69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित किये जा रहे हैं, जहां स्टार्स अपना सम्मान लेने पहुंच चुके हैं। इसी बीच दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान भी अपना पुरस्कार लेने पहुंची, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें अपने हाथों से दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया। इन खास क्षणों के दौरान वहीदा भावुक हो गई। इस दौरान की उनकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।
17 Oct, 2023 05:35 PMबॉलीवुड तड़का टीम. 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित किये जा रहे हैं, जहां स्टार्स अपना सम्मान लेने पहुंच चुके हैं। इसी बीच दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान भी अपना पुरस्कार लेने पहुंची, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें अपने हाथों से दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया। इन खास क्षणों के दौरान वहीदा भावुक हो गई। इस दौरान की उनकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने हाथों से दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्डस से नवाजा। इस दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए। वहीं, हॉल में मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका सम्मान किया।
अवॉर्ड लेने के बाद वहीदा रहमान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और जूरी मेंबर्स का शुक्रिया अदा किया और कहा- 'मुझे बहुत सम्मानीय महसूस हो रहा है, लेकिन आज जिस भी मुकाम पर मैं खड़ी हूं, यह मेरी प्यारी फिल्म इंडस्ट्री की वजह से है। मुझे किस्मत से बहुत अच्छे टॉप डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स, फिल्म मेकर्स, टेक्नीशियंस, राइटर्स,डायलॉग राइटर्स और म्यूजिक डायरेक्टर्स सबका बहुत सहारा मिला। बहुत इज्जत दी, बहुत प्यार दिया।'
दिग्गज एक्ट्रेस ने आगे कहा, 'आखिर में हेयर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर और मेकअप आर्टिस्ट का भी बड़ा हाथ होता है। इसीलिए यह अवॉर्ड मैं अपने फिल्म इंडस्ट्री के सारे डिपार्टमेंट के साथ शेयर करना चाहती हूं क्योंकि उन्होंने शुरू दिन से मुझे बहुत प्यार दिया, सपोर्ट किया। कोई भी एक अकेला आदमी फिल्म नहीं बना सकता, उन सबको हम सबकी जरूरत होती है।'
वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित होने की बधाई देते हुए कहा, 'उन्होंने अपनी कला और व्यक्तित्व से फिल्म जगत के शिखर पर अपनी जगह बनाई है। उन्होंने फिल्मों में काम करने के लिए कोई दूसरा नाम रखने से इंकार कर दिया था। जबकि उस दौर में नाम बदलकर काम करना चलन था। उन्होंने कई ऐसी फिल्में चुनीं जिनमें उनका रोल महिलाओं से जुड़े बंधनों को तोड़ती थी। वहीदा जी ने मिसाल पेश की है कि वुमन इम्पावरमेंट के लिए खुद महिलाओं को ही पहल करनी चाहिए।'