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सुरीली आवाज की मलिका थी सुरैया, जानें उनसे जुडी कुछ अनसुनी बातें

Updated 15 June, 2018 02:08:28 AM

बॉलीवुड में सुरैया को ऐसी गायिका-अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय और जादुई गायकी से लगभग चार दशक तक सिने...

मुंबईः बॉलीवुड में सुरैया को ऐसी गायिका-अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय और जादुई गायकी से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाए रखा। पन्द्रह जून 1929 को पंजाब के गुजरांवाला शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार मे जन्मी सुरैया का रूझान बचपन से ही संगीत की ओर था और वह गायिका बनना चाहती थी। उन्होंने हालांकि किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन संगीत पर उनकी अच्छी पकड़ थी। 

सुरैया अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। सुरैया ने प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के न्यू गल्र्स हाई स्कूल से पूरी की। इसके साथ ही वह घर पर ही कुरान और फारसी की शिक्षा भी लिया करती थी। बतौर बाल कलाकार वर्ष 1937 में उनकी पहली फिल्म ‘उसने सोचा था’ प्रदर्शित हुई। सुरैया को अपना सबसे पहला बड़ा काम अपने चाचा जहूर की मदद से मिला जो उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री मे बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। वर्ष 1941 में स्कूल की छुटियो के दौरान एक बार सुरैया मोहन स्टूडियो में फिल्म‘ ताजमहल‘ की शूटिंग देखने गई। वहां उनकी मुलाकात फिल्म के निर्देशक नानु भाई वकील से हुई, जिन्हें सुरैया में फिल्म इंडस्ट्री का एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया। उन्होंने सुरैया को फिल्म के किरदार ‘मुमताज महल’ के लिए चुन लिया ।

आकाशवाणी के एक कार्यक्रम के दौरान संगीत सम्राट नौशाद ने जब सुरैया को गाते सुना तब वह उनके गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। नौशाद के संगीत निर्देशन मे पहली बार कारदार साहब की फिल्म ‘शारदा’ में सुरैया को गाने का मौका मिला। इस बीच सुरैया को वर्ष 1946 मे महबूब खान की ‘अनमोल घड़ी’ में भी काम करने का मौका मिला। सुरैया ने हालांकि इस फिल्म मे सहअभिनेत्री थी लेकिन फिल्म के एक गाने 'सोचा था क्या क्या हो गया' से वह बतौर गायिका श्रोताओं के बीच अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक सफल रही। 

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