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'गवाह हूं, गुनाह हुए हैं...राइटर जावेद बेग ने कश्‍मीरी पंडितों से मांगी माफी, बोले- यह कोई प्रोपगेंडा नहीं, बल्‍क‍ि सच्‍चाई है

Updated 17 March, 2022 05:44:03 PM

विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनीं फिल्म ''द कश्मीर फाइल्स'' देश में खूब सुर्खियां बटोर रही है। पर्दे पर कश्‍मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी ने दर्शकों को भीतर तक झकझोर कर रख दिया है। लोग कश्मीरी पंडितों के साथ हुई दास्तां को देख काफी इमोशनल हो रहे है। इसी बीच कश्‍मीरी राइटर जावेद बेग

बॉलीवुड तड़का टीम. विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनीं फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देश में खूब सुर्खियां बटोर रही है। पर्दे पर कश्‍मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी ने दर्शकों को भीतर तक झकझोर कर रख दिया है। लोग कश्मीरी पंडितों के साथ हुई दास्तां को देख काफी इमोशनल हो रहे है। इसी बीच कश्‍मीरी राइटर जावेद बेग का ट्वीट भी सामने आया है। उन्‍होंने हाथ जोड़कर पंडित समुदाय से सिर्फ माफी मांगी है और साथ ही कहा है कि वह दौर बहुत भयानक था और वह गवाह हैं कि गुनाह हुए हैं।

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जावेद बेग ने अपने ट्विटर पर गिरजा टिक्‍कू की झकझोर देने वाली तस्वीर शेयर कर लिखा- 'मैं भी एक कश्मीरी मुसलमान हूं। हमारी बहन गिरजा टिक्कू के जीते जी टुकड़े कर दिए गए। यह कश्मीर के उन मुस्लिम परिवारों ने किया जिनके हाथ में पाकिस्तान ने आजादी के नाम पर हथ‍ियार थमा दिए थे। मैं पंडित बिरादरी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। यह कोई प्रोपगेंडा नहीं, बल्‍क‍ि सच्‍चाई है।'

 

उन्होंने इसको लेकर न्यूज चैनल के साथ अपनी बातचीत का एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने उनको मारा, वे कहाँ के थे? वे बरमूला के नहीं थे, हमारे ही घरों के लोग थे। कश्मीरी पंडित कोई गैर नहीं हैं। ये हमारी कौम है, हमारा खून है, हमारी नस्ल है। यहाँ तो जानवर भी अपनी नस्ल के जानवर को भी नहीं मारते हैं। शेर कभी शेर का शिकार नहीं करता है। कुत्ते कभी कुत्ते को नहीं काटते हैं। कम से कम आज तो हमें गैरत होना चाहिए। जो गलतियां उनके वालिद (पिता) की पीढ़ी ने कीं, उन गलतियों को आज स्‍वीकार करना चाहिए। यह मानना चाहिए कि गुनाह हुए हैं।''

 

जावेद ने कहा, 'इस बात को समझने के लिए किसी फिल्‍म की जरूरत नहीं है। इसके लिए बस जमीर की जरूरत है।'

 

 

एक अन्‍य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'कोई सच बोले या न बोले, सच फिर भी सच ही रहता है। मैं कश्मीरी पंडितों के हत्याकांड का गवाह हूं जो नवरोज के दिन 21 मार्च 1997 में संग्रामपोरा बीरवाह में हुआ था। वह मेरा होमटाउन है। मुझे आज भी दुख होता है और मैं शर्मिंदा हूं।'

लेखक जावेद बेग ने ट्विटर पर लिखा- उनके पूर्वजों ने जो गलतियां की हैं, आज के युवाओ को उस गलती को स्‍वीकार करना चाहिए। कश्मीरी मुसलमानों ने आजादी के नाम पर हाथ में हथ‍ियार लिए। 
 

Content Writer: suman prajapati

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