सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और फैंस के साथ कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं। बिग बी सोशल मीडिया पर अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की लिखी कविताएं भी शेयर करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर कविता पढ़ते हुए का वीडियो शेयर किया, जिसमें पहले उन्होंने इसका क्रेडिट अपने पिता हरिवंशराय बच्चन को दे दिया। लेकिन इसके बाद उन्होंने इसे डिलीट करते हुए कविता का रचयिता प्रसून जोशी को बताया, जिस पर प्रसून जोशी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमिताभ बच्चन ने जो कविता शेयर की,
14 May, 2021 06:05 PMबॉलीवुड तड़का टीम. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और फैंस के साथ कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं। बिग बी सोशल मीडिया पर अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की लिखी कविताएं भी शेयर करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर कविता पढ़ते हुए का वीडियो शेयर किया, जिसमें पहले उन्होंने इसका क्रेडिट अपने पिता हरिवंशराय बच्चन को दे दिया। लेकिन इसके बाद उन्होंने इसे डिलीट करते हुए कविता का रचयिता प्रसून जोशी को बताया, जिस पर प्रसून जोशी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
अमिताभ बच्चन ने जो कविता शेयर की, उसमें वह पढ़ रहे हैं- रुके न तू। धनुष उठा प्रहार कर। तू सबसे पहला वार कर। अग्नि सी धधक-धधक, हिरण सी सजग-सजग। सिंह सी दहाड़ कर। शंख सी पुकार कर। रुके न तू, थके न तू। झुके न तू, थमे न तू। सदा चले, थके न तू। रुके न तू, झुके न तू।' वीडियो के कैप्शन में लिखा है, 'रुके न तू रचयिता: प्रसून जोशी।'
कविता पढ़ने के बाद अमिताभ कहते हैं, 'ये शब्द याद दिलाते हैं कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। वे तब लिखे गए थे, जब देश अलग तरह के संकट और चुनौतियों का सामना कर रहा था। लेकिन वे आज भी गूंजते हैं। मुझे लगता है कि ये शब्द कोविड योद्धाओं हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स के जज्बे को सेलिब्रेट करते हैं।'
एक्टर आगे कहते हैं, 'जो हम सभी के लिए इतना कुछ दांव पर लगा रहे हैं। यह उन्हें सपोर्ट करने और कोविड के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देने का वक्त है। यह हमारी लड़ाई है। हम जो भी कर सकें, इसमें योगदान दे सकते हैं। भारत के लिए हम सब को एकजुट होना चाहिए।'
इस कविता को अमिताभ द्वारा पढ़े जाने पर गीतकार प्रसून जोशी ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, 'नतमस्तक हूं, यदि इस कठिन समय में मेरी कविता "रुके न तू” सम्बल बनी, जिसे आदरणीय अमित जी ने सदा की तरह हृदय से पढ़ा है, इंटरनेट में कुछ स्थानों पर इस कविता को श्रद्धेय हरिवंश राय बच्चन की रचना समझा गया है, उनके शिल्प का मुझ में परिलक्षित होना सौभाग्य है। मां सरस्वती को नमन।'