कोरोना वायरस की दूसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में हर कोई इसे लेकर काफी डरा और चिंतित है। हाल ही में एक्टर सतीश कौशिक ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के भी प्रभावित होने पर गहरी चिंता जताई।उन्होंने कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था किए जाने की भी आवश्यकता पर जोर दिया है।
13 Apr, 2021 11:26 AMमुंबई: कोरोना वायरस की दूसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में हर कोई इसे लेकर काफी डरा और चिंतित है। हाल ही में एक्टर सतीश कौशिक ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के भी प्रभावित होने पर गहरी चिंता जताई।उन्होंने कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था किए जाने की भी आवश्यकता पर जोर दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि खुद सतीश कौशिक और उनकी 8 साल की बेटी वंशिका को कोविड-19 से जूझ चुके हैं। सीथ की बेटी एक महीने के इलाज के बाद जब से घर लौटी हैं, सतीश कौशिक ये सोचते रहते हैं कि बच्चों को कोरोना होना कितना जोखिम भरा है और कैसे वह इसकी चपेट में आ रहे हैं।सतीश कौशिक ने एक वीडियो शेयर कर सरकार से बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनाने की अपील की है।
सतीश कौशिक ने कहा- 'यह दूसरी लहर है और इस बार बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं। यह एक गंभीर मामला है जिससे हमारी सरकार को निपटना होगा। बच्चों के लिए उचित देखभाल केंद्र और अस्पतालों की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। उन्हें बाल रोग विशेषज्ञों और नर्सों की एक विशेष टीम शामिल करनी चाहिए जो बच्चों को पर्याप्त रूप से संभाल सकें।'
सतीश कौशिक ने आगे कहा-'जब मेरी बेटी वंशिका को अस्पताल के बिस्तर की ज़रूरत थी, तो मैं उसके लिए ये व्यवस्था करने में कामयाब रहा। लेकिन उस अस्पताल में वो सब सुविधाएं नहीं थी जो बच्चों के कोविड 19 संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए होनी चाहिए। बच्चों में मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का पता चल रहा, और वंशिका को भी कई परीक्षणों से गुजरना पड़ा। कौशिक ने आगे ये भी कहा कि, जब हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health infrastructure) की बात आती है, तो हम तुरंत बच्चों के बारे में नहीं सोचते हैं।'
वहीं इस समस्या के समाधान के बारे में बात करते हुए सतीश कौशिक ने कहा- 'हर अस्पताल को तैयार करने की आवश्यकता है। जहां बच्चों के लिए एक वार्ड होना चाहिए और माता-पिता के रहने का भी इंतजाम करना चाहिए। यह एक भयंकर डरावनी स्थिति है जो कि दिन- प्रतिदिन बदतर हो रही हैं। हमें इस समय को लेकर सोचने की जरूरत है।'