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कमर्शियल सिनेमा से बदली जा सकती है लोगों की सोच: अक्षय कुमार

Updated 30 May, 2018 12:43:11 PM

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाने से लोगों की सोच में वैसा बदलाव नहीं लाया जा सकता, समाज में जितनी सकारात्मकता व्यावसायिक सिनेमा ला सकता है। यहां सोमवार को ''नीने माहवारी जागरूकता सम्मेलन'' में शामिल होने आए अक्षय ने कहा, "डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से फायदा नहीं होता, क्योंकि दर्शक नायक-नायिका को प्यार करते देखना चाहते हैं, परिवार से लड़ते देखना चाहते हैं, खलनायकों से लड़ते देखना चाहते हैं। व्यावसायिक सिनेमा ऐसा प्रभाव जमा सकता है क्योंकि दर्शक कलाकारों से जुड़े

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाने से लोगों की सोच में वैसा बदलाव नहीं लाया जा सकता, समाज में जितनी सकारात्मकता व्यावसायिक सिनेमा ला सकता है। यहां सोमवार को 'नीने माहवारी जागरूकता सम्मेलन' में शामिल होने आए अक्षय ने कहा, "डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से फायदा नहीं होता, क्योंकि दर्शक नायक-नायिका को प्यार करते देखना चाहते हैं, परिवार से लड़ते देखना चाहते हैं, खलनायकों से लड़ते देखना चाहते हैं। व्यावसायिक सिनेमा ऐसा प्रभाव जमा सकता है क्योंकि दर्शक कलाकारों से जुड़े होते हैं।"

 

नीने आंदोलन एक महत्वाकांक्षी पंचवर्षीय योजना है जिसका उद्देश्य मासिक धर्म स्वच्छता की जरूरत और इससे जुड़ी वर्जनाओं को खत्म करना है। उद्घाटन सम्मेलन में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाते हुए इसकी आधिकारिक शुरुआत की गई। 'पैडमैन' में अपनी भूमिका के लिए दर्शकों और समीक्षकों से प्रशंसा पाने वाले अक्षय कुमार इसे सहयोग देंगे। उन्होंने कहा, "ऐसी फिल्में लोगों की सोच बदलेंगी।" उन्होंने कहा, "'टॉयलेट : एक प्रेम कथा' के लिए मुझे लोगों की प्रतिक्रिया मिली। उनके अनुसार मेरी फिल्म ने वास्तव में लोगों की सोच बदल दी है।"

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