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MOVIE REVIEW: हर मोड़ पर फंसती नजर आती है ‘लैला मजनू’ की कहानी

Updated 07 September, 2018 12:48:42 PM

डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म ‘लैला मजनू’ आज रिलीज हो रही है। ये फिल्म आपको इश्क, मोहब्बत, प्यार की एक और परिभाषा बताएगी। इस फिल्म से बॉलीवुड में दो नए चेहरे अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी शामिल हुए है। इसे साजिद अली ने डायरेक्ट किया है। वहीं इम्तियाज अली इस फिल्म को प्रेजेंट भी कर रहे हैं।

मुंबई: डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म ‘लैला मजनू’ आज रिलीज हो रही है। ये फिल्म आपको इश्क, मोहब्बत, प्यार की एक और परिभाषा बताएगी। इस फिल्म से बॉलीवुड में दो नए चेहरे अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी शामिल हुए है। इसे साजिद अली ने डायरेक्ट किया है। वहीं इम्तियाज अली इस फिल्म को प्रेजेंट भी कर रहे हैं।

 

फिल्म की कहानी कश्मीर के रहने वाले कैस भट (अविनाश तिवारी) और लैला (तृप्ति डिमरी) की है। कैस के पिता बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं और लैला के पिता से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। कहानी आगे बढ़ती है तो कैस-लैला की मुलाकात होती है। उनके बीच प्यार पनपने लगता है। जो कि पारिवारिक रिश्तों के हिसाब से जायज नहीं हो पाता। लैला-मजनू की कहानी अलग-अलग मोड़ लेती हुई, उसी अंदाज में खत्म होती है जिसका आप अंदाजा लगा सकते हैं। बहरहाल आखिर में क्या होता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

 

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फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी उबड़-खाबड़ कहानी है, जो कि अलग-अलग तरह के मोड़ में फंसती हुई नजर आती है। लैला और मजनू नाम जैसे ही सामने आते हैं आपको प्यार ही प्यार चारों तरफ दिखाई देने लगता है। लेकिन फिल्म देखते वक्त शायद यह प्यार एकतरफा नजर आता है। स्क्रीनप्ले को दुरुस्त किया जा सकता था। इसके साथ ही कहानी का जो पहला हिस्सा है वह काफी डगमगाया सा है। यह फिल्म नहीं किसी धारावाहिक के जैसा था, जिसे बहुत सारे एपिसोड्स में देखा जा सकता है। लेकिन इसे पूरी तरह से फिल्म का फ्लेवर नहीं मिल पाया है। इसके गाने भी औसत से नीचे हैं।हालांकि इरशाद कामिल की लिखावट कमाल की है।


कश्मीर एक ऐसी जगह है जहां पर आप कहीं भी कैमरा रख दीजिए आपको एक अच्छा प्रेम दिखाई देता है। यही कारण है कि फिल्म की लोकेशन बहुत ही उम्दा है। साथ ही जिस तरह से फिल्म का आगाज और इसे अंजाम मिला है वह भी दिलचस्प है। अविनाश तिवारी का काम काफी बढ़िया है। मजनू के किरदार को निभाने के लिए जो परिश्रम किया है वह पर्दे पर दिखाई देता है। इसका फायदा अविनाश को आने वाली फिल्मों में भी मिलेगा। तृप्ति डिमरी ने सहज अभिनय किया है। कश्मीर मूल के रहने वाले अभिनेता मीर सरवर का काम काफी दिलचस्प है। लेकिन सुमित कौल ने बहुत ही जबरदस्त अभिनय किया है। इस फिल्म के आखिरी 30 मिनट बहुत ही बढ़िया हैं। मूवी में इम्तियाज का फ्लेवर नजर आता है। एक तरह से कह सकते हैं कि 90 के दशक का प्यार आपको फिल्म देखने के दौरान नजर आएगा।
 

: Konika

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