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Film Review: 'फीवर'

Updated 05 August, 2016 06:12:19 PM

डारैक्टर राजेश झावेरी ने 'ढूंढते रह जाओगे' और 'कुछ तो है' जैसी ...

मुंबई: डारैक्टर राजेश झावेरी ने 'ढूंढते रह जाओगे' और 'कुछ तो है' जैसी फिल्मों की कहानी को लिखा था और इस बार उन्होंने 'फीवर' फिल्म को डायरैक्ट किया है।

कहानी- फिल्म की कहानी एक कॉन्ट्रैक्ट किलर अर्मिन सलेम की है, जिसकी एक एक्सीडेंट की वजह से यादाश्त चली जाती है, जिसके बाद उसे सिर्फ और सिर्फ अपना नाम और उस लड़की काव्या चौधरी के बारे में याद रहता है जो उसकी पहचान वापिस दिलाने का प्रयास करती रहती है। अर्मिन का दिमाग कुछ और सोचता है और कदम दूसरी ओर जाने के लिए बढ़ते हैं। अब काव्या को अर्मिन से प्यार हो जाता है। लेकिन कहानी में कुछ ऐसे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं जिसकी वजह से सबकुछ अलग होने लगता है. अब क्या अर्मिन की यादाश्त आने के बाद, काव्या उसे अपना बना पाएगी? इसका पता आपनो फिल्म देखकर ही चलेगा।

स्क्रिप्ट- फिल्म की सिलसिलेवार घटनाएं आपको आकर्षित करती हैं। लेकिन फिल्म की स्पीड काफी धीमी और कहानी कमजोर लगती है और कहीं-कहीं बोरियत भी महसूस होती है, जिसे और भी बेहतर किया जा सकता था हालांकि की शूटिंग लोकेशंस कमाल के हैं जो विजुअल ट्रीट हैं। सेकेंड हाफ निराश करता है।

संगीत- फिल्म का संगीत अच्छा है और आपको बांधे रखने में सक्षम है।

क्यों देखें-अगर राजीव खंडेलवाल के बड़े फैन हैं तो एक बार देख सकते हैं।

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