देश इन दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस संकट के समय में लोगों के मसीहा सोनू सूद बढ़चढ़ कर लोगों की मदद कर रहे हैं। लेकिन इस महामारी के दौर में जो देश का हाल है, उसके सामने कभी-कभी सोनू सूद भी बेबस हो जाते हैं। अब हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर ने कोरोना के इस मंजर पर अपनी भड़ास निकाली है। सोनू ने बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू में कहा कि राजधानी में ऑक्सीजन की कमी है, अस्पताल बेड्स की कमी है और अपने प्रियजनों को खोने का बाद लोग मानसिक आघात से गुजर रहे हैं। ये वायरस की वजह से नहीं
04 May, 2021 03:01 PMबॉलीवुड तड़का टीम. देश इन दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस संकट के समय में लोगों के मसीहा सोनू सूद बढ़चढ़ कर लोगों की मदद कर रहे हैं। लेकिन इस महामारी के दौर में जो देश का हाल है, उसके सामने कभी-कभी सोनू सूद भी बेबस हो जाते हैं। अब हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर ने कोरोना के इस मंजर पर अपनी भड़ास निकाली है।
सोनू ने बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू में कहा कि राजधानी में ऑक्सीजन की कमी है, अस्पताल बेड्स की कमी है और अपने प्रियजनों को खोने का बाद लोग मानसिक आघात से गुजर रहे हैं। ये वायरस की वजह से नहीं बल्कि उपचार में देरी की वजह से हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये सोचकर उनका दिल टूट रहा है आर्थिक और सोशल रिसोर्सेज की कमी की वजह से कम सहुलत वालों को कुछ भी नहीं मिल पा रहा।
एक्टर ने आगे कहा किमेरे पैरेंट्स अब नहीं रहे और कई बार में सोचता हूं कि थैंक गॉड की वो अब नहीं है क्योंकि सोचिए वे हेल्पलेस होते और मैं उनके लिए भागदौड़ कर रहा होता।आप को एक असफल इंसान की तरह फील होता अगर आप अपने प्रियजनों के लिए ऑक्सीजन मुहैया नहीं करवा पाते। आपको लगता कि मैंने जिंदगी में क्या हासिल किया है। मुझे दिल्ली से ऐसे लोगों के कॉल आ रहे हैं। जो बड़े घरों में रह रहे और कहते हैं कि प्लीज हमें एक बेड दिलवा दो।
इतना ही नहीं सोनू ने आगे कहा कि जिनके पास कोई संसाधन नहीं, उनका क्या होगा।उनकी देखभाल कौन करेगा? इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। कम से कम ऑक्सीजन मेरा अधिकार है। एक अस्पताल मेरा अधिकार है। अगर हम कहें कि एक लाख लोग मारे गए हैं, तो कल्पना करें कि अगर हमारे पास एक लाख और बिस्तर होते, तो ये लोग बच जाते, जो लोग मर चुके हैं, वे मरने के लायक नहीं हैं। वे मर रहे हैं क्योंकि उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल रहा है, किस देश में रह रहे हैं हम लोग?