चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मुद्दे पर बनी रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मर्दानी’ को दर्शकों ने काफी पसंद किया था। फिल्म में रानी के निडर और साहसी किरदार को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि अब वह इसी फ्रैंचाइजी की अगली फिल्म ‘मर्दानी 2’ लेकर आ रही हैं...
12 Dec, 2019 09:10 AMनई दिल्ली। चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मुद्दे पर बनी रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मर्दानी’ को दर्शकों ने काफी पसंद किया था। फिल्म में रानी के निडर और साहसी किरदार को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि अब वह इसी फ्रैंचाइजी की अगली फिल्म ‘मर्दानी 2’ लेकर आ रही हैं, जिसमें रानी एक बार फिर अपना दमखम दिखाती नजर आएंगी।
यशराज फिल्म्स द्वारा निर्मित आदित्य चोपड़ा द्वारा प्रोड्यूस और गोपी पुथरान के निर्देशन में बनी यह फिल्म 13 दिसम्बर को रिलीज हो रही है। इस फिल्म में रानी एक निर्भीक और प्रतिबद्ध पुलिस अधीक्षक शिवानी शिवाजी राय की भूमिका में हैं। फिल्म प्रोमोशन के लिए दिल्ली पहुंची रानी मुखर्जी ने पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स/जगबाणी /हिंद समाचार से खास मुलाकात की। पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश:
महिलाओं की आंख खोलने वाली फिल्म: रानी मुखर्जी
‘मर्दानी 2’ किशोरों द्वारा अंजाम दिए जा रहे तेजी से बढ़ते हिंसक अपराधों के प्रति दर्शकों की आंख खोलने वाली फिल्म है। फिल्म का संदेश एकदम साफ है कि सभी औरतें सतर्क रहें। अपराधी की कोई शक्ल या उम्र नहीं होती। खुद को बचाने के लिए हमें सावधान रहने की बहुत आवश्यकता है। यह तो मुमकिन नहीं कि पुलिस हर व्यक्ति के साथ रह सके इसलिए कुछ जिम्मेदारियां हमें खुद से ही उठानी होंगी। हम लड़कियों में कथित तौर पर छठी ज्ञानेन्द्रियां पाई जाती हैं जो हमें किसी के बारे में पहले से ही आगाह करती हैं कि इस व्यक्ति से थोड़ा बचकर रहो। यह फिल्म खुद को सुरक्षित रखने के तरीकों पर भी बात करती है। आज सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। खासतौर पर यह जानकारी होना कि किस तरह खुद को बचाया जाए।
अश्लील वीडियो का बुरा असर
देश में किशोर अपराधियों की संख्या में वृद्धि चिंताजनक है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से हाल ही में हुई बातचीत के दौरान पता चला कि बच्चों को आसानी से जो अश्लील वीडियो देखने मिल जाते हैं, शायद यह उन्हीं का असर है लेकिन मेरा मानना है कि कोई बच्चा अपराधी पैदा नहीं होता। वह सबकुछ अपने घर से ही सीखता है। मेरे विचार से अभिभावकों को बच्चों के सामने सभी से अच्छे ढंग से पेश आना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वह अपने बच्चों को घर की और बाहर की औरतों की इज्जत करना सिखाएं। स्कूल की शिक्षा अलग है लेकिन घर की शिक्षा का महत्व ज्यादा मायने रखता है।
अधिकारियों को समर्पित मेरा किरदार
फिल्म में मेरा किरदार उन तमाम निडर महिला पुलिस अधिकारियों को समर्पित है, जो अपने काम के लिए अपनी जिंदगी भी दाव पर लगा देती हैं। इस किरदार को निभाने से पहले मैं कई महिला पुलिस अधिकारियों से मिलीं। इन मुलाकातों से मैं काफी प्रेरित और प्रभावित हुई कि ये बहादुर महिलाएं समाज के लिए कितना कुछ कर रही हैं। आज जब आप एक पुलिसवाले की बात करते हैं तो आपके दिमाग में एक महिला पुलिस अधिकारी का चेहरा भी आता है। मुझे लगता है कि यह बड़ा बदलाव है।
किसी से कम नहीं भारतीय महिलाएं
मेरी पहली ही फिल्म ‘राजा की आएगी बारात’ मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग थी। उसमें मैंने एक बलात्कार पीड़िता का किरदार निभाया है। मैंने ‘ब्लैक’ और ‘मेहंदी’ जैसी फिल्में की हैं। मेरा ग्राफ कुछ ऐसा है कि जहां मैंने ‘ब्लैक’ की, वहीं मैंने ‘बंटी और बबली’ की। मैंने ‘वीर-जारा’ की तो वहीं मैंने ‘चलते चलते’ की। मैंने हमेशा संतुलन बनाए रखा है। जो कहानी मुझे आकर्षित करती है। मुझे लगता है कि यह भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है तो वो किरदार निभाना मैं जरूर चाहूंगी। मैंने हमेशा कोशिश की है कि भारतीय महिलाओं की दुनिया में जो छवि है, वह इस तरह की बने कि लोग कहें, भारतीय महिलाएं किसी से कम नहीं हैं।