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लंदन में इलाज करा रहे इरफान खान ने चलाया 'कारवां', बोले- 'दर्द है लेकिन...'

Updated 19 June, 2018 11:37:24 AM

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान इन दिनों लंदन में अपनी बीमारी न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर का इलाज करवा रहे हैं। इरफान जल्द ही फिल्म ''कारवां'' में नजर आएंगे। इरफान ने हाल ही में TOI से अपने मन के भाव साझा किए। फिल्म ''कारवां'' का प्रमोशन करते हुए इरफान ने अपनी बीमारी को लेकर एक पत्र शेयर किया।

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर इरफान खान इन दिनों लंदन में अपनी बीमारी न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर का इलाज करवा रहे हैं। इरफान जल्द ही फिल्म 'कारवां' में नजर आएंगे। इरफान ने हाल ही में TOI से अपने मन के भाव साझा किए। फिल्म 'कारवां' का प्रमोशन करते हुए इरफान ने अपनी बीमारी को लेकर एक पत्र शेयर किया। 

 

Bollywood Tadka


इरफान लिखते है- कुछ महीने पहले अचानक मुझे पता चला था कि मैं न्यूरोएंडोक्राइन  कैंसर से ग्रस्त हूं। मैंने पहली बार यह शब्द सुना था। खोजने पर मैंने पाया कि इस शब्द पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं। क्योंकि यह एक दुर्लभ शारीरिक अवस्था का नाम है और इस वजह से इसके उपचार की अनिश्चितता ज्यादा है। अभी तक अपने सफ़र में मैं तेज़-मंद गति से चलता चला जा रहा था ... मेरे साथ मेरी योजनाएं, आकांक्षाएं, सपने और मंजिलें थीं। मैं इनमें लीन बढ़ा जा रहा था कि अचानक टीसी ने पीठ पर टैप किया, ’आप का स्टेशन आ रहा है, प्लीज उतर जाएं।’ मेरी समझ में नहीं आया... न, मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है...’ जवाब मिला, ‘अगले किसी भी स्टॉप पर उतरना होगा, आपका गंतव्य आ गया...’ अचानक एहसास हुआ कि आप किसी ढक्कन (कॉर्क) की तरह अनजान सागर में अप्रत्याशित लहरों पर बह रहे हैं। लहरों को क़ाबू करने की गलतफहमी लिए।

 

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इस हेडबैंग, सहम और डर में घबरा कर मैं अपने बेटे से कहता हूं, ’आज की इस हालत में मैं केवल इतना ही चाहता हूं, मैं इस मानसिक स्थिति को हड़बड़ाहट, डर, बदहवासी की हालत में नहीं जीना चाहता। मुझे किसी भी सूरत में मेरे पैर चाहिए, जिन पर खड़ा होकर अपनी हालत को तटस्थ हो कर जी पाऊं। मैं खड़ा होना चाहता हूं।’ कुछ हफ़्तों के बाद मैं एक अस्पताल में भर्ती हो गया। बेइंतहा दर्द हो रहा है। यह तो मालूम था कि दर्द होगा, लेकिन ऐसा दर्द? अब दर्द की तीव्रता समझ में आ रही है। कुछ भी काम नहीं कर रहा है। न कोई सांत्वना और न कोई दिलासा। पूरी कायनात उस दर्द के पल में सिमट आई थी। दर्द खुदा से भी बड़ा और विशाल महसूस हुआ। मैं जिस अस्पताल में भर्ती हूं, उसमें बालकनी भी है। बाहर का नज़ारा दिखता है। कोमा वार्ड ठीक मेरे ऊपर है। सड़क की एक तरफ मेरा अस्पताल है और दूसरी तरफ लॉर्ड्स स्टेडियम है। वहां विवियन रिचर्ड्स का मुस्कुराता पोस्टर है, मेरे बचपन के ख़्वाबों का मक्का। उसे देखने पर पहली नज़र में मुझे कोई एहसास ही नहीं हुआ। मानो वह दुनिया कभी मेरी थी ही नहीं। फिर एक दिन यह एहसास हुआ, जैसे मैं किसी ऐसी चीज का हिस्सा नहीं हूं, जो निश्चित होने का दावा करे। न अस्पताल और न स्टेडियम। मेरे अंदर जो शेष था, वह वास्तव में कायनात की असीम शक्ति और बुद्धि का प्रभाव था। मेरे अस्पताल का वहां होना था। मन ने कहा, केवल अनिश्चितता ही निश्चित है।

 

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इस एहसास ने मुझे समर्पण और भरोसे के लिए तैयार किया। अब चाहे जो भी नतीजा हो, यह चाहे जहां ले जाए, आज से आठ महीनों के बाद, या आज से चार महीनों के बाद, या फिर दो साल... चिंता दरकिनार हुई और फिर विलीन होने लगी और फिर मेरे दिमाग से जीने-मरने का हिसाब निकल गया। इस सफर में सारी दुनिया के लोग... सभी मेरे सेहतमंद होने की दुआ कर रहे हैं, प्रार्थना कर रहे हैं, मैं जिन्हें जानता हूं और जिन्हें नहीं जानता हूं, वे सभी अलग-अलग जगहों पर मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। ये सब दुआएं मिलकर एक हो गई हैं और असर दिखना शुरू हो गया है।

 

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बता दें कुछ महीने पहले इरफान खान ने अपनी बीमारी के बारे में खुलासा किया था, जिसके बारे में जानकार उनके फैंस उदास हो गए थे और उनके जल्द ठीक होने की कामना करने लगे थे। 

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