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रोहित वेमुला-JNU पर बनी डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार की अनुमति नहीं

Updated 11 June, 2017 04:42:30 PM

केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय अब तीन डॉक्युमेंट्री फिल्मों को सेंसर से छूट नहीं देने के चलते सुर्खियों में...

मुंबईः केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय अब तीन डॉक्युमेंट्री फिल्मों को सेंसर से छूट नहीं देने के चलते सुर्खियों में है। केरल में अंतरराष्ट्रीय डॉक्युमेंट्री एंड शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होना है। इस फिल्म फेस्टिवल में कई डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग भी रखी गई है। मगर इस फेस्टिवल में तीन फिल्मों की स्क्रीनिंग नहीं हो सकेगी क्योंकि उन्हें सेंसर से राहत नहीं मिली है। यह तीनों की फिल्में देश की बड़ी कॉन्ट्रोवर्सीज को लेकर बनाई गईं हैं। फिल्में रोहित वेमुला की आत्महत्या(द अनबियरेबल बींग ऑफ लाइटनेस), कश्मीर में तनाव(इन द शेड्स को फॉलन चिनार) और जेएनयू विवाद(मार्च मार्च मार्च) को लेकर बनाई गई हैं। लेकिन इन तीनों फिल्मों को सेंसर से छूट नहीं मिली है। 

 

फिल्म फेस्टिवल का आयोजन आगामी 16 जून को होगा। इसका आयोजन केरल स्टेट चलचित्र एकेडमी करा रही है जो राज्य सरकार के सांस्कृतिक विभाग के अंदर आता है। बता दें फिल्म फेस्टिवल पर दिखाई जाने वाली फिल्मों को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट की जरूरत तो नहीं होती लेकिन उन्हें सेंसर से छूट का एक सर्टिफिकेट लेना होता है जो मंत्रालय द्वारा मिलता है। इस सर्टिफिकेट के बिना किसी भी तरह की फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं की जा साकती।

वहीं मामले को लेकर एकेडमी चेयरमैन कमल ने बताया कि उन्होंने लगभग 200 फिल्मों को मंत्रालय से सेंसर छूट का सर्टिफिकेट जारी करने के लिए भेजा है। उन्होंने कहा- “सभी फिल्मों को सेंसर से छूट मिली है सिवाए इन तीन फिल्मों के। मंत्रालय ने इन्हें छूट नहीं देने के लिए कोई वजह भी नहीं बताई है। मुझे लगता है कि इन तीन फिल्मों को दिखाने की इजाजत इसलिए नहीं मिली है क्योंकि यह देश में असहिष्षुणता के मुद्दे से डील करती हैं।” 

 

कमल ने आगे बताया- “हमने मामले को लेकर दोबारा अपील की है और आगे जवाब मिलना बाकी है।” वहीं कमल ने इस फैसले की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि यह मामला बताता है कि देश में एक सांस्कृतिक इमरजेंसी लगी हुई है। उन्होंने कहा- “हम एक अघोषित इमरजेंसी की स्थिति से जूझ रहे हैं। अब एक ऐसा समय आ गया है जब राजनेता तय करते हैं कि हमें क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए और क्या बातें करनी चाहिए।”

उपाध्यक्ष और कला निदेशक बीना पॉल ने कहा कि पांच दिवसीय इस महोत्सव में कम से कम 262 लघु फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की संभावना है। केरल प्रदेश चलचित्र अकादमी डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्म आंदोलन को बढ़ावा देने के अपने प्रयास के तौर पर इस महोत्सव का आयोजन कर रही है।
 

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