आज हम शाहरुख खान और काजोल दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बारे में बातें कर रहे हैं, जो कि सबसे कामयाब और अब तक की सबसे लंबी चलने वाली हिंदी फिल्म है।20 अक्टूबर, 2020 को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’....
08 Oct, 2020 04:24 PMनई दिल्ली। आज हम शाहरुख खान और काजोल दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बारे में बातें कर रहे हैं, जो कि सबसे कामयाब और अब तक की सबसे लंबी चलने वाली हिंदी फिल्म है।20 अक्टूबर, 2020 को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (जिसे प्यार से डीडीएलजे पुकारा जाता है) अपनी रिलीज के 25 साल पूरे कर लेगी। डेब्युटैंट आदित्य चोपड़ा द्वारा लिखी और निर्देशित की गई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे और यह हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में शामिल है। यह अब तक की सबसे लंबे समय तक चलने वाली हिंदी फिल्म भी बन गई है!
25 साल हुए पूरे
डीडीएलजे के 25 साल पूरे करने पर इसके लीड पेयर शाहरुख खान और काजोल ने यूएसए से प्रकाशित पत्रिका मैरी क्लेयर के साथ खास तौर पर बातचीत की, जिसने आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित की गई इस फिल्म को ‘बॉलीवुड की बेस्ट लव स्टोरी’ करार देते हुए इज्जत बख्शी है!
शाहरूख का कहना है ये
एसआरके का कहना है कि राज और सिमरन के लिए ऑन-स्क्रीन जो चीज काम कर गई, बुनियादी तौर पर वह काजोल और मेरी विशुद्ध ऑफ-स्क्रीन दोस्ती थी। यह दोस्ती इतनी ऑर्गैनिक थी कि कैमरे के सामने ऐसे भी क्षण आए, जब लगा ही नहीं कि हम दोनों जरा भी एक्टिंग कर रहे थे। हमने सीन भी प्लान नहीं किए थे। हमने सिर्फ उन्हें सहजता से होने दिया और अगर हमें कोई चीज पसंद नहीं आती थी, तो हम बिना किसी औपचारिकता के बस एक-दूसरे पर जोर-जोर से बरस पड़ते थे।” बात को आगे बढ़ाते हुए काजोल कहती हैं, “मुझे शुरू से आखिर तक स्क्रिप्ट पसंद थी। स्क्रिप्ट में ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जिसके बारे में मुझे सुनाई पड़ा हो कि मैं अजनबीपन महसूस कर रही थी या कुछ अलग सोच रही थी या पूरी तरह से फिल्म को अपना नहीं बना पा रही थी।
छू लिया सभी भारतीयों का दिल
यह जोड़ी आदित्य चोपड़ा की शानदार कहानी को श्रेय देती है, जिसने दुनिया भर के भारतीयों का दिल छू लिया था। शाहरुख खान बताते हैं, “यह दोस्तों का एक समूह था जो बस मैटीरियल का मजा ले रहा था। आदि की दृष्टि इस मामले में ज्यादा साफ थी कि इस मैटीरियल के साथ वह किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इसके जरिए वह क्या कहना चाहते हैं। ईमानदारी की बात तो यह है कि आवाजें हमारी थीं लेकिन शब्द और अहसास पूरी तरह से उनके ही थे।“ काजोल इसमें अपनी राय जोड़ती हैं- “मुझे लगता है कि फिल्म को लिखते वक्त आदि यह दिखाना चाह रहे थे कि हर जगह परिवार ऐसे ही होते हैं। फिल्म इस बारे में थी: दुनिया आपके सामने जो भी पेश करे, उसे अपना लो लेकिन अपनी जड़ों को कभी मत भूलो।
फिल्म की आश्चर्यजनक सफलता का विश्लेषण और चीरफाड़ करते हुए एसआरके कहते हैं कि यह फिल्म उस वक्त आई थी जब दर्शक डीडीएलजे जैसी कहानी तथा मेरी और काजोल जैसी जोड़ियों को अपनाने के लिए पहले से ज्यादा सहज हो रहे थे। ढेर सारे बाहरी फैक्टर्स ने भी फिल्म को कामयाब बनाया: मिसाल के तौर पर एक मॉडर्न रॉम-कॉम की नवीनता और लिबरलाइजेशन।
डीडीएलजे ने तोड़े कई रिकॉर्ड
डीडीएलजे रिकॉर्डतोड़ (उस वक्त के) 10 फिल्मफेयर पुरस्कारों की विजेता रही तथा इस फिल्म ने वैश्विक स्तर पर अक्षरशः बॉलीवुड का चेहरा बदल कर रख दिया था। यह फिल्म 4 करोड़ रुपयों के बजट में बनाई गई थी और इस ब्लॉकबस्टर ने 1995 के दौरान भारत में 89 करोड़ तथा ओवरसीज मार्केट से 13.50 करोड़ रुपए जुटाए थे। इस प्रकार दुनिया भर से कुल 102.50 करोड़ रुपयों का कलेक्शन हुआ था! आज की इन्फ्लेशन के हिसाब से इस कलेक्शन को आंका जाए तो यह भारत से स्तब्धकारी 455 करोड़ और ओवरसीज टेरिटरीज से 69 करोड़ रुपए बैठता है, जो दुनिया भर से अद्भुत 524 करोड़ रुपए कमाने तक जा पहुंचता है!