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यह अन्य दर्द से बिलकुल अलग..18 सालों से इस बीमारी जूझ रहे हैं विक्रम भट्ट, बोले- सामंथा की हिम्मत देखने के बाद इस पर बात कर पाया

Updated 29 November, 2022 11:58:55 AM

1920 और राज जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले विक्रम भट्ट एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में डायरेक्टर ने खुलासा किया कि वह पिछले 18 सालों से एक ऐसी बीमारी का शिकार हैं, जिससे न सिर्फ असर ना सिर्फ मसल्स पर पड़ता है, बल्कि नींद और याददाश्त पर भी पड़ता है। ऐसे में उनके बारे में

बॉलीवुड तड़का टीम. 1920 और राज जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले विक्रम भट्ट एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में डायरेक्टर ने खुलासा किया कि वह पिछले 18 सालों से एक ऐसी बीमारी का शिकार हैं, जिससे न सिर्फ असर ना सिर्फ मसल्स पर पड़ता है, बल्कि नींद और याददाश्त पर भी पड़ता है। ऐसे में उनके बारे में ऐसी जानकारी के बाद उनके फैंस चिंतित हो गए हैं और उनके स्वस्थ होने के लिए दुआएं कर रहे हैं।

Bollywood Tadka

 

विक्रम भट्ट ने हाल ही में इंटरव्यू के दौरान विक्रम भट्ट ने साउथ एक्ट्रेस सामंथा के लिए खास मैसेज दिया और ये भी बताया कि उनकी हिम्मत देखने के बाद ही आज वह अपनी बीमारी के बारे में बात कर पा रहे हैं।

 

विक्रम भट्ट ने बताया कि वह लंबे समय फाइब्रोमायल्गिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। मैं इससे पिछले 18 सालों से जूझ रहा हूं। सामंथा के केस में 'मायोसिस्ट' बीमारी से मसल्स में वीकनेस आती है और मेरी फाइब्रोमाइल्गिया बीमारी में मसल्स में बहुत ज्यादा दर्द होता है, जोकि अन्य दर्द से बिलकुल अलग होता है। जो एक आम इंसान के लिए दर्द भरा नहीं होता, मेरे लिए वह भी बहुत ज्यादा दर्दनाक होता है। इस डिसऑर्डर का कोई तोड़ नहीं है, क्योंकि इसमें आपकी बॉडी आप पर हावी होती है। इस बीमारी में सिर्फ मेडिटेशन और एक अच्छी नींद ही काम आ सकती है। मैं लकी हूं कि मेरे पास एक अच्छा सपोर्ट सिस्टम है, लेकिन ये बहुत कठिन भी है।

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विक्रम भट्ट ने आगे कहा, 'ये बहुत ज्यादा कठिन सफर रहा है, जिसने मुझसे मेरा बहुत कुछ लिया है, लेकिन मुझे मजबूत भी बनाया है। मैं सामंथा तक पहुंचना चाहता हूं और उन्हें ये बात कहना चाहता हूं, जब मैं ये कर सकता हूं, तो आप भी कर सकती हैं। मैं इस बात के लिए बहुत ही ज्यादा खुश हूं कि उन्होंने अपनी बीमारी पर खुलकर बात की। अपनी बीमारी को छुपाना उतना ही मुश्किल है, जितना उस दर्द से लड़ना'।


डायरेक्टर बोले, जब उन्हें इसका पता चला था तो उन्हें ये भी अंदाजा नहीं था कि क्या हो रहा है। शुरुआती चार साल तो मुझे ये ही नहीं पता चला था कि क्या हो रहा है। मुझे डिप्रेशन होने लगा था, सिर दर्द होता होता है। बहुत बार हम सोचते हैं कि ये अलग बीमारी है और हम इसका अलग ही इलाज करते हैं। मेरे एक फिजियोथेरेपी दोस्त ने मुझे फाइब्रोमायल्गिया जैसी बीमारी को समझने में मदद की'।

इस बीमारी से लड़ने का जरिया बताते हुए उन्होंने कहा, 'दो कविताएं ऐसी थीं जिन्होंने मुझे फाइब्रोमायल्गिया से जूझने की हिम्मत दी। पहली हरिवंश राय बच्चन की अग्निपथ और दूसरी इनविक्टस ये वो कविताएं हैं जिन्होंने जेल में नेल्सन मंडेला को जेल में एक उम्मीद की किरण दी थी'। 

Content Writer: suman prajapati

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