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'मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहता..ये थे सतीश कौशिक के आखिरी शब्द, अंतिम पलों में सता रही थी बस बेटी की चिंता

Updated 12 March, 2023 10:45:17 AM

फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक अब इस दुनिया में नहीं रहे। 9 मार्च की सुबह दिग्गज एक्टर इस दुनिया को अलविदा कह गए। सतीश कौशिक का हार्ट अटैक के चलते 60 की उम्र में निधन हो गया। अपने अंतिम समय में वह काफी तकलीफ में थे और अस्पताल के गेट तक पहुंचते ही उन्होंने दम तोड़ दिया था। वहीं, अब उनके मैनेजर ने बताया कि अंतिम समय में उनके मुंह से निकलने वाले आखिरी शब्द क्या थे।

बॉलीवुड तड़का टीम. फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक अब इस दुनिया में नहीं रहे। 9 मार्च की सुबह दिग्गज एक्टर इस दुनिया को अलविदा कह गए। सतीश कौशिक का हार्ट अटैक के चलते 60 की उम्र में निधन हो गया। अपने अंतिम समय में वह काफी तकलीफ में थे और अस्पताल के गेट तक पहुंचते ही उन्होंने दम तोड़ दिया था। वहीं, अब उनके मैनेजर ने बताया कि अंतिम समय में उनके मुंह से निकलने वाले आखिरी शब्द क्या थे।

 


संतोष राय ही वो शख्स थे जो सतीश कौशिक के अंतिम समय में उनके साथ थे। उन्होंने बताया कि सतीश जी को खाने के बाद किसी तरह की एसिडिटी का अनुभव नहीं हुआ, जैसा कि मीडिया में बताया जा रहा है। रात के खाने के तुरंत बाद उन्हें किसी भी तरह की प्रॉब्लम फील नहीं हुई थी।

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रात करीब 8.30 बजे सतीश कौशिक ने डिनर खत्म किया। हमें 9 मार्च को सुबह 8:50 बजे की फ्लाइट से मुंबई लौटना था। उन्होंने कहा, 'संतोष, जल्दी सो जाओ, हमें सुबह की फ्लाइट पकड़नी है।' मैंने कहा, 'ठीक है सर जी।' मैं बगल वाले कमरे में सोने चला गया। 

 


मीडिया से बातचीत में संतोष ने बताया- रात 11 बजे उन्होंने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा, "संतोष, आ जाओ, मुझे अपना वाईफाई पासवर्ड ठीक करने की जरूरत है क्योंकि मैं 'कागज 2' पर कुछ काम करना चाह रहा हूं। उन्होंने रात 11:30 बजे फिल्म देखना शुरू किया और मैंने वापस अपने कमरे में चला गया।"

 

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12:05 बजे उन्होंने जोर-जोर से मेरा नाम पुकारना शुरू कर दिया। मैं दौड़ता हुआ आया और उनसे पूछा, 'क्या हुआ सर? क्यों चिल्ला रहे हो? इसके बजाय आपने मुझे फोन पर कॉल क्यों नहीं किया?' उन्होंने मुझसे कहा, 'सुनो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। प्लीज मुझे डॉक्टर के पास ले चलो।'

 

इसके बाद हम कार में बैठ गए और उन्होंने कहा कि जल्दी हॉस्पिटल चलो, सीने में दर्द बढ़ रहा है। फिर, उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और कहा, "संतोष, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो।" हम आठ मिनट में फोर्टिस अस्पताल पहुंच गए क्योंकि शायद होली की वजह से सड़क खाली थी, लेकिन जब तक हम परिसर में दाखिल हुए, वह बेहोश हो चुके थे। उन्होंने मुझे कार में कुछ और बातें भी बताईं। उन्होंने मुझे पकड़ा और कहा, 'मुझे वंशिका के लिए जीना है। मुझे लगता है मैं नहीं बचूंगा... शशि और वंशिका का ख्याल रखना।' 

Content Writer: suman prajapati

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