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बिहार की संस्कृति का प्रतीक है Champaran Mutton, स्पेशल स्क्रीनिंग में रिलीज हुआ ‘सिनेमा ऑफ इंडिया’ कैंपेन का पोस्टर

Updated 28 October, 2023 09:39:39 PM

ऑस्कर जैसे प्रतिष्ठित मंच पर सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली भारत की शॉर्ट फिल्म 'चंपारण मटन' बिहार की पारंपरिकता के साथ-साथ नए बिहार की संस्कृति और चेतना का भी प्रतीक है।

नई दिल्ली। ऑस्कर जैसे प्रतिष्ठित मंच पर सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली भारत की शॉर्ट फिल्म 'चंपारण मटन' बिहार की पारंपरिकता के साथ-साथ नए बिहार की संस्कृति और चेतना का भी प्रतीक है। 24 मिनट की इस फिल्म ने दुनियाभर की ढाई हज़ार फिल्मों में से आखिरी 16 फिल्मों में जगह बनाई थी और अब अगले महीने ये बीजिंग में होने वाले इंटरनेशनल स्टूडेंट फिल्म फेस्टिवल में भी इसे शॉर्टलिस्ट किया गया है। इस फिल्म की सफलता के ज़रिए बिहार का चंपारण, हाल में चर्चित हुई एक नई डिश चंपारण मटन और शॉर्ट फिल्मों के कारण चर्चा में आ गई है।

बिहार की संस्कृति और चेतना का प्रतीक है चंपारण मटन
बिहार सदन में हुए इस आयोजन में बिहार फाउंडेशन ने प्रमुख भूमिका निभाई जो दुनियाभर में फैले बिहार के लोगों को जोड़ने, उनकी बेहतर ब्रांडिंग और बिज़नेस से जुड़े बेहतर अवसर मुहैया कराने के लिए समर्पित बिहार सरकार की एक रजिस्टर्ड संस्था है।              

Bollywood Tadka

इस मौके पर बिहार फाउंडेशन के सीईओ और बिहार के रेज़िडेंट कमिश्नर कम इन्वेस्टमेंट कमिश्नर कुंदन कुमार ने कहा कि "आज ब्रांड बिहार एक नई पहचान कायम कर रहा है और सिनेमा भी उसका एक सशक्त ज़रिया बन रहा है। स्क्रीनिंग में फिल्म के निर्देशक रंजन कुमार और अभिनेत्री फ़लक ख़ान भी शामिल हुए। फिल्म में मुख्य भूमिका पंचायत वेब सीरीज़ फेम चंदन रॉय ने निभाई है, जो पंचायत-3 की शूटिंग में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ सके। ये तीनों ही बिहार से जुड़े कलाकार हैं। 

 

‘चंपारण मटन‘ एक डिप्लोमा फिल्म है, जिसका निर्माण प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे ने किया। फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद इस फिल्म और सिनेमा में ब्रांड बिहार के विषय पर एक परिचर्चा भी हुई। निर्देशक रंजन कुमार ने जहां चंपारण मटन फिल्म के बनने के पीछे की कहानी और चंपारण में मटन के क्रेज़ के बारे में बताया, वहीं मूलत: मुज़फ्फरपुर की रहने वाली फ़लक खान ने बताया कि एक अभिनेत्री के तौर पर बिहार से मुंबई तक का सफर कितना चुनौतीपूर्ण रहा।

 

हिंदी सिनेमा में बिहार के योगदान पर चर्चा करते हुए आशीष के सिंह ने भिखारी ठाकुर के बिदेसिया, गीतकार शैलेंद्र, बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा, निर्देशक प्रकाश झा के  योगदान से लेकर नए दौर के अभिनेता मनोज वाजपेयी, स्व. सुशांत सिंह राजपूत और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों के योगदान को रेखांकित किया और बताया कि इन कलाकारों की बदौलत बिहार ने फिल्म उद्योग में एक मज़बूत और बिलकुल अलग पहचान कायम की है।  

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ये स्क्रीनिंग न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन के ‘सिनेमा ऑफ इंडिया’ (भारत का सिनेमा) कैंपेन का हिस्सा थी, जिसके तहत ऐसी फिल्मों को लोगों के करीब लाने की पहल की जाती है, जो अच्छी हैं, गंभीर हैं, परंतु मुख्य धारा के व्यावसायिक सिनेमा के दबदबे के आगे जिनकी उतनी चर्चा नहीं होती। इस मौके पर ‘सिनेमा ऑफ इंडिया’ का एक पोस्टर भी रिलीज़ किया गया। इस पूरे कार्यक्रम की एक और खास बात रही चंपारण मटन डिश बनाने की पारंपरिक रेसिपी का लाइव डेमो, जिसके बाद दर्शकों को डिनर में भी इसे खाने का मौका मिला।

Content Editor: Varsha Yadav

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