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गरीबी के कारण उस्ताद प्यारेलाल वडाली छोटे होते हुए रासलीला में बनते थे कृष्ण

Updated 11 March, 2018 02:03:12 AM

उस्ताद पुरन चंद वडाली के भाई उस्ताद प्यारेलाल वडाली का शुक्रवार की सुबह अमृतसर में 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपनी आखिरी सांस अमृतसर के फोर्टिस एस्कॉर्ट हास्पिटल में ली। बीमार होने की वजह से उन्हें गुरुवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पंजाबी सूफी भाईयों की जोड़ी ''वडाली ब्रदर्

जालंधरः उस्ताद पुरन चंद वडाली के भाई उस्ताद प्यारेलाल वडाली का शुक्रवार की सुबह अमृतसर में 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपनी आखिरी सांस अमृतसर के फोर्टिस एस्कॉर्ट हास्पिटल में ली। बीमार होने की वजह से उन्हें गुरुवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पंजाबी सूफी भाईयों की जोड़ी 'वडाली ब्रदर्स' के नाम से पहचाने जाते रहे हैं।
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अमृतसर के पास एक छोटे से गांव के रहने वाले वडाली ब्रदर्स दुनियाभर में अपनी गायकी के लिए काफी मशहूर थे। दोनों जालंधर के हरबल्ला मंदिर में परफॉर्म करने शुरू किया था। दोनों भाईयों की जोड़ी काफियां, गज़ल और भजन जैसी कई तरह की गायकी करते थे। जब वह छोटे थे तो गरीबी होने के कारण वे गांव में होने वाली रासलीला में कृष्ण जी का बनते थे। 
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वडाली ब्रदर्स ने बॉलीवुड में 'ए रंगरेज मेरे', 'एक तू ही तू ही' जैसे गाने कई शानदार गाने भी दिये। उनका काफी मशहूर गाना 'तू माने या ना माने' इंटरनेट व लोगों में काफी पसंदीदा है।

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