज भी लोग उनके काम को सराहते हैं। भले ही सुनील दत्त आज दुनिया में न हो लेकिन लोग उनके अभिय के कायल आज भी हैं।

एक्टर सुनील दत्त को गुजरे 11 साल हो गए हैं। 25 मई 2005 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। जिस समय उनकी मौत हुई वे केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री थी। वे पांच बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। सुनील दत्त के बेटे और अभिनेता संजय दत्त ने कांग्रेस को अपने पिता की मौत का जिम्मेदार ठहराया था। संजय दत्त ने कहा था कि कांग्रेस ने एक सीनियर लीडर होने के नाते उनके पिता की एक नहीं सुनी और संजय निरुपम को पार्टी में ले लिया। जब संजय शिव सेना में थे, तब निरुपम ने सुनील दत्त को अपशब्द कहे, उनपर कई आरोप लगाए। इस वजह से ही उनकी मौत हुई।

सुनील दत्त की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे कई सेलेब्स
सुनील दत्त को अंतिम विदाई देने के लिए अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन, दिलीप कुमार, सायरा बानू, सलमान खान, आमिर खान, अजय देवगन, ऋषि कपूर, करीना और करिश्मा कपूर, ओम पुरी, शाहिद कपूर और विधु विनोद चोपड़ा सहित कई बॉलीवुड सेलेब्स पहुंचे थे। राजनीतिक क्षेत्र से मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी जैसी कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी थी।

कैरियर का शुरुआती दौर रहा बेहद टफ
सुनील को अपने कैरियर के शुरुआती दौर में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिए उन्हें बस डिपो में चेकिंग क्लर्क के रूप में काम किया जहां उन्हें 120 रुपए महीना मिलता था। इस बीच उन्होंने रेडियो सिलोन में भी काम किया जहां वह फिल्मी कलाकारों का साक्षात्कार लिया करते थे। प्रत्येक साक्षात्कार के लिए उन्हें 25 रुपए मिलते थे। सुनील दत्त ने अपने सिने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म ‘रेलवे प्लेटफार्म’ से की।

वर्ष 1955 से 1957 तक वह फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। ‘रेलवे प्लेटफार्म’ फिल्म के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गए। उस दौरान उन्होंने कुंदन, राजधानी, किस्मत का खेल और पायल जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।

100 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
सुनील दत्त ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। इनमें 'साधना', 'सुजाता', 'ये रास्ते हैं प्यार के', 'पड़ोसन', 'वक्त', 'हमराज', 'रेशमा और शेरा' और 'मदर इंडिया'। उन्हें आखिरी बार 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' (2003) में देखा गया था। इस फिल्म में वे अपने बेटे संजय दत्त के पिता के ही रोल में थे।

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