हर साल 26 जुलाई को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं
26 Jul, 2019 10:59 AMतड़का टीम। हर साल 26 जुलाई को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग में शामिल है। सेना के इसी त्याग और बलिदान की कहानी को दर्शकों के बीच लाने के लिए भारतीय सिनेमा में कई फ़िल्में बनी, लेकिन JP दत्ता की फिल्म LOC कारगिल इन सबमें सबसे ऊपर गिनी जाती है। जो 2003 में रिलीज हुई थी। आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर जानिये फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट बारे में, साथ ही एक नजर उन सितारों पर भी जिन्होंने इंडियन आर्मी के उन जवानों के किरदारों को पर्दे पर ज़िंदा किया, जो कारगिल के हीरो थे। कारगिल का हिस्सा रहे हर जवान को हमारा सलाम। जय हिंद।
LOC कारगिल के रीयल और रील हीरोज-
फिल्म से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट-
फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ में लीड एक्टर्स को छोड़कर सारे रोल असली सैनिकों ने अदा किए थे.
फिल्म के लिए रक्षा मंत्रालय ने बंदूकें, हथियार, उपकरण और सैनिक मुहैया करवाए थे। किसी भी नकली हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
फिल्म में कोई जूनियर आर्टिस्ट या एक्टर , फौजी के रोल में नहीं था।
गोरखा रेजीमेंट और जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स के असली सैनिकों ने फिल्म में अभिनय किया हैं।
फिल्म में सभी कपड़ों का डिजाइन JP दत्ता की पत्नी बिंदिया दत्ता ने किया है।
JP दत्ता फिल्म बनाने से पहले लगभग 26 कारगिल शहीदों के परिवार से मिले थे।
फिल्म को लेकर जुनून का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि JP दत्ता के पास कारगिल युद्ध से जुड़े खुद के लिखे लगभग 200 नोटबुक थे।
फिल्म में काम करने वाले सभी कलाकारों का यही मानना था कि उनको ऐसा लगता है जैसे एक साथ 5 फिल्मों में काम कर रहे हों।
LOC कारगिल और मेरा नाम जोकर फिल्मी इतिहास की सबसे लम्बी फिल्मों में से एक है। LOC कारगिल का रनिंग टाइम 4 घंटे 15 मिनट है।
फिल्म के लिए 32 एक्टर, 55 कैमरा क्रू, 1000 जवान, 150 लोगों की मुंबई से आई क्रू और इन सबकी मदद करने के लिए 200 लोग लगे थे। जो पहाड़ों पर सामान को ले जाते थे।
फिल्म में इतने उपकरण प्रयोग हुए थे, कि चंडीगढ़ से लेह तक उन्हें ले जाने में एक हफ्ता लग गया था।