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'पद्मावत' विवाद: प्रसून जोशी के खिलाफ अवमानना का नोटिस, 3 हफ्ते में मांगा जवाब

Updated 17 January, 2018 12:25:48 AM

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बालीवुड फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ दाखिल प्रत्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) पर फैसला ना लेने पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस नोटिस का जवाब तीन हफ्ते में दाखिल करने को कहा है। जस्टिस महेंद्र दयाल की सिंगल बेंच ने कामता प्रसाद सिंघल नाम के व्यक्ति की ओर से दायर एक अवमानना याचिका ...

मुंबईः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बालीवुड फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ दाखिल प्रत्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) पर फैसला ना लेने पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस नोटिस का जवाब तीन हफ्ते में दाखिल करने को कहा है। जस्टिस महेंद्र दयाल की सिंगल बेंच ने कामता प्रसाद सिंघल नाम के व्यक्ति की ओर से दायर एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया है। 

 

लंबे समय से विवादों की वजह से रिलीज से रुकी हुई हिंदी फिल्म पदमावत (पहले पदमावती) के खिलाफ दायर याचिका में दिए निर्देशों के अनुसार उचित निर्णय नही लेने पर सेंसर बोर्ड चेयरमैन प्रसून जोशी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अवमानना मामले में नोटिस भेजा है। 

 

उन्हें तीन हफ्ते में जवाब देना होगा, जिसमें वे अपना पक्ष रखेंगे। याचिका में कहा गया था कि संजय लीला भंसाली की यह फिल्म सती प्रथा को महिमामंडित करती है, ऐसा करना प्रतिबंधित है। 

 

इस मामले में पूर्व में कामता प्रसाद सिंहल ने याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना था कि रानी पदमिनी की कहानी सती प्रथा को बढ़ावा देती है। मध्यकाल की यह कहानी मलिक मोहम्मद जायसी की लिखे ग्रंथ पदमावत पर आधारित है, जिसके अंत में रानी पदमिनी सती होती हैं। 

 

सती प्रथा पर भारत में कानूनन रोक है। प्रथा के किसी भी तरह के महिमामंडन को भी ‘सती प्रथा निवारण अधिनियम’ बनाकर रोक लगाई जा चुकी है, इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।

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