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कभी टॉफियां बेचकर गुजारा करते थे कॉमेडी किंग महमूद

Updated 23 July, 2018 12:56:58 AM

अपने अलग अंदाज, हाव-भाव और आवाज से लगभग पांच दशक तक दर्शकों को हंसाने और गुदगुदाने वाले महमूद ने फिल्म इंडस्ट्री में "किंग आॅफ कामेडी" का दर्जा हासिल...

मुंबईः अपने अलग अंदाज, हाव-भाव और आवाज से लगभग पांच दशक तक दर्शकों को हंसाने और गुदगुदाने वाले महमूद ने फिल्म इंडस्ट्री में "किंग आॅफ कामेडी" का दर्जा हासिल किया। लेकिन क्या आपको पता है कि उन्हें इसके लिए काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा था और यहां तक सुनना पड़ा था कि ”वो न तो अभिनय कर सकते है”, ”ना ही कभी अभिनेता बन सकते है।” घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिये महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे।

फिल्म छोटी बहन में बतौर पारश्रमिक महमूद को 6000 रूपये मिले। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता महमूद फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। फिल्म में उनके अभिनय को देख एक अखबार टाईम्स ऑफ इंडिया ने उनकी जमकर सराहना की। वर्ष 1961 में महमूद को एम.वी.प्रसाद की फिल्म "ससुराल" में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म की सफलता के बाद बतौर हास्य अभिनेता महमूद फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए।

फिल्म ससुराल में उनकी जोड़ी अभिनेत्री शुभा खोटे के साथ काफी पसंद की गई। इसी वर्ष महमूद ने अपनी पहली फिल्म "छोटे नवाब" का निर्माण किया। इसके साथ ही इस फिल्म के जरिए महमूद ने आर.डी. बर्मन उर्फ पंचम दा को बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में पहली बार पेश किया।  अपने चरित्र में आई एकरूपता से बचने के लिए महमूद ने अपने आप को विभिन्न प्रकार की भूमिका मे पेश किया इसी क्रम में वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म "पड़ोसन" का नाम सबसे पहले आता है। फिल्म पड़ोसन मे महमूद ने नकारात्मक भूमिका निभाई और दर्शकों की वाहवाही लूटने मे सफल रहे ।

फिल्म में महमूद पर फिल्माया एक गाना "एक चतुर नार करके श्रृंगार" काफी लोकप्रिय हुआ। वर्ष 1970 मे प्रदर्शित फिल्म "हमजोली" में महमूद के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले। इस फिल्म मे महमूद ने तिहरी भूमिका निभाई और दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। महमूद ने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया। महमूद ने कई फिल्मों मे अपने पाश्र्वगायन से भी श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया। महमूद को अपने सिने कैरियर मे तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने पांच दशक से लंबे सिने कैरियर में करीब 300 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाकर महमूद 23 जुलाई 2004 को इस दुनिया से हमेशा के लिए रूखसत हो गए ।

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