बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर की बेटे हर्षवर्धन कपूर की फिल्म ''भावेश जोशी'' आज रिलीज हो गई हैं। डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म ''भावेश जोशी'' की कहानी ऐसे यंगस्टर्स की है, जो देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसमें दिखाया कि यदि कोई भी व्यक्ति चाहे तो अपने स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। ये कहानी है तीन दोस्त सिकंदर खन्ना (हर्षवर्धन कपूर), भावेश जोशी (प्रियांशु पेनयुली) और रजत (आशीष वर्मा) की।
01 Jun, 2018 12:56 PMमुंबई: बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर की बेटे हर्षवर्धन कपूर की फिल्म 'भावेश जोशी' आज रिलीज हो गई हैं। डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म 'भावेश जोशी' की कहानी ऐसे यंगस्टर्स की है, जो देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसमें दिखाया कि यदि कोई भी व्यक्ति चाहे तो अपने स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। ये कहानी है तीन दोस्त सिकंदर खन्ना (हर्षवर्धन कपूर), भावेश जोशी (प्रियांशु पेनयुली) और रजत (आशीष वर्मा) की। तीनों यंगस्टर चाहते हैं कि राजनेताओं की वजह से जो भ्रष्टाचार और गदंगी फैली है, उससे लोगों को मुक्ति दिलाएं। भ्रष्टाचार खत्म करने का तीनों का तरीका एकदम साधारण है। तरीका है - भी गलत हो रहा है उसे दुनिया के सामने लाना। तीनों कई दिनों तक बिगड़ी व्यवस्था बेनकाब करने और सुधारने की कोशिश करते हैं। लेकिन बाद में सिकंदर और रजत को लगता है कि वे ऐसा करने में सफल नहीं हो रहे हैं तो वे अपने मिशन को बीच में ही छोड़ देते हैं। लेकिन भावेश अपने मिशन को नहीं छोड़ता और चाहता है कि उसके दोनों दोस्त दोबारा उसके साथ मिशन में जुड़ जाएं। भावेश, लोकल पॉलिटिशियन (निशिकांत कामत) जो पानी माफिया है, को एक्सपोज करने में जुट जाता है। क्या वे पानी माफिया के खिलाफ अपनी लड़ाई में जीत हासिल करते हैं, क्या वे अपने मिशन में सफल हो पाते हैं, ये जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।
डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी ने फिल्म में कुछ रियल इश्यू उठाए हैं। फिल्म की कहानी मोटवानी, अनुराग कश्यप और अभय कोर्ने ने मिलकर लिखी है। फिल्म में उन्होंने जो सुपरहीरो दिखाए हैं, वो साधारण लोग ही हैं। इनके पास अलग से कोई पावर नहीं होती है, लेकिन फिर भी ये इंसाफ के लिए लड़ते हैं। पहले हाफ में फिल्म असलियत के करीब लगती है लेकिन जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है वो निराश करती है। फिल्म आम आदमी की कहानी है, लेकिन आम आदमी से कनेक्ट नहीं कर पाती है। फिल्म में विलेन के रूप में निशिकांत कामत हैं, लेकिन काफी कमजोर दिख रहे हैं। डायलॉग्स काफी लंबे हैं, जो बोर करते हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स भी कमजोर है। हर्षवर्धन कपूर की एक्टिंग अच्छी है। उन्होंने अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है। उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'मिर्जिया' की तरह निराश नहीं किया है। प्रियांशु पेनयुली का किरदार भी दमदार है। उन्होंने फिल्म में एक सच्चे देशभक्त का रोल प्ले किया है। एक्ट्रेस श्रेया सबरवाल के लिए फिल्म में ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं था। पेनयुली की परफॉर्मेंस के अलावा बाइक स्क्वेंस भी बेहतरीन दिखाया गया है। अमित त्रिवेदी का म्यूजिक अच्छा है। गाना च्यवनप्राश.. फिल्म रिलीज से पहले ही पॉपुलर हो गया था।