कहते हैं पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है। आप किसी भी उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। आज तक कई लोगों बड़ी उम्र में पढ़ाई कर मिसाल भी पेश कर चुके हैं। अब ऐसा ही कुछ दिवंगत एक्टर शम्मी कपूर के बेटे आदित्य राज कपूर ने किया है। आदित्य 67 साल की उम्र में ग्रेजुएट हो गए हैं। उन्होंने फिलोसिफी में अपनी ग्रेजुएशन की है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने ग्रेजुएट होने पर बात भी की।
23 Aug, 2023 01:26 PMबॉलीवुड तड़का टीम. कहते हैं पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है। आप किसी भी उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। आज तक कई लोगों बड़ी उम्र में पढ़ाई कर मिसाल भी पेश कर चुके हैं। अब ऐसा ही कुछ दिवंगत एक्टर शम्मी कपूर के बेटे आदित्य राज कपूर ने किया है। आदित्य 67 साल की उम्र में ग्रेजुएट हो गए हैं। उन्होंने फिलोसिफी में अपनी ग्रेजुएशन की है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने ग्रेजुएट होने पर बात भी की।
आदित्य राज कपूर ने ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें इस बात का बहुत देर से एहसास हुआ कि पढ़ाई कितनी जरुरी है, जिसके बाद उनकी बेटी तुलसी ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उन्होंने पढ़ाई की।
मीडिया से बातचीत में आदित्य ने बताया कि उन्होंने फिलॉसिफी में ग्रेजुएशन की डिग्री इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से ली है। उन्होंने कहा- मेरे पास पढ़ाई करने के मौके थे, लेकिन मैंने कभी उनकी तरफ नहीं देखा। इन वर्षों में, मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन यह पर्याप्त नहीं था, जब मैंने अपने अंदर खालीपन महसूस किया तभी मुझे शिक्षा के महत्व का एहसास हुआ।
आदित्य ने बताया कि दो हफ्ते पहले मैं 59.67% अंकों के साथ पास हुआ। फिलॉसिपी ऑनर्स में मैं सेकेंड क्लास पास हुआ। ईगनू बहुत सपोर्टिव रहा है। गोवा में उनके रिजनल डायरेक्टर हैं। वो बहुत ही हेल्पफुल हैं। आदित्य ने फिलॉसिपी में मास्टर डिग्री के लिए अपना नामांकन नहीं कराया है।
उन्होंने आगे कहा- उनकी इस उपलब्धि से उनकी फैमिली बेहद खुश और एक्साइटेड हैं। मैंने ये अपनी मां गीता बाली के लिए किया है। ये सब मेरे गुरु का प्रभाव है। मेरे गुरु- भोले बाबा। वह चाहते थे मैं अलग बनूं, तो मैं बन गया।
आदित्य ने बताया कि उन्होंने 61 साल की उम्र में दोबारा पढ़ाई करना शुरू किया। इस उम्र में उन्हें कॉमर्स या बिजनेस की डिग्री की जरुरत नहीं थी। भूगोल में दिलचस्पी नहीं थी। विषय के चुनाव के बारे में आदित्य ने कहा- पिछले कुछ वर्षों में अस्तित्व में बने रहने के मेरे संघर्ष में जिस चीज ने मुझे हमेशा आकर्षित किया है, वह है 'मनुष्य का विचार'। मनुष्य वैसा क्यों सोचता है जैसा वह सोचता है? उसे क्या सोचने पर मजबूर करता है? यह और मेरा आध्यात्मिक अनुभव मुझे दर्शन के द्वार तक ले गया।