एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म ''लक्ष्मी'' 9 नवंबर 2020 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शरद केलकर ने किन्नर का किरदार निभाया था। जिसे खूब सहारा गया था। अब फिल्म 21 मार्च को स्टार गोल्ड पर प्रसारित हो रही है। जिसे लेकर शरद काफी खुश है। हाल ही में शरद ने फिल्म ''लक्ष्मी'' को लेकर मीडिया से बात की। जिसमें उन्होंने किन्नरों को लेकर दुख जाहिर किया।
21 Mar, 2021 04:56 PMमुंबई. एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' 9 नवंबर 2020 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शरद केलकर ने किन्नर का किरदार निभाया था। जिसे खूब सहारा गया था। अब फिल्म 21 मार्च को स्टार गोल्ड पर प्रसारित हो रही है। जिसे लेकर शरद काफी खुश है। हाल ही में शरद ने फिल्म 'लक्ष्मी' को लेकर मीडिया से बात की। जिसमें उन्होंने किन्नरों को लेकर दुख जाहिर किया।
शरद ने कहा- 'अक्षय कुमार ने फिल्म के कुछ सीन्स को पहले ही शूट कर लिया था, इसलिए मेरे लिए यह एक तैयार संदर्भ बिंदु था... अक्षय और मेरा किरदार एक ही है, इसलिए दोनों का मैच होना जरूरी था, अक्षय के पहले से शूट सीन देखने के बाद मेरे लिए किरदार को मैच करना आसान हो गया था। दूसरा हमारे डायरेक्ट कंचना बना चुके थे। जिसके कारण उन्हें इस करैक्टर की थोड़ी बहुत जानकारी थी। मैं ट्रांसजेंडरों के साथ बात करता था और उनकी कहानियां सुनता था। उनकी कहानियां सुनना बहुत दर्दनाक था, कि कैसे परिवार और समाज ने उनके साथ गलत व्यवहार किया है।'
शरद ने आगे कहा- 'हमारे समाज में पहले और आज भी बच्चों को किन्नरों या ट्रांसजेंडर से अलग रखा जाता है, उन से डराया जाता है। बच्चों को किन्नरों के करीब जाने से मना किया जाता है। हर बच्चे के अंदर किन्नरों को लेकर डर या नफरत जैसी भावना पैदा हो जाती है। यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है, न तो हमारे समाज के लिए और न ही तैयार हो रही पीढ़ी के लिए। ये सब चीजें करके हम मानवता को भी खत्म कर रहे हैं। किन्नरों के मामले में उनको नहीं, पूरे समाज को बदलने की बहुत जरूरत है।'
इसके अलावा शरद ने कहा- 'कहा जाता है कि किन्नर बहुत लाउड हैं। हमने LGBTQ समुदाय को अपनी सोसाइटी में जगह नहीं दी है। अब जब हम किसी व्यक्ति को सोसाइटी से अलग-थलग करेंगे, तो उसका भी रिएक्शन होगा और वह खुद के अस्तित्व को बचाने के आवाज उठाएंगे। पता नहीं समाज क्यों नहीं समझ रहा है। क्यों किन्नरों को अलग रखा जाता है, क्यों उन्हें ह्यूमन की तरह ट्रीट नहीं किया जाता है, हमारे हिसाब से समाज में सिर्फ 2 जेंडर हैं, पुरुष और स्त्री, तीसरा कोई जेंडर है ही नहीं। अब तो सरकार ने भी किन्नरों के लिए कानून बना दिए हैं लेकिन फिर भी कोई सुधार नही नजर आ रहा।'