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MOVIE REVIEW:  '3 स्टोरीज'

Updated 11 March, 2018 10:47:33 AM

तीन अलग- अलग कहानियों को दर्शाने वाली फिल्म ''3 स्टोरीज'' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं। ये तीनों कहानियां मुंबई के एक मध्यम वर्गीय इलाके में बेस्ड हैं। जो कि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अर्जुन मुखर्जी इस मूवी से बतौर डायरैक्टर डेब्यू कर रहे हैं। यह कहानी मुंबई के मायानगर इलाके से शुरू होती ह

मुंबई: तीन अलग- अलग कहानियों को दर्शाने वाली फिल्म '3 स्टोरीज' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं। ये तीनों कहानियां मुंबई के एक मध्यम वर्गीय इलाके में बेस्ड हैं। जो कि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अर्जुन मुखर्जी इस मूवी से बतौर डायरैक्टर डेब्यू कर रहे हैं। यह कहानी मुंबई के मायानगर इलाके से शुरू होती है जहां रहने वाली फ़्लोरी मेंडोंसा (रेणुका शहाणे) को अपना घर बेचना है और उसकी खरीददारी के लिए सुदीप (पुलकित सम्राट) आता है। घर का दाम वैसे तो 20 लाख है लेकिन फ़्लोरी उसे 80 लाख में बेचना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ वर्षा (मसुमेह मखीजा) और शंकर वर्मा (शरमन जोशी) की लव स्टोरी भी चलती रहती है। लेकिन वर्षा की शादी किसी और से हो जाती है। मायानगर इलाके की तीसरी कहानी रिजवान (दधि पांडे) के बेटे सुहेल (अंकित राठी) और मालिनी (आएशा अहमद) की लव स्टोरी है। इन तीनों कहानियों का एक दूसरे से बड़ा गजब नाता होता है।इन सबके बीच लीला (ऋचा चड्ढा) का क्या रोल होता है। यह कहानी का दिलचस्प मोड़ है, जिसके बारे में जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

बता दें कि फिल्म की कहानी काफी सामान्य है लेकिन तीनों कहानियों के बीच डायरैक्टर ने बहुत ही अच्छे तरह से सामंजस्य बिठाया है। फिल्म में रिश्तों के ताने बाने को बखूबी दर्शाने के साथ-साथ बहुत ही शार्प एडिटिंग भी की गई है। फिल्म का स्क्रीनप्ले बढ़िया है और कहानी सुनाने का ढंग अच्छा है। कैमरा वर्क भी अच्छा है। अभिनय के लिहाज से रेणुका शहाणे पूरी तरह से सरप्राइज करते हुए नजर आती हैं।वहीं शरमन जोशी, मसुमेह मखीजा, अंकित राठी, आयशा अहमद के साथ साथ पुलकित सम्राट भी अलग अंदाज में दिखाई देते हैं। पुलकित की अभिनय के हिसाब से यह सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। वहीं अभिनेता दधि पांडे ने इस फिल्म में अंकित राठी के पिता का किरदार बढ़िया निभाया है। ऋचा चड्ढा का छोटा लेकिन सहज अभिनय है।अभिनय के लिहाज से फिल्म अच्छी है।

फिल्म लगभग 1 घंटे 40 मिनट की है लेकिन रफ़्तार काफी धीमी है। जिसे थोड़ा और बेहतर किया जा सकता था। फिल्म की रिलीज से पहले कोई भी गाना अलग से उभरकर सामने नहीं आया है। अगर ऐसा होता तो दिलचस्पी का लेवल और ज्यादा होता। यह एक लो बजट फिल्म है जिसे मार्केटिंग और प्रमोशन के साथ 5 करोड़ में बना लिया गया है। इस फिल्म की अलग तरह की ऑडियंस है। यह टिपिकल मसाला या कमर्शियल फिल्म नहीं है। वर्ड ऑफ़ माउथ की वजह से दर्शक थिएटर तक जा सकेंगे।फिल्म लगभग 350 स्क्रीन्स में रिलीज की जाने वाली है। 
 

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