आज यानी 15 अगस्त को पूरा भारत धूम धाम से अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। ऐसे में इस स्वतंत्रता दिवस, ऐसी कहानियां जरूर देखें जो स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित करती हैं और मानदंडों को चुनौती देती हैं।
15 Aug, 2023 11:48 AMनई दिल्ली। आज यानी 15 अगस्त को पूरा भारत धूम धाम से अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। हर तरफ देशभक्ती के गीतों और राष्ट्रीय धव्ज तिरंगा के साथ लोग गर्व के पलों को महसूस कर रहे हैं। आजादी के इस त्यौहार पर लोग देश के उन वीर जवानों को याद कर रहे हैं, जिनके अमूल्य योगदान से भारत को आजादी मिली।स्वतंत्रता, यह केवल एक शब्द नहीं है। इसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति स्पष्ट रूप से हमारी सोच और जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालती है। क्या हम हठधर्मिता से बंधे हैं, या क्या बिना पूर्वाग्रह के हम आज़ादी से सोच सकते हैं? क्या हमारे विचार वास्तव में स्वतंत्र हैं? इस बारे में जानने के लिए इस स्वतंत्रता दिवस, ऐसी कहानियां जरूर देखें जो स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित करती हैं और मानदंडों को चुनौती देती हैं। 'ओके टाटा बाय बाय ’ से लेकर भावनात्मक नारीवादी कहानी ' तुम्हारी सुलु ' तक ये कथानक भारत के बहुआयामी आख्यानों को प्रज्वलित करते हैं।
1 ) ओके टाटा बाय बाय
यह ज़ी थिएटर टेलीप्ले तब शुरू होता है जब दम्पति मिच और पूजा एक छोटे से गांव में एक यौन कर्मी महिला के जीवन पर फिल्म बनाने पहुंचते हैं. उन्हें जल्द ही पता चलता है कि उस महिला की पहचान अपने पेशे से कहीं ज्यादा है. पूजा को लगता है की ये पेशा महिलाओं के लिए अपमानजनक है लेकिन उसे खुद अपना सामना तब करना पड़ता है जब उससे पूछा जाता है कि क्या वह उन महिलाओं से अलग है जिन्हें वह अपने से कमतर समझती है? क्या वह उस यौन कर्मी महिला से ज्यादा खुश है जो अपनी शर्तों पर जीती है? मिच और पूजा को अपने रिश्ते और जीवन को एक नए सिरे से समझने का मौका मिलता है. टेलीप्ले में गीतिका त्यागी, जिम सरभ और सारिका सिंह शामिल हैं. ईशान त्रिवेदी द्वारा फिल्माया गया और पूर्वा नरेश द्वारा निर्देशित, ये टेलीप्ले 13 अगस्त रविवार को एयरटेल थिएटर, डिश टीवी रंगमन एक्टिव और डी 2 एच रंगमंच एक्टिव पर प्रसारित होगा
2 ) तुम्हारी सुलु
सुलोचना दुबे ( सुलु ) एक गृहिणी है, लेकिन हमेशा बड़े सपने देखती है. अक्सर उसकी जुड़वां बहनें उसका मजाक उड़ाती हैं और उसके माता-पिता भी उसे कमतर समझते हैं. फिर भी वह एक रेडियो जॉकी की नौकरी के लिए आवेदन करने की हिम्मत करती है और इसे हासिल भी करती है. उसका देर रात का शो 'तुम्हारी सुलु' लोकप्रियता प्राप्त करता है और उसकी सहानुभूति और खुशदिली जल्द ही श्रोताओं को अपना कायल बना लेती है. पर यह बात उसके अपने परिवार के भीतर बहुत नाराज़गी पैदा करती है और उसके घरेलू जीवन को जटिल बनाती है. फिल्म बहुत सूक्ष्मता से दिखाती है कि घरेलू दबाव और पारिवारिक प्रोत्साहन की कमी महिलाओं को अपने सपनों का पीछा करने से कैसे रोक लेती है. और कैसे थोड़े से साहस की मदद से , महिलाएं सिर्फ खाना पकाने, सफाई करने और अपने बच्चों की परवरिश के परे भी कुछ हासिल कर सकती हैं। फिल्म में विद्या बालन, नेहा धूपिया, मानव कौल और अभिषेक शर्मा हैं और यह सुरेश त्रिवेणी द्वारा निर्देशित है.
3 ) रंग दे बसंती
क्या छात्रों को सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश में होने वाली घटनाओं से अप्रभावित रहना चाहिए? राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'रंग दे बसंती' ने 2006 में राष्ट्र को याद दिलाया कि हालांकि स्वतंत्रता जीत ली गई है, फिर भी उसका सरंक्षण नागरिकों के हाथ में है. और हर विमर्श में छात्रों को शामिल करना चाहिए क्योंकि उनका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि देश भ्रष्टाचार और हिंसा से कितना मुक्त है. फिल्म ने देश में नागरिक सक्रियता की एक लहर को भी जन्म दिया था. कहानी है युवा नायकों की जो एक देशभक्त पायलट की मौत के लिए जिम्मेदार प्रणालियों को चुनौती देते हैं. स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में अभिनय करते करते वे देश में परिवर्तन लाने के लिए एक क्रांतिकारी मार्ग पर निकल जाते हैं। फिल्म में काम किया है आमिर खान, सिद्धार्थ, आर. माधवन, शर्मन जोशी, अतुल कुलकर्णी, कुणाल कपूर, ऐलिस पैटन, सोहा अली खान, वहीदा रहमान और साइरस साहुकार ने.
4 ) वजाइना मोनोलॉग - भारत संस्करण
1996 में ईव एन्सलर द्वारा मूल रूप से लिखे गए इस उत्तेजक नाटक ने पूरी दुनिया की यात्रा की है और भारत में भी इसका प्रदर्शन किया गया है. यह महिलाओं की यौन स्वायत्तता , सहमति, लैंगिक दुर्व्यवहार, जननांग विकृति, प्रजनन अधिकार, स्वास्थ्य, मासिक धर्म जैसे मुद्दों को विभिन्न जातियों और उम्र की महिलाओं के दृष्टिकोण से संबोधित करने का प्रयास करता है. यह अनसुनी कहानियों और अनकहे मुद्दों पर जन सामान्य का ध्यान वापस लाता है . भारत में, इस तरह का एक नाटक और भी अधिक प्रासंगिक है क्योंकि यह महिलाओं को अपने आप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है. कलाकारों में शामिल हैं सोनाली सचदेव, अवंतिका अकरकर, महाबानो मोदी-कोतवाल , डॉली ठाकोर और जयति भाटिया. कैज़ाद कोतवाल द्वारा निर्देशित, ये नाटक यह अमेज़ॅन प्राइम पर देखने के लिए उपलब्ध है.
5 ) मेरा वो मतलब नहीं था
प्यार एक ऐसी है ताकत है जिसे जितना दफ़्न किया जाए, वह फिर से अपनी उपस्थिति का एहसास करवा ही देता है. राकेश बेदी द्वारा निर्देशित यह नाटक इस तथ्य को संबोधित करता है दो प्रेमियों के ज़रिये जो एक दुसरे को स्कूल में मिले थे। प्रीतम कुमार चोपड़ा और हेमा रॉय को नियति एक बार फिर जीवन की शरद ऋतु में एक साथ लाती है। अपनी बातों और यादों के ज़रिये वे ये जानने की कोशिश करते हैं कि वे क्यों एक साथ नहीं जी सके और क्यों उन्हें उन लोगों से शादी करनी पड़ी जिन्हें वे प्यार नहीं करते थे. नाटक दर्शाता है कि सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत कमजोरियां हमसे वह खुशियां लूटती हैं जिसके हम हकदार हैं. नाटक में अनुपम खेर, और नीना गुप्ता शामिल हैं और देश भर में इसका मंचन किया गया है. जब यह आपके शहर में आये तो इसे ज़रूर देखें.