बॅालीवुड के ग्रीक गॉड कहे जाने वाले अभिनेता रितिक रोशन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सुपर 30’ शुक्रवार को रिलीज हो रही है। यह फिल्म बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार की जिंदगी की असली कहानी पर...
12 Jul, 2019 12:20 PMनई दिल्ली। बॉलीवुड के ग्रीक गॉड कहे जाने वाले अभिनेता रितिक रोशन (Hrithik Roshan) की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सुपर 30’ (Super 30) शुक्रवार को रिलीज हो रही है। यह फिल्म बिहार के गणितज्ञ (Mathematician) आनंद कुमार (Anand Kumar) की जिंदगी की असली कहानी (Real story) पर आधारित है। आनंद कुमार आईआईटी (IIT) में दाखिला के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने में वंचित वर्ग के छात्रों को मदद करने के लिए जाने जाते हैं।
फिल्म के लिए ऋतिक रोशन के लुक को पूरी तरह ट्रांसफॉर्म किया गया है ताकि वह आज से कई साल पुराने आनंद कुमार की तरह दिख सकें। विकास बहल (Vikas Bahl) के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मराठी फिल्मों की एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur) भी लीड रोल में हैं। इसके अलावा नंदीश सिंह, अमित साध और पंकज त्रिपाठी भी हैं। इस फिल्म को लेकररितिक रोशन और मृणाल ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से ढेर सारी बातें की। पढि़ए खास अंश-
मेहनत पर आधारित है फिल्म: ऋतिक रोशन
यह सच है किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए मेहनत सबसे जरूरी है। लेकिन इस फिल्म में मेहनत से पहले जो महत्वपूर्ण चीज दिखाई गई है वह है होप या कुछ करने की चाह। फिल्म में आनंद सर की जो जर्नी है वो होप पर ही आधारित है। कैसे एक व्यक्ति बिना किसी साधन के स्ट्रगल करते हुए आगे बढ़ता है। दरअसल, ये आनंद सर के लाइफ की स्टोरी बहुत ही प्रेरणादायक है जो हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये फिल्म युवाओं को उनके सपने पूरा करने के लिए प्रेरणा देगी। उन्हें विश्वास दिलाएगी कि कठिन परिश्रम का फल हमेशा मिलता है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप किस पृष्ठभूमि से आते हैं।
आनंद सर और मेरा दिल सेम है
जब मैंने पहली बार आनंद सर की कहानी सुनी तो मैं इमोशनली जुड़ गया और तभी इस फिल्म के लिए हां बोल दिया। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि आनंद सर और मेरा दिल एक साथ मैच हो रहा था। किसी भी किरदार में डूबने के लिए आपको उसे जीना पड़ता है और इस तरह मैं इस किरदार की गहराई में उतर पाया।
बच्चे फिल्म के असली हीरो
रितिक बताते हैं कि इस फिल्म में जो बच्चे हैं, वही फिल्म के असली हीरो हैं। इन बच्चों में से कई बच्चे तो आनंद सर के असली स्टूडेंट्स हैं। उन 30 बच्चों में सेंस ऑफ अबैंडन था। दरअसल वे सब क्लीन स्लेट थे। उनको किसी ने न तो एकिंटग सिखाई थी, न डायलॉग डिलीवरी की फॉर्मल ट्रेनिंग मिली। वे सब के सब नैचुरल थे। उनके साथ बिताए वक्तने मुझे किरदार में ढलने में काफी मदद की।
खूबसूरत लगी बिहारी भाषा
रितिक ने बताया कि फिल्म के दौरान बिहारी भाषा सीखना बहुत मजेदार रहा। बिहार में कई अलग-अलग भाषाएं व बोलियां हैं। मैंने एक टोन पकड़ा। मुझे उसे सीखने में दो महीने लगे। बिहार की भाषा बहुत ही प्यारी और शालीनता से भरी है। इसका लहजा बहुत ही खूबसूरत है।
मेहनत से ज्यादा जरूरी है एक्सप्लोर करना
रितिक का मानना है कि मेहनत तक पहुंचने के लिए एक्सप्लोर (जांच पड़ताल) करना बेहद जरूरी है। हम किस काम के लिए मेहनत कर रहे हैं पहले उसको एक्सप्लोर करेंगे तभी सही दिशा में जा पाएंगे। आपका जो पैशन है पहले उसे ढूंढना चाहिए। हम अपने बच्चों को शुरू से सिखाते हैं कि मेहनत करना सबसे जरूरी है, लेकिन हमें उन्हें यह भी जरूर बताना चाहिए कि जिसके लिए वे मेहनत कर रहे हैं उसमें सफल होने के लिए साथ-साथ एक्सप्लोर करना भी उतना ही जरूरी है।
अच्छे काम के इंतजार में थी: मृणाल ठाकुर
फिल्म ‘लव सोनिया’ के बाद से मैं घर पर थी। कई ऑडिशन भी दिए, लेकिन मैं कुछ अच्छे काम के इंतजार में थी। जो मुझे ‘सुपर 30’ में मिल गया। इसमें मेरा किरदार पटना की एक चंट सी लड़की का है, जिसका नाम सुप्रिया है और वो अपने पापा से आनंद कुमार को शादी के लिए मिलवाने ले जाती है।
खोने से ज्यादा सीखने में थी दिलचस्पी
जब मैनें इस फिल्म की कहानी सुनी तो मुझे लगा कि ये बेशक आनंद सर पर केंद्रित है। कई लोगों ने मुझसे कहा भी कि तुम्हारा किरदार इसमें कहीं खो तो नहीं जाएगा। सच कहूं तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरी दिलचस्पी तो खोने से ज्यादा सीखने में थी और सच में यही हुआ। मुझे इस फिल्म से बहुत कुछ सीखने को मिला।
हैरान थी मैं रितिक का काम देखकर
मृणाल कहती हैं कि शुरुआत में मेरा और ऋतिक का पहला सीन था। उस वक्त सेट पर मैं ऋतिक का काम देखती थी, तो हैरान रह जाती थी। उनमें कुछ तो है, जो वो छोटी- छोटी चीजे करते हैं बहुत अलग है। उस वक्त मैं सोचती थी अगर मैं एक दर्शक के तौर पर ये फिल्म देखती तो मैं ये सब मिस कर देती।
परिवार को मेरे फैसले पर पूरा भरोसा
मृणाल ने बताया कि ‘लव सोनिया’ में मेरे काम को मिले अच्छे रिस्पांस के बाद से मेरे परिवार को मुझ पर पूरा भरोसा हो गया है कि मैं जो भी फिल्म साइन करूंगी और जो फैसला लूंगी वो सोच समझ कर ही करूंगी।