एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला दुनिया में नहीं रहे उनका अंतिम सफर, पंचतत्व में विलीन सिद्धार्थ शुक्ला.....ये वो शब्द जिसे ना कोई सुनना चाहता था ना ही कोई लिखना लेकिन अब ये शब्द सुनने भी पड़े और लिखने भी पड़े। कहतेहैं नाआप देखते रहते हैं उस अमिट आसमान को लेकिन ना वो चेहरा दिखता है और ना ही वो आवाज सुनाई देती है आज सिद्धार्थ भी उसी दुनिया के चमकते सितारे बन चुके हैं।एक्टर के निधन के बाद उनकी फैमिली के अलावा जिसका नाम जहन में आता है वह शहनाज गिल। 3 सितंबर की दोपहर सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को घर ना ले जाक
04 Sep, 2021 07:50 AMमुंबई: एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला दुनिया में नहीं रहे उनका अंतिम सफर, पंचतत्व में विलीन सिद्धार्थ शुक्ला.....ये वो शब्द जिसे ना कोई सुनना चाहता था ना ही कोई लिखना लेकिन अब ये शब्द सुनने भी पड़े और लिखने भी पड़े। कहतेहैं नाआप देखते रहते हैं उस अमिट आसमान को लेकिन ना वो चेहरा दिखता है और ना ही वो आवाज सुनाई देती है आज सिद्धार्थ भी उसी दुनिया के चमकते सितारे बन चुके हैं।
जब 2 सितंबर की सुबह सिद्धार्थ के निधन की खबर आई तो किसी को विश्वास नहीं हुआ। कौन जानता था कि एक दिन पहले फैमिली के साथ खुलकर हंसने वाला सिद्धार्थ अगली सुबह नहीं देखेगा।
एक्टर के निधन के बाद उनकी फैमिली के अलावा जिसका नाम जहन में आता है वह शहनाज गिल। साल 2019 में सितंबर के महीने ही दोनों पहली बार मिले। शहनाज सिद्धार्थ को अपना सब कुछ मानती थी। जिस शख्स के साथ शहनाज ने घर बसाने के सपने देखे वो उन्हें यूं छोड़ देगा खुद एक्ट्रेस ने भी नहीं सोचा होगा। सिद्धार्थ के निधन के बाद हर कोई शहनाज के बारे में जानना चहता था।
वहीं जब 3 सितंबर की दोपहर सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को घर ना ले जाकर सीधा शमशान घाट ले जाया गया तो शहनाज खुद को रोक न सकी। वह अपने भाई के साथ अपने प्यार और दोस्त ते अंतिम दर्शश करने पहुंची।
इस दौरान वह गाड़ी में रोती-बिलखती हुईं बदहवास दिखीं।श्मशान भूमि पहुंची शहनाज गाड़ी से उतरकर सिद्धार्थ का नाम ले-लेकर बुरी तरह से रोती दिख रही हैं लेकिन आज वो 'हां मोटी' शब्द उन्हें सुननने को नहीं मिले।
सूजी आंखें ,पल- पल बिखरती शहनाज और बुत बन अपने प्यार की चिता को निहारते की एक्ट्रेस की तस्वीरें हर किसी को रुला गईं। ना जाने क्यों आज सिद्धार्थ की अंतिम विदाई में नजर आईं शहनाज को देख शेरशाह फिल्के आखिरी सीन की याद आ गई ।शेरशाह की कहानी को सिद्धार्थ शुक्ला के जाने से सिर्फर एक चीज जोड़ती है और वो है जुदाई।
हाल ही में शेरशाह फिल्म रिलीज हुई थी और इस फिल्म के आखिरी सीन की खूब चर्चा हुई जिसमें कैप्टन विक्रम बत्रा के अंतिम संस्कार में डिपंल चीमा का रोल प्ले कर रहीं कियारा आडवाणी पहुंचती हैं और टूटकर रोती हैं। शुक्रवार को जब शहनाज को देखा तो बरबस ही वो सीन आंखों के सामने ताजा हो गया। हम सिर्फ फिल्म में दर्शाए गए इस भावुक सीन के कारण ही ये बात नहीं कह रहे...और ना ही डिंपल चीमा और शहनाज गिल के बीच किसी तरह की समानता की बात कर रहे हैं लेकिन नियति देखिए शहनाज आज जिंदगी के उसी मोड़ पर खड़ी हैं जिस पर कभी 22 साल पहले डिंपल चीमा खड़ी थीं।
जैसे फिल्म रिलीज से पहले विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा के रिश्ते से दुनिया अनजान थी। ठीक उसी तरह सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का रिश्ता क्या था ये आज तक कोई नहीं जान सका। हर किसी को लगता था कि यहां दोस्ती से बढ़कर कुछ है लेकिन ऑफिशियल तौर पर किसी ने कभी कुछ नहीं कहा। आज उस सीन में फिल्माए गाने का एक एक शब्द शहनाज की स्थिति को ठीक बयां कर रहा है।
जैसे डिंपल चीमा अकेले विक्रम बत्रा की यादों के सहारे जिंदगी काट रही हैं। ठीक उसी तरह अब शहनाज के हिस्से भी उन पलों की बस यादे ही रह गई हैं जो उन्होंने सिद्धार्थ के साथ गुजारे और शायद वो यादें ही शहनाज को हिम्मत देंगीं फिर से उठ खड़ा होने की, फिर से संभल जाने की। संभलना जरूरी भी है क्योंकि यादों के सहारे जिंदगी काटी तो जा सकती है लेकिन जी नहीं जा सकती।