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पैदा होते ही अनाथालय छोड़ आए थे पिता, जानें मीना कुमारी के ऐसे ही अनसुने किस्से

Updated 31 March, 2017 01:10:45 PM

बॉलीवुड अभिनेत्री मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने अपनी कामयाबी का एक नायाब...

मुंबई: बॉलीवुड अभिनेत्री मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने अपनी कामयाबी का एक नायाब इतिहास रचा। लेकिन उनकी जिंदगी काफी दर्द भरी रही जिसकी वजह से उन्हें ट्रेजिडी क्वीन भी कहा जाता था। लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे किस्से हैं जो शायद अभी भी बहुत लोग नहीं जानते होंगे। आज उन्हें इस दुनिया से गए 45 साल हो गए हैं। मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर एक नजर उनसे जुड़े कुछ किस्सों पर

अपने दमदार और संजीदा अभिनय से सिने प्रेमियों के दिलों पर छा जाने वाली ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी को उनके पिता अनाथालय छोड़ आये थे। एक अगस्त 1932 का दिन था। मुंबई में एक क्लीनिक के बाहर मास्टर अली बक्श नाम के एक शख्स बड़ी बेसब्री से अपनी तीसरी औलाद के जन्म का इंतजार कर रहे थे। दो बेटियों के जन्म लेने के बाद वह इस बात की दुआ कर रहे थे कि अल्लाह इस बार बेटे का मुंह दिखा दे।

तभी अचानक अंदर से बेटी होने की खबर आयी तो वह माथा पकड़ कर बैठ गये। मास्टर अली बख्श ने तय किया कि वह बच्ची को घर नहीं ले जायेंगे और वह बच्ची को अनाथालय छोड़ आये लेकिन बाद में उनकी पत्नी के आंसुओं ने बच्ची को अनाथालय से घर लाने के लिये उन्हें मजबूर कर दिया। बच्ची का चांद सा माथा देखकर उसकी मां ने उसका नाम रखा ..माहजबीं ..। बाद में यही माहजबीं फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी के नाम से मशहूर हुयी। वर्ष 1939 मे बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी को विजय भटृ की ..लेदरफेस.. मे काम करने का मौका मिला। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी को विजय भटृ के निर्देशन मे ही बैजू बावरा मे काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गयी। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ शादी कर ली। 

वर्ष 1962 मीना कुमारी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी ‘आरती‘, ‘मैं चुप रहूंगी’ और ‘साहिब बीबी और गुलाम’ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी। इसके साथ हीं इन फिल्मों के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामित की गयी। यह फिल्म फेयर के इतिहास मे पहला ऐसा मौका था जहां एक अभिनेत्री को फिल्म फेयर के तीन नामांकण मिले थे। वर्ष 1964 मे मीना कुमारी और कमाल अमरोही की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गयी। इसके बाद मीना कुमारी और कमाल अमरोही अलग अलग रहने लगे। कमाल अमरोही की फिल्म ..पाकीजा ..के निर्माण मे लगभग चौदह वर्ष लग गये। कमाल अमरोही से अलग होने के बावजूद मीना कुमारी ने शूटिंग जारी रखी क्योंकि उनका मानना था कि पाकीजा जैसी फिल्मों मे काम करने का मौका बार बार नहीं मिल पाता है। मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय के लिये चार बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया। 

मीना कुमारी के करियर की अन्य उल्लेखनीय फिल्में है..आजाद, एक हीं रास्ता, यहूदी, दिल अपना और प्रीत पराई, कोहीनूर, दिल एक मंदिर, चित्रलेखा, फूल और पत्थर, बहू बेगम, शारदा, बंदिश, भींगी रात, जवाब, दुश्मन आदि। इन फिल्मों में उन्होंने बहुत सुंदर किरदार निभाया। 
 

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