मोहम्मद रफी की 43वीं पुण्यतिथि पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं।
31 Jul, 2023 10:19 AMनई दिल्ली। संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी को जिसने सुना हमेशा के लिए उनका दीवाना बन गया। आज भी लोग उनके गानों को सुनना बेहद पसंद करते हैं। अपनी गायकी के लिए मशहूर हुए रफी साहब को 'शंहशाह ए तरन्नुम' भी कहा जाता है। रफी साहब ने गाना गाने की कोई शिक्षा नहीं ली बल्कि एक फकीर को देखकर उन्होंने गाना सीखा। साल 1980 में आज ही के दिन मोहम्मद रफी हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए। आज यानी 31 जुलाई को उनकी 43वीं पुण्यतिथि है, ऐसे में हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनुसने किस्से बताने जा रहे हैं।
मोहम्मद रफी ने कम उम्र में शुरु की गायकी
मोहम्मद रफी ने अपने पूरे करियर में करीब 26 हजार गानों को अपनी आवाज दी है। ये आंकड़े सुनने में भले आसान लग रहे हैं लेकिन यह किसी कारनामे से कम नहीं है। रफी साहब ने 13 साल की उम्र में पहली बार परफॉर्मेंस दी और देखते ही देखते वह संगीत की दुनिया में छा गए। यहां तक कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी रफी साहब के गायिकी को काफी पसंद करते थे।
इस गाने में रो पड़े थे रफी साहब
मोहम्मद रफी ने हर तरह के गाने गाए हैं जिसको सुनकर लोग उनकी गायिकी के मुरीद हो गए। वहीं एक ऐसा भी गाना रहा है जिसे गाते समय रफी साहब भी भावुक हो गए थे। साल 1968 में आई फिल्म 'नीलकमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' को रिकॉर्ड करते समय रफी साहब की आंखों में आंसू आ गए थे। इसके पीछे की वजह उनकी बेटी थी, दरअसल इस सॉन्ग को गाने से एक दिन पहले ही उनकी बेटी की सगाई हुई थी और कुछ दिन में शादी भी होने वाली थी। वहीं इस गाने के बोल ऐसे थे कि रफी साहब भी इसे गाते हुए खुद रोक नहीं पाए और रोने लगे। इस गाने के लिए मोहम्मद रफी को नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।
इन फिल्मों में की एक्टिंग
वैसे तो किशोर कुमार भी बेहतरीन गायक रहे हैं लेकिन मोहम्मद रफी ने उनको भी अपनी आवाज दी है। फिल्मी पर्दे पर किशोर की आवाज के लिए रफी साहब को ही ठीक माना गया। बेहद कम लोग जानते हैं कि रफी साहब ने किशोर कुमार के लिए कुल 11 गाने गाए थे। इसके अलावा गायिकी के उस्ताद रफी साहब ने एक्टिंग में भी अपना हाथ आजमाया था। मोहम्मद रफी 'लैला मजनू' और 'जुगनू' फिल्म में पर्दे पर नजर आए थे।