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DAMaN Movie Review: देश के हर नागरिक के लिए मिसाल हैं 'दमन' के डॉक्टर सिद्धार्थ

Updated 02 February, 2023 12:24:03 PM

ओडिशा सहित पूरे देश में धमाल मचाने के करीब तीन महीने बाद दमन हिंदी भाषा में भी 3 फरवरी को रिलीज होने को तैयार है।

फिल्म - दमन (DAMaN)
निर्देशक - विशाल मौर्या (Vishal Mourya) , देबी प्रसाद लेंका (Debi Prasad Lenka) 
स्टारकास्ट - बाबूशान मोहंती ( Babushaan Mohanty), दिपनवित दास मोहापात्रा ( Dipanwit Dashmahapatra) 
रेटिंग - 4
DAMaN Movie Review :
ओडिशा सहित पूरे देश में धमाल मचाने के करीब तीन महीने बाद दमन हिंदी भाषा में भी 3 फरवरी को रिलीज होने को तैयार है। यह फिल्म ओडिशा राज्य सरकार की एक स्कीम पर बनी है। जिसकी ओरिजिनल रिलीज को राज्य में पूरी तरह से टैक्स फ्री किया गया था। फिल्म के जबरदस्त परफॉर्मेंस के बाद दर्शक लगातार इसके हिंदी वर्जन की मांग कर रहे थे, जिसका इंतजार अब खत्म होने वाला है। बता दें कि फिल्म के नाम में ही पूरी कहानी छुपी हुई है। DAMaN की फुल फॉर्म है 'दुर्गम अंचलारे मलेरिया निराकरण' (Durgama Anchalare Malaria Nirakaran)। यह ओडिशा सरकार की एक योजना है जिसके तहत आदिवासी इलाकों में मलेरिया के प्रकोप से बचाव किया जाता है। इस फिल्म में बाबूशान मोहंती और दीपनवित दोस मोहापात्रा ने लीड रोल प्ले किया है।

कहानी 
फिल्म की कहानी सिद्धार्थ नाम के लड़के के इर्द गिर्द घूमती है जो हाल ही में भुवनेश्वर से अपनी MBBS की पढ़ाई कम्लीट करता है। सिद्धार्थ की जिंदगी में मुश्किलें तब आती हैं जब उसकी पोस्टिंग न चाहते हुए भी मलकानगिरी जिले के एक छोटे से गांव में हो जाती है। सिद्धार्थ देखता है कि इस गांव में लोगों को बेसिक जरूरतों के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है।

वह एक दिन में ही अपनी नौकरी से तंग आकर रिजाइन करने का मन बना लेता है और वहां से जाने ही वाला होता कि उसके पास गांव का एक व्यक्ति अपनी बीमार बेटी को लेकर आता है। उस लड़की के इलाज के दौरान उसे पता चलता है कि यहां के इलाके में लोग डॉक्टर से ज्यादा देसारी यानी तंत्र-मंत्र और काले जादू पर विश्वास करते हैं। जिसके कारण हर साल वहां कई लोगों की मौत हो जाती है। इसके बाद सिद्धार्थ वहां में रुकने का फैसला कर लेता है। वह देखता कि जंगलों से घिरे इस पूरे क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप बुरी तरह से फैला हुआ है। सिद्धार्थ किस तरह से अपने मकसद में कामयाब हो पाता है ? वह कैसे से तांत्रिकों के चंगुल से आदिवासियों को निकालता है ? और मलेरिया के प्रकोप से बचने के लिए क्या उपाय ढूंढ़ता है ? जैसे अनेक सवालों के जवाब तो आपको फिल्म देखने पर ही पता चलेगें।   

एक्टिंग
डॉ सिद्धार्थ के किरदार को बाबूशान मोहंती ने जीवंत तरीके से पर्दे पर प्रस्तुत किया है। उनके छोटी-छोटी कोशिशें और अथक प्रयासों से वो आदिवासियों के जिस तरह से करीब जाते और उनसे अपनी बात मनवाते है वह दिल छू लेने वाला होता है। फिल्म में उनकी शानदार एक्टिंग ने चार चांद लगाने का काम किया है। वहीं डॉक्टर सद्धार्थ के साथ  कदम से कदम मिलाकर चलने वाले रविन्दर मुरली के रोल को दिपनवित ने बेहतरीन तरीके से निभाया है। 

डायरेक्शन 
विशाल मौर्या और देबी प्रसाद लेंका ने दमन को  बेहतरीन तरीके से डायरेक्ट किया है। फिल्म में पहाड़ी इलाके और आदिवासियों की जमीनीं समस्याओं को सटीकता के साथ दिखाया गया है। सिद्धार्थ के तमाम मुश्किलों के बाद उस इलाके में रुकने का फैसला करना और दीवार पर लिखे इस वाक्य को पढ़ना कि 'स्वयं ईश्वर किसी की सहायता नहीं करता, वह डॉक्टर के रूप में अवतरित होता है' अपनी गलती का एहसास करने जैसे कई दृश्यों ने फिल्म को निखारने का काम करता है। वहीं फिल्म में संगीत भी लाजवाब है। कच्ची मिट्टियों के प्याले... और एकला चलो रे गाना फिल्म में जोश भरने का काम करता है।  

Content Editor: Jyotsna Rawat

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