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Exclusive interview: कमजोरी को ताकत बनाने का नाम ‘हिचकी’

Updated 20 March, 2018 03:03:20 PM

रानी मुखर्जी लंबे समय बाद फिल्म ‘हिचकी’ से बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं। बेटी अदिरा को जन्म देने के बाद रानी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया था। अब फैन्स उनकी फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल: रानी मुखर्जी लंबे समय बाद फिल्म ‘हिचकी’ से बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं। बेटी अदिरा को जन्म देने के बाद रानी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया था। अब फैन्स उनकी फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यशराज बैनर तले बनी इस फिल्म में रानी एक ऐसी शिक्षक का किरदार निभा रही हैं, जिसे नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है। 

Bollywood Tadka

शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपनी कमजोरी को किस तरह ताकत बनाकर सफलता की बुलंदियों तक पहुंचता है यह दिखाना इस फिल्म का उद्देश्य है। फिल्म 23 मार्च को रिलीज होने जा रही है। रानी जब अपनी फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली पहुंचीं तो पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :

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ये है फिल्म की कहानी 

फिल्म में मेरे किरदार का नाम नैना माथुर है। इसमें नैना के टीचर बनने का सफर दिखाया गया है, जो मुश्किलों से भरा है। दरअसल, नैना को बात करते समय हकलाने की बीमारी है, जिसे टॉरेट सिंड्रोम कहते हैं । सबको लगता है कि इसके चलते नैना कुछ कर नहीं पाएगी, लेकिन अपनी ही खामी को वह ताकत बनाती है और सबके विरोध करने के बाद भी टीचर बनती है। इसके अलावा फिल्म बहुत बड़ा संदेश देती है कि सभी बच्चों को एक जैसा समझना चाहिए। हर इंसान और हर बच्चा खास होता है। इन्हें स्कूल में समान शिक्षा मिलनी चाहिए। तभी बच्चे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर और टीचर  बन पाएंगे। 

 

ब्रैड कोहेन से मिली मदद 

हिचकी में मेरा किरदार ब्रैड कोहेन के वास्तविक जीवन से प्रेरित है। ब्रैड कोहेन अमेरिका में पॉपुलर मोटिवेशनल स्पीकर और टीचर हैं। मैंने अपने किरदार को सही प्रकार से निभाने के लिए उनसे वीडियो कॉल के जरिए बहुत सारी बातें कीं। मेरे पास उनसे बात करने का एक ही जरिया था क्योंकि वो अमेरिका में हैं और मैं मुंबई में हूं। उनकी जिंदगी में जो इमोशन और उतार-चढ़ाव रहे, मैनें उनके नोट्स बनाए, उन्हें समझा और फिर उन सबको घोलकर नैना माधुर के किरदार में उतारा है। 

 

बिना हिचकी के जिंदगी पूरी नहीं

मेरा मानना है हिचकी के बिना जिंदगी पूरी नहीं होती। जब तक जीवन में हिचकी नहीं है, तब तक इसे जीने का मजा भी नहीं है। हर किसी की जिंदगी में एक हिचकी होती है। मैं खुद बचपन में हकलाती थी, जबकि एक कलाकार के लिए ठीक से बोलना बहुत जरूरी होता है। तब मैंने अपनी इस कमजोरी को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की। फिल्म के जरिए टॉरेट सिन्ड्रोम के बारे में जागरुकता फैलाने की कोशिश की गई है, क्योंकि इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। 

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खुद के लिए जीना भी जरूरी

एक औरत होना गर्व की बात है। हमें इसका महत्व समझना चाहिए। मुझे लगता है खासतौर पर भारतीय महिलाएं तो बहुत होती हैं। हमारे अंदर जो अंदरूनी शक्ति है उसे बनाए रखना चाहिए। खुद को समझना और खुद के लिए जीना भी बहुत जरूरी है। 

 

‘मेरी बेटी भी ये बात समझेगी’

आदिरा के जन्म के बाद जब मैं पहली बार शूटिंग पर निकली तो मुझे बहुत बुरा लगा। मुझे बेटी को घर पर छोडऩे की चिंता थी, क्योंकि यह उसके लिए नई बात थी। लेकिन बेटी को जल्दी ही इसकी आदत हो जाएगी। मुझे पूरा भरोसा है कि आदिरा इसे समझ जाएगी कि उसके माता-पिता दोनों काम करने के लिए घर से बाहर जाते हैं। 

 

सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हूं...

जब रानी से पूछा गया कि उनकी ‘हिचकी’ की सब तारीफ कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा जब आपके करीबी तारीफ करें तो बहुत अच्छा लगता है। स्पेशल फील होता है। वहीं सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने को लेकर रानी कहती हैं कि सोशल मीडिया पर मेरा कोई अकाउंट नहीं है क्योंकि, मैं अपने काम को गंभीरता से लेती हूं। 24&7 सिर्फ अपने प्रोफेशन के बारे में अपडेट या बात नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि मैं अपना काम खत्म करूं और वापस अपने घर जाऊं।

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