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Movie Review: राजपूताना मोहब्बत और शान की गाथा है 'पद्मावत'

Updated 25 January, 2018 11:44:17 AM

संजय लीला भंसाली हमेशा से ही लार्जर दैन लाइफ सिनेमा बनाते रहे हैं, लेकिन पद्मावत उनके जीवन की सबसे बड़ी फिल्म है। इस फिल्म को देखने के बाद जब

स्टार कास्ट: दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह, जिम सरभ, रज़ा मुराद, अनुप्रिया गोयंका
डायरेक्टर: संजय लीला भंसाली
रेटिंग: 3.5

नई दिल्ली/चंदन जायसवाल। संजय लीला भंसाली हमेशा से ही लार्जर दैन लाइफ सिनेमा बनाते रहे हैं, लेकिन पद्मावत उनके जीवन की सबसे बड़ी फिल्म है। इस फिल्म को देखने के बाद जब आप सिनेमाघर से बाहर निकलेंगे तो आपके दिमाग में बस एक ही शख्‍स रहेगा... और वह होगा दानव और राक्षस जैसा दिखने वाला अलाउद्दीन खिलजी। भंसाली की यह फिल्‍म मेवाड़ की ऐसी रानी पद्मावती के बारे में हैं, जिसकी खूबसूरती का दूर-दूर तक नाम था, लेकिन इस फिल्‍म में आपको पद्मावती की खूबसूरती और महारावल रतन सिंह की बहादुरी और राजपूत योद्धाओं का शौर्यगान समेत बहुत कुछ देखने को मिलेगा।

भंसाली ने यूं तो अब तक कई फिल्‍में बनाई हैं, लेकिन 'पद्मावत' को उनके तरकश का सबसे तीखा और दमदार तीर कहना गलत नहीं होगा। रानी 'पद्मावती' के शौर्य की इस कहानी को भंसाली ने काफी खूबसूरती के साथ पेश किया है। इस फिल्म को देखकर राजपूत समाज गौरवान्वित महसूस करेगा।

क्या कहती है कहानी?
फिल्म की शुरुआत होती है जलालुद्दीन खिलजी (रज़ा मुराद) की बैठक से, जहां वह दिल्ली की सल्तनत पर राज़ करने की योजना बना रहा होता है। तभी बैठक में आगमन होता है एक शुतुरमुर्ग साथ लिए जलालुद्दीन के भतीजे अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) का। दुनिया की हर नायाब वस्तु को हासिल करने की चाह रखने वाला अलाउद्दीन अपने चाचा से उनकी बेटी महरूनिसा (अदिति राव हैदरी) का हाथ मांगता है। इधर निकाह होता है.. उधर अलाउद्दीन की दरिंदगी बढ़ती जाती है। कुछ घटनाओं के बाद वह अपने चाचा की हत्या कर सल्तनत का राजा बन जाता है।

Bollywood Tadka

 

स्टोरी में बड़ा ट्विस्ट
इधर, मेवाड़ के राजा महारावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) सिंघल देश जाते हैं। जहां की राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) से उन्हें पहली नजर में प्यार हो जाता है। कुछ दिनों के प्रेम प्रसंग के उपरांत उनकी शादी हो जाती है और महारावल पद्मावती के साथ वापस मेवाड़ आ जाते हैं। मेवाड़ में रतन सिंह के राज पुरोहित राघव चेतन को एक जुर्म में देश निकाला दे दिया जाता है। जिसके बाद अपमान का घूंट पीकर वह अलाउद्दीन खिलजी के पास पहुंच जाते हैं और उसके सामने पद्मावती के अलौकिक सौंदर्य की बखान करता है।

जब ललकार उठी पद्मावती...
हर नायाब चीज़ को मुट्ठी में करने वाला अलाउद्दीन रानी पद्मावती को पाने की चाह में मेवाड़ पर हमला कर देता है। लेकिन जब युद्ध से बात नहीं बनती तो वह महारावल रतन सिंह को बंधक बना दिल्ली ले आता है। वह मेवाड़ के सामने शर्त रखता है कि रानी पद्मावती से एक मुलाकात के बाद ही वह राजा को रिहा करेगा। पद्मावती को पाने की सनक उसके सिर चढ़कर बोलती है। लेकिन पद्मावती भी दावा करती है कि अलाउद्दीन को क्षत्राणी रानी पद्मावती तो क्या.. उसकी परछाई भी नसीब नहीं होगी।

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भंसाली की फिल्मों का अंदाज
इंटरवल के बाद फिल्म में रानी पद्मावती की राजनीतिक समझ बूझ को दिखाते हुए कहानी को आगे बढ़ाया गया है, जो देखने के बाद आप समझ पाएंगे। यदि आपने संजय लीला भंसाली की पिछली फिल्में देखी हैं तो आपको कहीं ना कहीं यहां दोहराव मिलेगा। तीन घंटें की इस फिल्म में आपको किसी किरदार से जुड़ाव महसूस नहीं होगा। ना दुख, ना खुशी, ना अफसोस, ना प्यार...। फिल्म देखकर इनमें से कोई भी भाव टिककर नहीं आता। फिल्म में रणभूमि के सीन जिस धमक के साथ दिखाए गए हैं, वह अद्भुत है। फिल्म के क्लाईमैक्स को शानदार तरीके से दिखाया गया है। जब मेवाड़ की सभी औरतें रानी पद्मावती समेत जौहर करने की तैयारी कर रही होती हैं तो देखने वाले दिल थाम लेते हैं।

दीपिका पादुकोण की अदाकरी
रानी पद्मावती के किरदार में दीपिका पादुकोण बहुत ही ग्रेसफुल लग रही हैं और ये सिर्फ अपने चेहरे से ही नहीं, बल्कि चाल-ढाल से भी वह दिखाने में सफल रही हैं। दीपिका के खूबसूरत चेहरे और राजपूती शान से भरी दमदार आंखों के सिवाय शायद ही उनके शरीर का कोई अंग हो, जिस पर दर्शकों का ध्यान जाए। घूमर डांस में पहले दिखाई गई कमर को भी डिजिटली ढक दिया गया है और यह फर्क आंखों को महसूस भी नहीं होता।

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शाहिद कपूर बनाम रणवीर सिंह
वहीं, शालीन लेकिन कठोर राजा महारावल रतन सिंह के किरदार में शाहिद कपूर भी अच्छी कोशिश करते दिखे हैं। लेकिन, पूरी फिल्म जिसके इर्द-गिर्द घूमती है, वह है अलाउद्दीन खिलजी। रणवीर सिंह ने इस किरदार को जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी इसके डायलॉग हैं जो राजपूती विरासत के प्रति सम्मान ही बढ़ाते है।

तकनीकी पक्ष के भी क्या कहने
फिल्म में भंसाली का जबरदस्त डायरेक्शन तो है ही। वहीं, फिल्म की भव्यता को चार-चांद इसकी एडिटिंग और सिनेमेटोग्राफी जैसी चीजें लगाती हैं। साथ ही कॉस्ट्यूम पर भी जबदस्त काम किया गया है जो फिल्म की भव्यता और बड़ा देता है। अगर आप संजय लीला भंसाली के फैन हैं, कुछ खूबसूरत देखना चाहते हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें।
 

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