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‘अमिताभ को मिल रहे हैं लीड रोल’ जेंडर डिसक्रिमिनेशन को लेकर उठे सवाल पर आशा पारेख और तनुजा ने दिया जवाब

Updated 19 April, 2023 11:32:28 AM

आशा पारेख और तनुजा ने इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाली उन चुनौतियों के बारे में बात की जिसका असर उनके करियर पर भी देखने को मिलता है।

मुंबई। बॉलीवुड में जेंडर डिसक्रिमिनेशन को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। यह मुद्दा आज का नहीं बल्कि 80-90 के दशक से चला आ रहा है। अक्सर मेल एक्टर को फीमेल लीड से ज्यादा फीस दी जाती है, हालांकी मेहनत दोनो की बराबर की होती है।

इन चीजों को लेकर कई बॉलीवुड एक्ट्रेस अपनी आवाज उठा चुकि है, इसी के चलते अब बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस आशा पारेख और तनुजा ने भी सवाल खड़े किए हैं। यह एक्ट्रेस अपने जमाने में न सिर्फ अपनी खूबसूरती बल्कि अपनी दमदार एक्टिंग के लिए भी जानी जाती थीं। दोनों ही एक्ट्रेस ने बॉलीवुड को कई हिट और यादगार फिल्में दी हैं।

हाल ही में आशा पारेख और तनुजा ने इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाली उन चुनौतियों के बारे में बात की जिसका असर उनके करियर पर भी देखने को मिलता है। इसी इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने अमिताभ बच्चन को लेकर भी तंज कसा।

आशा और तनुजा ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया है। इस दौरान उनसे इंडस्ट्री में मौजूद दिग्गज एक्टर्स के मौजूदा वक्त में काम लेकर लेकर कई सवाल पूछे गए। इन सवलों पर आशा पारेख ने बड़ी ही बेबाबी से जवाब देते हुए कहा, ‘मिस्टर अमिताभ बच्चन के लिए आज इस उम्र में भी लोग रोल लिख रहे हैं। वहीं, लोग हमारे लिए रोल क्यों नहीं लिख रहे।'

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आशा पारेख ने आगे कहा, ‘हमें भी कुछ ऐसे रोल मिलने चाहिए, जो फिल्म के लिए जरूरी हों, लेकिन ऐसा नहीं है। हम मां या बहन का रोल निभा रहे हैं, लेकिन इसमें किसे दिलचस्पी है।' ऐसे में आशा की बातों का समर्थन करते हुए तनुजा ने कहा, ‘या फिर हमें दादी का राल दिया जाता हैं।'

तनुजा ने आशा की बात को सही बताते हुए उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘आज महिलाओं को यह समझना जरूरी है कि आपके पास कुछ भी करने की क्षमता है। आप अपने आप से यह नहीं कह सकते कि मुझसे नहीं होगा, यह असंभव है।'

उन्होंने कहा, ‘इंडस्ट्री में यह एक ऐसी समस्या है, जो आज भी है और पहले भी थी। एक्टर्स को हमेशा से ज्यादा फीस मिली है। पुरुषों का हमेशा ऊंचा स्थान रहा है। यहां तक कि हॉलीवुड भी ऐसा नहीं कर पाया है... हम लड़कों को दोष नहीं दे सकते। हमने उन्हें शासन करने की शक्ति दी।'

Sub Editor: Diksha Raghuwanshi

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