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Exclusive Interview: विवेक रंजन अग्निहोत्री ने बयां किया 'द कश्मीर फाइल्स' के पीछे का दर्द

Updated 12 March, 2022 02:37:06 PM

निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ''द कश्मीर फाइल्स'' 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की ऐतिहासिक घटना पर बनी है। यह फिल्म 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।

ज्योत्सना रावत। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की ऐतिहासिक घटना पर बनी है। यह फिल्म 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म के मेकर्स का दावा है कि इसकी कहानी कश्मीरी पंडितों के दर्द को लोगों के सामने लाएगी। इसमें अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी जैसे कलाकारों ने काम किया है।  द ताशकंद फाइल्स के बाद विवेक फिर से रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म लेकर आए हैं। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री और एक्ट्रेस पल्लवी जोशी व दर्शन कुमार ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश :

विवेक रंजन

लोग आज भी हैं दहशत में
फिल्म के निर्देशक विवेक कहते हैं आप खुद सोचिए कि आजतक इस मुद्दे पर फिल्म नहीं बनी किसी के सामने वो सच्चाई नहीं आ पाई। जिन लोगों के साथ ये घटना हुई थी वो अभी भी खौंफ में हैं वो आज भी उन बंदूकों से डरते हैं और दहशत में रहते हैं। 1990 में हुआ कश्मीरी नरसंहार भारतीय राजनीति का एक अहम और संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए इसे पर्दे पर उतारना कोई आसान काम नहीं था। जरा सोचिए, उन कश्मीरी पंडितों के बारे में जो रातो-रात अपने ही घर से निकाल दिए गए और रिफ्यूजी टैंट में रहने को मजबूर हुए। कितनों ने अपनी जान भी गंवा दी। रोंगटे खड़े कर देती है उनकी ये दर्दनाक घटना। 

सोने पर सुहागा है अनुपम का कश्मीरी पंडित होना
कास्टिंग के वक्त कोई भी डायरेक्टर ये नहीं सोचता कि एक्टर की जात और मजहब क्या है। अनुपम खेर उम्दा एक्टर हैं 2 बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। हॉलीवुड में भी काम करते हैं। हां उनका कश्मीरी पंडित होना इस फिल्म के लिए सोने पर सुहागा जरूर है।

फिल्म में 100 प्रतिशत सच्चाई
फिल्म का एक-एक डायलॉग, शॉट और कैरेक्टर सब कुछ बिल्कुल सच है। मेरे पास सब रिकोर्ड है, मैंने पूरे वर्ल्ड में ट्रैवल करते हुए कश्मीरी पंडितों से बात की है और मैं इसे सौ-सौ रेफरेंस के साथ साबित कर सकता हूं। 

पल्लवी जोशी

एक नहीं कई किस्से हैं
मैं किसी एक किस्से के बारे में नहीं बता सकती क्योंकि मैं बहुत से ऐसे परिवारों से मिली थी, जिन्होंने किसी अपने को खोया था चाहे वो उनके बच्चे हों या उनके पिता को टारगेट बना के मारा गया हो या उनकी मां और बहन के साथ बालात्कार हुआ हो। वो दो ढ़ाई महिने का सफर बहुत दर्दनाक था। आप खुद ही सोचिए जिनके साथ ये सब हुआ हो वो कैसे अपना 32 साल पुराना दर्द बयां करेंगे, उनके आंसू नहीं रुक रहे थे और ये सब उनके सामने बैठकर सुनना कितना मुश्किल था।

ये भारत का सबसे दर्दनाक रिसर्च था 
रिसर्च बेस्ड फिल्में बहुत डारेक्टर्स बनाते हैं, हमारी तो खासियत है कि हम अपनी फिल्में बनाते ही काफी रिसर्च के बाद हैं, लेकिन मैं ये पूरे दावे के साथ कह सकती हूं कि इस फिल्म के लिए जितनी रिसर्च हुई है उतनी भारत में आजतक किसी ने नहीं की होगी। यह बहुत दर्दनाक और भयानक रिसर्च था।

आपको लगेगा आप इस फिल्म का हिस्सा है
यकीन मानिए यह फिल्म पॉपकोर्न और समोसा खाते हुए देखने वाली नहीं है, इसका मकसद भी यह नहीं था। हमारे सिस्टम ने जिस सच को हमसे 32 सालों से छुपाया वो इसमें दिखाया गया है। इसमें कोई गाना, डांस या रिलीफ देने वाला जैसा कुछ नहीं है। आप इसे फील कर सकें यही हम चाहते हैं। जब आप ये फिल्म देखेंगे तो आपके लगेगा कि आप इसका हिस्सा हैं। 

दर्शन कुमार

मैं स्टूडेंट के किरदार में हूं
मैं इसमें एक कॉलेज स्टूडेंट का किरदार निभा रहा हूं, जो कश्मीरी पंडित है। लेकिन उसे सिर्फ इतना पता है कि कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ दिया था और बाकि उसने जो सुना वो अपने दादा जी से सुना है। इसके अलावा वो भयानक घटना कि कब कैसे क्या हुआ था वो सब उसे नहीं पता।

30 मिनट का वीडियो देख हिल गया था मैं
मुझे जब पल्लवी मैम और सर ने अपने ऑफिस बुलाया तब उन्होंने बताया कि वो लगभग 700 लोगों से मिल चुकें हैं, और उन्होंने सभी के वीडियो भी रिकोर्ड किए है। तब मैम ने मुझे 30 मिनट का एक वीडियो दिखाया जिसे देखकर मैं निशब्द हो गया। मुझे समझ ही नहीं आया कि ये सच्चाई है। उसके बाद सर ने मुझे स्क्रिप्ट दी जिसे पढ़कर मैं हैरान रह गया क्योंकि वो बिल्कुल वैसी थी जो मैनें वीडियो में देखा था सर ने उसे डॉयलॉग्स के रूप में बड़ी खूबसूरती से पिरोया था।  

दहरादून मसूरी और कश्मीर में शूट हुई
इस किरदार ने निकलने में दो-तीन हफ्ते लगे। ये इतना दर्दभरा किरदार था कि इसे मुझे बहुत गहराई से इमेजिन करना पड़ता था कि वो कैसे कपड़े पहनता होगा कैसे रहता होगा, कैसे सोचता होगा। बस मैं इसको जीने की कोशिश करता था। रोज वीडियोज देखता था इससे बहुत मदद मिलती थी। 

Content Writer: Deepender Thakur

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