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'हिंदी स्क्रिप्ट नहीं पढ़ पाते..नई पीढ़ी के एक्टर्स पर जावेद अख्तर ने कसा तंज, कहा- उनके लिए रोमन में लिखना पड़ता है

Updated 12 January, 2024 04:36:52 PM

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब हाल ही में उन्होंने नई पीढ़ी के एक्टर्स के बारे में बयान दिया है, जिसे लेकर वे फिर चर्चा में आ गए हैं। गीतकार के मुताबिक, नई पीढ़ी के एक्टर्स को हिंदी नहीं आती, इसलिए रोमन में हिंदी डायलॉग्स लिखने पड़ते हैं। तो आइए जावेद साहब ने और क्या कुछ कहा है।

बॉलीवुड तड़का टीम. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब हाल ही में उन्होंने नई पीढ़ी के एक्टर्स के बारे में बयान दिया है, जिसे लेकर वे फिर चर्चा में आ गए हैं। गीतकार के मुताबिक, नई पीढ़ी के एक्टर्स को हिंदी नहीं आती, इसलिए रोमन में हिंदी डायलॉग्स लिखने पड़ते हैं। तो आइए जावेद साहब ने और क्या कुछ कहा है।


दरअसल, 11 जनवरी को जावेद अख्तर 'हिंदी और उर्दू: सियामीज़ ट्विन्स' सेशन में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'फिल्म इंडस्ट्री में हम नई पीढ़ी के अधिकतर कलाकारों के लिए रोमन (अंग्रेजी) में (हिंदी) डायलॉग्स लिखते हैं, क्योंकि वो इसके अलावा कुछ और नहीं पढ़ सकते।' 

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उन्होंने आगे कहा कि भाषा एक क्षेत्र की होती है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हिंदी और उर्दू का अलगाव स्वीकार किए करीब 200 बरस हो गए लेकिन वह हमेशा एक रही है। पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली कहते थे हम मर जाएंगे लेकिन उर्दू नहीं पढ़ेंगे, हमें अन्य देश (बांग्लादेश) चाहिए। ये 10 करोड़ लोग कौन थे, क्या वे उर्दू बोलते थे?’

जावेद ने कहा, ‘क्या पश्चिम एशिया में अरब उर्दू बोलते हैं ? उर्दू केवल भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है। इसका मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। आप तमिलनाडु जा कर लोगों से कहिए कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है। फिर देखिये, क्या होता है?’ उन्होंने कहा कि हिंदी का इस्तेमाल किया बिना आप उर्दू नहीं बोल सकते। एक फिल्म लेखक होने के नाते वह जानते हैं कि हिंदी या उर्दू के शब्द कब उपयोग करने हैं।

आखिर में गीतकार ने कहा, ‘मैं हिंदुस्तानियों के लिए हिंदुस्तानी लिख रहा हूं। मैं उर्दू वालों और हिंदी वालों के लिए नहीं लिख रहा हूं, मैं हिंदुस्तानियों के लिए लिख रहा हूं। जिस दिन हिंदुस्तानियों की रुचि विकसित हो जाएगी, उस दिन भाषा अपने आप समझ आ जाएगी।’ उन्होंने कहा, 'आप एक प्याज लें और यह देखने के लिए उसकी परतें उतारना शुरू करें कि असली प्याज कहां है। प्याज छिलकों में ही छिपा होता है। इस तरह विभिन्न स्रोतों से शब्द भाषा में शामिल होते रहते हैं और भाषा समृद्ध होती जाती है।'

Content Writer: suman prajapati

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