आपके सपने और मंजिल दोनों अलग हो जाए तो कामयाबी तो मिल सकती है लेकिन खुशियां नहीं। आज रिलीज हुई फिल्म ‘जुबान’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है ।
04 Mar, 2016 04:28 PMनई दिल्ली: आपके सपने और मंजिल दोनों अलग हो जाए तो कामयाबी तो मिल सकती है लेकिन खुशियां नहीं। आज रिलीज हुई फिल्म ‘जुबान’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है । फिल्म का निर्देशन मोजेज सिंह ने किया जोकि बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म है तो वहीं ‘मसान’ में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले विक्की कौशल इस फिल्म में मुय भूमिका में है। फिल्म में सारा-जेन डियाज, मनीष चौधरी, मेघना मलिक और राघव चानना भी अहम किरदार में है। रिलीज से पहले अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में इस फिल्म ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं दक्षिण कोरिया में हुए बहुप्रतिष्ठित बुसान इंटरनेशनल फिल्मफेस्टिवल में इसे ओपङ्क्षनग फिल्म होने का समान भी मिला चुका है। कहानी :
जुबान कहानी हैं एक हकलाने वाले लड़के दिलशेर (विक्की कैशल) की जोकि अपने पिता के साथ पंजाब के गुरदासपुर के गुरुद्वारे में सबद और कीर्तन करता है। उसके पिता की सुनने की क्षमता खत्म हो जाती और वह आत्महत्या कर लेते है जिसके बाद दिलशेर भी संगीत से अपना नाता तोड़ लेता है। इसबीच दिलशेर गुरुदासपुर से दिल्ली आता है जहां उसकी मुलाकात एक बडे व्यवसायी गुरुचरण सिकंद (मनीष चौधरी) से होती है। सिकंद को दिलशेर में उसकी जवानी दिखती है और वह अपने बेटे सूर्या सिकंद (राघव चानना) से ज्यादा तव्वजों दिलशेर को देने लगता है। दिलशेर की वजह से सिकंद का टकराव उसकी पत्नी (मेघना मलिक) से होता है। इसी बीच दिलशेर की दोस्ती सूर्या की दोस्त अमिरा (सारा-जेन डियाज) से होती है जोकि एक गायक है। उससे मिलने के बाद कुछ ऐसी परिस्थितियां बनती है की दिलशेर का रूख एक बार फिर संगीत की तरफ मुड़ता है। अमिरा दिलशेर ध्यान दिलाती है की वह गाने के समय हकलाना बंद कर देता है जिसके बाद उसका संगीत का पैशन एक बार फिर जाग उठता है। निर्देशन :
मोजेज सिंह ने अपनी पहली फिल्म के लिए एक अलग कहानी चुनी है जिसका निर्देशन भी उन्होंने अलग तरीके से किया है। एक गांव के लड़के के सपने और हकिकत के कामयाबी की बीच के संघर्ष का उन्होंने पर्दे पर शानदार तरीके से पेश किया है। हालांकि उनके निर्देशन में कुछ खामियां भी है कई जगह ज्यादा नाटकियता पेश करने की कोशिश की है जो सहज नहीं लगती। अभिनय:
‘ मसान’ से अपनी पहचान बनाने के बाद विक्की कौशल ने ‘जुबान’ में अपनी अदाकारी से यह जता दिया है कि बॉलीवुड में उनका सितारा चमकने वाला है। गांव के संघर्ष से शहर की कामयाबी, फिर अपने सपनों को पूरा करने में लगा दिलशेर के जुनून वह पर्दे पर निभाने पर पूरी तरह कामयाब रहे। बड़े व्यपारी के किरदार में मनीष चौधरी भी पूरी तरह फिट बैठे है हर फ्रेम में उनकी उपस्थिति दमदार रही है। गायक के तौर पर सारा-जेन डियाज ने भी अच्छा काम किया हालांकि उनके किरदार को और थोडी तव्वजों मिलना चाहिये था। फिल्म में मेघना मलिक को पहचानने में थोड़ा समय जरूर लगा लेकिन वह भी अपने रोल में जमीं है। सूर्या के किरदार के साथ राघव चानना ने भी न्याय किया है। गीत संगीत:
फिल्म में संगीत दिया है आशुतोष पाठक ने। नीमत सलामत की आवज मेें ‘यूजिक इज माय आर्ट’ और ‘मंदार देशपांडे और राहेल वर्गीज’ की आवाज में ‘सानु ओ मिलेया’ जैसे गाना सुनने में अच्छा लगता है। गाने का पिक्चराइजेशन भी अच्छा और नए तरीके का है। फिल्म का बैकग्राउंड संगीत भी अच्छा है। देखे या नहीं देखे:
बॉलीवुड मसाला फिल्मों से कुछ हट कर कुछ देखना चाहते हो या फिर नये तरीका का सिनेमा तो फिर ‘जुबान’ आपके लिये है। फिल्म में कोई बड़ा स्टार तो नहीं लेेकिन अच्छे अभिनय के लिए ‘जुबान’ को एक बार तो देखना बनता है। रेटिंग: ‘शानदार अभिनय, निर्देशन और पठकथा के लिए ‘जुबान’ को हमारी तरफ से 5 में से 3.5 स्टार।