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सिंगर सोना मोहपात्रा का सरकार से आग्रह- लता मंगेशकर जी के संगीत को खराब होने से बचा लो

Updated 13 February, 2022 05:32:07 PM

दिग्गज गायिका 6 फरवरी को इस दुनिया को अलविदा कहकर देश की आंखें नम कर गईं। लता दीदी के निधन से उनके चाहने वालों को बड़ा झटका लगा। हालांकि अब भी उनके फैंस उनकी यादों में खोए हुए हैं। इसी बीच सिंगर सोना मोहपात्रा सुरू की मल्लिका लता मंगेशकर की विरासत को संरक्षित करने की बात की है। सोना का कहना है कि लता जी की विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए।

बॉलीवुड तड़का टीम. दिग्गज गायिका 6 फरवरी को इस दुनिया को अलविदा कहकर देश की आंखें नम कर गईं। लता दीदी के निधन से उनके चाहने वालों को बड़ा झटका लगा। हालांकि अब भी उनके फैंस उनकी यादों में खोए हुए हैं। इसी बीच सिंगर सोना मोहपात्रा 'सुरों की मल्लिका' लता मंगेशकर की विरासत को संरक्षित करने की बात की है। सोना का कहना है कि लता जी की विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए।  

 


सिंगर सोना मोहापात्रा ने 'स्वर कोकिला' को याद करते हुए कहा, “हम लताजी का संगीत सुनकर बड़े हुए हैं। उनकी आवाज में एक ऐसी शक्ति है, जो हर सीमा और भाषा का बंधन तोड़ देती है। यह बात तब ही साबित हो गई थी जब हम सभी उनकी मृत्यु के बाद दुःख में एकजुट हो गए थे... इस तथ्य के बारे में कोई मतभेद नहीं है कि वह वास्तव में मुख्यधारा के संगीत की अग्रणी रोशनी थीं। हमें दुःख के विचार से आगे बढ़ना है और देश व उपमहाद्वीप को प्रेरणा देने वाले जीवन का जश्न मनाना है"।


 


उन्होंने कहा, हालांकि दिवंगत गायिक के योगदान को मापा नहीं जा सकता। लताजी हमें आने वाले कई जन्मों तक प्रेरित करती रहेंगी। मुझे लगता है कि यह न केवल हमारे लिए उनके निधन पर शोक व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि (एक मौका भी) एक स्पष्ट संदेश देने का है, 'हमें उनके संगीत को खराब होने से बचाने के लिए उनकी विरासत को संग्रहीत करने के लिए एक ठोस प्रयास करना चाहिए'। बहुत कुछ करने की जरूरत है क्योंकि लताजी की 36,000 से अधिक गीतों की विरासत को सभी भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए। क्योंकि उनके हर गाने से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।”


 
संरक्षित करने से सोना का मतलब लताजी के गाने की क्लिप्स को सोशल मीडिया पर डालना नहीं है, बल्कि वह कहती हैं कि "भारत में, हम अपने संगीत को ठीक से संग्रहीत नहीं करते हैं। हमारा बहुत सारा संगीत खो रहा है क्योंकि वे एनालॉग रिकॉर्डिंग थे और वे डिजिटल युग में सही ढंग से संरक्षित नहीं हो पाए। नतीजतन, संगीत रिकॉर्डिंग की गुणवत्ता बदल रही है। इसे संग्रहीत करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और धन की आवश्यकता होती है।”

Content Writer: suman prajapati

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