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Exclussive Interview : बाटला हाउस बताएगी दिल्ली को दहला देने वाले एनकाउंटर का सच बताएगी

Updated 10 August, 2019 05:49:17 AM

19 सितंबर 2008 को हुए बहुचर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर ने दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश को हिला दिया था। इस एनकाउंटर में जहां दो आतंकी ढेर हुए वहीं मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा भी इसमें शहीद हो गए...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 19 सितंबर 2008 को हुए बहुचर्चित बाटला हाउस (Batla House)  एनकाउंटर ने दिल्ली (Delhi) के साथ-साथ पूरे देश को हिला दिया था। इस एनकाउंटर (Encounter)  में जहां दो आतंकी ढेर हुए वहीं मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा भी इसमें शहीद हो गए। इस एनकाउंटर ने बहुत सी कॉन्ट्रोवर्सी और बहुत से सवालों को जन्म दिया जिनके जवाब घटना के 11 साल बाद भी नहीं दिए जा सके हैं। इन्हीं सवालों के जवाब देने और एनकाउंटर का सच लोगों के सामने रखने आ रही है फिल्म 'बाटला हाउस'।

 

सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म में जॉन अब्राहम (John Abraham) और मृणाल ठाकुर (Mrunal) लीड रोल निभा रहे हैं। इनके साथ भोजपुरी एक्टर रवि किशन (Ravi Kishan) भी फिल्म में अहम रोल निभाते नजर आएंगे। 15 अगस्त (15 August) को रिलीज हो रही इस फिल्म को डायरेक्ट किया है 'कल हो ना हो' जैसी रोमांटिक (Romantic) और 'डी डे' जैसी क्राइम थ्रिलर (crime thriller movie) फिल्म दे चुके निर्देशक निखिल आडवाणी ने। फिल्म के प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे जॉन, मृणाल, निखिल, भूषण और मधु ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश...

 

फिर एक डिबेट को जन्म देगी ये फिल्म : जॉन अब्राहम
मुझे नहीं पता कि हमने फिल्म के साथ इंसाफ किया है या नहीं लेकिन मेरे हिसाब से ये फिल्म डिबेट को जन्म जरूर देगी जो कि किसी भी फिल्म को देखने के बाद बहुत जरूरी होती है। जिस तरह खराब फिल्म बनाने पर लोग आपको ट्रोल (Troll) करते हैं उसी तरह अच्छी फिल्म बनाने पर डिबेट होनी चाहिए। अगर इस फिल्म के बाद डिबेट शुरू होती है तो वो हमें इस तरह की फिल्म बनाने के लिए और भी प्रोत्साहित करेगी। ये कहना गलत नहीं होगा कि ये एक कमर्शियल फिल्म (Commercial Film) है जिसमें सच्चाई, गाने, ड्रामा, इमोशन और रोमांस सबकुछ देखने को मिलेगा।

 

किरदार के लिए की संजीव कुमार से मुलाकात
मेरे पास जब ये फिल्म आई तो मैंने इसे एक एक्टर के तौर पर देखा। इसकी स्क्रिप्ट मुझे काफी इंटरेस्टिंग लगी। भले ही ये 11 साल पहले की बात है लेकिन आज भी ये एक सामयिक विषय है। अपने किरदार के लिए मैंने संजीव कुमार यादव (Sanjiv Kumar Yadav) से मुलाकात की। मैंने उनसे बात करके उनके और उनकी पत्नी के बीच के व्यक्तिगत संबंध को समझा, उनके साथ वक्त बिताया। इस दौरान मैंने उनके बारे में बहुत कुछ जाना और उनसे बहुत कुछ सीखा।

 

सामने लाना चाहता हूं बाटला हाउस एनकाउंटर का सच : निखिल आडवाणी
बाटला हाउस (Batla House) जैसी फिल्म मैं इसलिए बनाना चाहता हूं कि बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान काफी जजमेंट किए गए, इस ऑपरेशन (Operation) की वजह पर शक किया गया। हम भूल गए कि ये सच्चाई लोगों से जुड़ी है, एक पुलिस ऑफिसर जिन्हें  प्रेसिडेंट गैलेंट्री अवॉर्ड के 6 मेडल मिल चुके थे, एक पल में वो हत्यारा बन गया, वो स्टूडेंट एक पल में आतंकी बन गए। बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद जो आवाजें उठीं फिर चाहे वो प्रोटेस्टर्स की हो, स्टूडेंट की हो, पुलिस की हो, पॉलिटिशियन की हो या फिर मीडिया की हो उसमें जो सच्चाई थी वो गुम हो गई। किसी ने कभी पूछा भी नहीं कि आखिर सच्चाई थी क्या, बहुत ऐसे सवाल थे जिसका सच जानने की किसी ने कोशिश नहीं की। हम उसी सच को सामने लाना चाहते हैं।

 

फैक्ट्स के साथ-साथ दिखेगा फिक्शन
बाटला हाउस एनकाउंटर (Batla House Encounter) को लेकर इतने सारे पक्ष थे, इतने सारे वर्जन थे जिसके कारण हमने फैसला लिया कि इस फिल्म में हम तीनों वर्जन दिखाएंगे। एक वर्जन होगा पुलिस का, दूसरा वर्जन होगा स्टूडेंट का और तीसरा वर्जन होगा कोर्ट का। फैक्ट्स दिखाने के साथ-साथ हमें थोड़ा फिक्शन भी कहानी में डालना पड़ा जो कि बहुत जरूरी था। पब्लिक डोमेन में मौजूद डॉक्ट्यूमेंट्स, आर्टिकल्स, ओपिनियन, ब्लॉग्स, इंटरव्यू हमने पढ़े लेकिन इन सबमें एक चीज गायब थी और वो थी लड़कों की लाइफ। इसके अलावा हमारे पास सबकुछ था जिसकी वजह से हमने फैसला लिया कि इसे हम फिक्शन स्टोरी के जरिए दिखाएंगे। लेकिन फिक्शन स्टोरी दिखाने के बावजूद हमने कोशिश की है कि हम सच ही पेश करें।

 

'साकी साकी' सॉन्ग फिल्म का सबसे मुश्किल पार्ट
इस फिल्म में 'साकी साकी' (Osaki saki Song) गाना डालने का आइडिया मेरा था। इस फिल्म के डायरेक्टर के तौर पर मेरे लिए जो सबसे मुश्किल काम था वो था इस गाने को फिल्म में सही जगह और सही तरीके से फिट करना ताकि लोगों को ये ना लगे कि जबरदस्ती इस गाने को फिल्म में डाला गया है। इसके लिए हमने नोरा को फिल्म का हिस्सा बनाया, उनके साथ डायलॉग और एक्टिंग वर्कशॉप किए और मुझे खुशी है कि फिल्म का जो बेस्ट सीन है वो जॉन और नोरा पर फिल्माया गया है।

 

स्क्रीन स्पेस नहीं बल्कि किरदार रखता है मायने : मृणाल ठाकुर
अगर मुझे सिर्फ एक हाउस वाइफ का किरदार निभाना होता तो मैं ये फिल्म कभी नहीं करती लेकिन इस फिल्म में मैं सिर्फ एक पत्नी का किरदार नहीं बल्कि पत्रकार का भी किरदार निभा रही हूं। इस फिल्म की कहानी और इसमें मेरा रोल मेरे लिए मायने रखता है न कि स्क्रीन स्पेस। फिल्म में मेरे किरदार की अपनी एक अलग पहचान है। जब मैंने इस फिल्म के बारे में सुना तो मुझे ये कहानी काफी इंटरेस्टिंग लगी। ये स्टोरी मेरे लिए काफी चैलेंजिंग थी। ये मेरे लिए खुशी की बात थी कि मैं एक अच्छे कॉन्टेंट वाली अच्छी फिल्म का हिस्सा बनी।

 

फिल्मों से नहीं गायब होना चाहिए एंटरटेंनमेंट : भूषण कुमार
किसी भी फिल्म से जुड़ने से पहले एक प्रोड्यूसर के तौर पर मैं ध्यान में रखता हूं कि फिल्म लोगों के लिए एंटरटेनिंग होनी चाहिए भले ही आप बायोपिक बना रहे हों, किसी सच्ची घटना पर फिल्म बना रहे हों या फिर कॉमेडी फिल्म पर बना रहे हों। अब तक लोगों को सिर्फ कमर्शियल फिल्में पसंद आती थीं लेकिन अब उसके साथ-साथ कंटेट बेस्ड और रियल सिनेमा भी काफी सराहा जा रहा है बशर्ते आपको उसे एंटरटेनिंग तरीके से पेश करना होगा। लेकिन यहां एंटरटेनिंग कहने का मेरा मतलब गाना या रोमांस नहीं हैं बल्कि थ्रिलिंग तरीके से पेश करना है।

 

मिशन मंगल की रिलीज डेट से नहीं कोई परेशानी : मधु भोजवानी
ये पहली बार नहीं है जब हमारी फिल्म की रिलीज डेट किसी दूसरी बड़ी फिल्म से क्लैश कर रही है। ऐसा एक और बार हो चुका है और हमारी टीम को अब आदत हो चुकी है क्लैश करने की। मेरा माना है कि जब तक आप अपनी फिल्म के साथ ईमानदार हैं और आपको पता है कि आपने ऑडियंस के सामने एक अच्छी फिल्म रखी है तो ऑडियंस आपके पास आती है।

: Chandan

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