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श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को सुरक्षित रखने वाला लेप, जिसका वर्णन मिलता है भारत की पौराणिक ग्रंथों में

Updated 30 March, 2018 11:35:36 AM

बॉलीवुड एक्ट्रैस श्रीदेवी के निधन के 70 घंटे के बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद उनका शव मुंबई लाया गया। उनके शव को भारत लाने के लिए पहले दुबई में एम्बामिंग की लंबी प्रक्रिया चली, ताकि शव को अंतिम संस्कार तक सलामत रखा जाए। बताया जा रहा है कि श्रीदेवी के अंतिम संस्कार से पहले उनको खास प्रकार का कैमिकल लगाया गया था, लेकिन आज हम आपको लेप लगाने की यानि एम्बाममेंट या एम्बामिंग प्रक्रिया के बारे में बताएंगे। वैसे तो यह एक‍ तरह की केमिकल कोटिंग होती है जो शव को सड़ने या बदबू मारने से कुछ दिनों तक रोकता

मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रैस श्रीदेवी के निधन के 70 घंटे के बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद उनका शव मुंबई लाया गया। उनके शव को भारत लाने के लिए पहले दुबई में एम्बामिंग की लंबी प्रक्रिया चली, ताकि शव को अंतिम संस्कार तक सलामत रखा जाए। बताया जा रहा है कि श्रीदेवी के अंतिम संस्कार से पहले उनको खास प्रकार का कैमिकल लगाया गया था, लेकिन आज हम आपको लेप लगाने की यानि एम्बाममेंट या एम्बामिंग प्रक्रिया के बारे में बताएंगे। वैसे तो यह एक‍ तरह की केमिकल कोटिंग होती है जो शव को सड़ने या बदबू मारने से कुछ दिनों तक रोकता हैं। आइए जानते हैं इस बारे में।

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कितने दिन तक सुरक्षित रहता है शव

एम्बामिंग से शव को अच्छी हालत में रखने के लिए शव पर किस रसायन का कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है, ये जरुरी होता हैं। आम तौर पर जो तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं, उनकी मदद से शव को तीन दिन से लेकर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

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बिना एम्‍बामिंग के क्‍या

मुत्‍यु के बाद शव से अलग-अलग तरह की गैसें निकलती हैं, बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। शव से मीथेन और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड जैसी गैस निकलती हैं जो ना सिर्फ़ विषैली हैं और बदबू भी इन्हीं की वजह से आती है। इसके अलावा जो बैक्टीरिया निकलते हैं, वो दूसरे लोगों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। अगर जब कभी शव को ट्रांसपोर्ट किया जाता है तो बहुत जरुरी होता है कि शव को पहले मेडिकल निगरानी में एम्बामिंग की जाएं।

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दो तरीकों से होता है शव लेपन विधि

शव के लेपन के दो तरीके प्रचलित हैं। एक आर्टिरियल और दूसरा कैविटी। आर्टिरियल प्रक्रिया के तहत शव से खून को निकालकर कुछ विशेष तरल पदार्थ भरा जाता है। वहीं, कैविटी प्रक्रिया के तहत पेट और सीने के हिस्से को साफ करके उसमें तरल डाला जाता है। शव का लेपन करने से पहले उसे पहले कीटाणुनाशक तरल से धोया जाता है। इसके बाद, शरीर पर मसाज किया जाता है ताकि मृत्यु के बाद शव में आने वाले अकड़न को खत्म किया जा सके।

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एम्बामिंग मेकअप 

एम्बामिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को कॉस्मेटिक आधार पर तैयार किया जाता है ताकि लोग उसके अंतिम दर्शन कर सकें। इसमें एक बार फिर शव को नहलाया जाता है, कपड़े पहनाए जाते हैं, बाल ठीक किए जाते हैं और मेकअप भी किया जाता है।

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मिस्‍त्र है बहुत बड़ा उदाहरण 

शव का लेपन मृत्यु के बाद शरीर को सड़ने से बचाने के लिए किया जाता है। इसके कई तरीके हैं, जिनका इंसानी इतिहास में हजारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है। मिस्‍त्र की पिरामिड में पाई जाने वाली मम्‍मी (सदियों से ताबूत में गड़े हुए मुर्दे )को शव लेपन विधि या एम्बामिंग के द्वारा केमिकल कोटिंग करके सुरक्षित रखा जाता था ताकि ये शव सालो साल सड़े नहीं और इंफेक्‍शन न फैलाएं। इसलिए हजारों सालों पहले ताबूत में दफन किए गए शव आज भी सुरक्षित मिलते हैं।

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रामायण में मिलता है उल्‍लेख 

रामायण में भी एम्बामिंग या शव लेपन विधि के बारे में उल्‍लेख मिलता है कि जब राम, सीता और लक्ष्‍मण के साथ अयोध्‍या छोड़ वनवास के लिए निकल जाते हैं तो राजा दशरथ की वियोग में मुत्‍यु हो जाती हैं। उस समय नगर में कोई भी राजा उपस्थित नहीं होता हैं। ऐसे में ऋषि विशिष्‍ट राजकुमार भरत के लौटकर आने और अंतिम संस्‍कार की विधि पूरी करने के तक कड़ाही के तेल से दशरथ के शव पर लेप करके शव को सुरक्षित रखने का फैसला लेते हें।


 

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