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'घूमर' की सफलता के बाद सैयामी खेर विकलांगता कल्याण के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) से जुड़ीं

Updated 20 September, 2023 02:13:41 PM

सैयामी खेर, जो सिनेमा में अपनी प्रभावशाली भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं, विकलांग लोगों के समावेश के आंदोलन में अपनी आवाज़ देने के लिए आगे बढ़ी हैं।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सैयामी खेर, जो सिनेमा में अपनी प्रभावशाली भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं, विकलांग लोगों के समावेश के आंदोलन में अपनी आवाज़ देने के लिए आगे बढ़ी हैं। अपनी हालिया फिल्म 'घूमर' से प्रेरणा लेते हुए, जिसमें उन्होंने एक शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेटर का किरदार निभाया था, सैयामी आगामी ज़ीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस में एक प्रतिष्ठित दर्शकों को संबोधित करने के लिए तैयार हैं, जो संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध है। 

दिल्ली में आयोजित होने वाला सम्मेलन, भारत और दुनिया भर के प्रतिष्ठित स्टेकहोल्डर, पॉलिसी निर्माताओं, इनफ्लूएंसर्स और विकलांगता अधिकारों के चैंपियनों को एक साथ लाने वाले एक गतिशील मंच के रूप में काम करेगा। आकर्षक पैनल चर्चाओं, इंटरैक्टिव वर्कशॉप और ज्ञान-साझाकरण सेशन की एक सिरीज़ के माध्यम से, यह कार्यक्रम नए विचारों को जगाने, रणनीतिक गठबंधन बनाने और अधिक समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में योग्य समाधानों को प्रज्वलित करने के लिए तैयार है। 

दिल्ली में अपने संबोधन के बाद, सैयामी खेर अगले साल की शुरुआत में वियना में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में अपनी बात अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाएगी। विकलांगता समावेशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता जीरो प्रोजेक्ट के मूल्यों और मिशन के साथ गहराई से मेल खाती है, जो वैश्विक स्तर पर विकलांग लोगों के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समर्पित एक पहल है। 

'घूमर' में शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेटर के किरदार को निभाने वाले सैयामी ने न केवल आलोचनात्मक प्रशंसा हासिल की है, बल्कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और समावेशन के लिए गहरी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता भी जगाई है। इस आंदोलन में उनकी भागीदारी दुनिया भर के दर्शकों को प्रेरित और सशक्त बनाने के लिए तैयार है। 

सैयामी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, "घूमर कई मायनों में मेरे लिए एक बहुत ही परिवर्तनकारी फिल्म रही है। मैंने पैरा एथलीटों के साथ बहुत समय बिताया और कड़ी मेहनत के बहुत सारे सबक सीखे। मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्हे किसी की सहानुभूति की जरूरत नहीं है, लेकिन समय की यह मांग है कि हर तरह से उनका समावेशन हो। हमें ज़ीरो बाधाओं वाली दुनिया में रहने की जरूरत है और दिल्ली में और बाद में वियना में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में सम्मेलन को संबोधित करने के लिए मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं।'

Content Editor: Jyotsna Rawat

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