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ज़ी थिएटर प्रस्तुत करता है, 'कोई बात चले', सीमा पाहवा द्वारा निर्देशित क्लासिक कहानियों की एक श्रृंखला

Updated 10 November, 2022 08:56:19 PM

ज़ी थिएटर का नाम सबसे पहले लिया जाता है जब छोटे परदे के लिए नाटकों के निर्माण और प्रस्तुति की बात आती है. अब ज़ी थिएटर प्रस्तुत कर रहा है   'कोई बात चले',  छह  कहानियों की एक श्रृंखला जिसकी शुरुआत सादत हसन मंटो की कहानी 'टोबा टेक सिंह' और 'हतक' से होगी। कहानियां पढ़ेंगे जाने माने कलाकार मनोज पाहवा और सादिया सिद्दीकी। श्रृंखला में शामिल है हरिशंकर परसाई की 'एक फिल्म कथा',  जो की हिंदी सिनेमा पर एक व्यंग्य कसती हुई एक कहानी है. इसे पढ़ेंगे गोपाल दत्त.  मंटो की 'मम्मद भाई' कहानी है  रॉबिन


श्रृंखला की शुरुआत होगी मंटो द्वारा लिखित 'टोबा टेक सिंह' और 'हतक' से जिन्हें पढ़ेंगे मनोज पाहवा और सादिया सिद्दीकी

ज़ी थिएटर का नाम सबसे पहले लिया जाता है जब छोटे परदे के लिए नाटकों के निर्माण और प्रस्तुति की बात आती है. अब ज़ी थिएटर प्रस्तुत कर रहा है   'कोई बात चले',  छह  कहानियों की एक श्रृंखला जिसकी शुरुआत सादत हसन मंटो की कहानी 'टोबा टेक सिंह' और 'हतक' से होगी। कहानियां पढ़ेंगे जाने माने कलाकार मनोज पाहवा और सादिया सिद्दीकी। श्रृंखला में शामिल है हरिशंकर परसाई की 'एक फिल्म कथा',  जो की हिंदी सिनेमा पर एक व्यंग्य कसती हुई एक कहानी है. इसे पढ़ेंगे गोपाल दत्त.  मंटो की 'मम्मद भाई' कहानी है  रॉबिन हुड जैसे एक चरित्र की  जिसे पढ़ेंगे विनीत सिंह और मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ  'गुल्ली डंडा' और 'ईदगाह' भी श्रृंखला में शामिल हैं  और इन्हें पढ़ेंगे  विवान शाह और विनय पाठक। 
 
अनुभवी अभिनेत्री और निर्देशिका सीमा पाहवा द्वारा निर्देशित,;यह श्रृंखला 19 नवंबर को टाटा प्ले थिएटर और टाटा प्ले मोबाइल ऐप पर शुरू होगी मंटो की 'टोबा टेक सिंह' और 'हतक' के साथ.  
 
शैलजा केजरीवाल, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर - स्पेशल प्रोजेक्ट्स, ZEEL, श्रृंखला के पीछे के मूल विचार को साँझा करती हैं और कहती हैं, "ऐसी कहानियां महान लेखकों को समझने  का अवसर देती हैं और न सिर्फ हमें अतीत के बारे में बताती हैं बल्कि भविष्य को भी परिभाषित करती हैं. ऐसा लेखन हमें जीवन की सूष्म सच्चाइयों और मानवीय भावनाओं  से परिचित करवाता है. इन कहानियों का पाठन शब्दों की सुंदरता को हमारे करीब ले आता है और कहानियां कहने और सुनने के चलन को एक बार फिर से प्रचलित करने का सामर्थ्य रखता है. ये सभी कथाएं कालातीत हैं और युवा दर्शकों के लिए अपनी साहित्यिक विरासत को  खोजने का एक अवसर हैं."  
 
निर्देशक सीमा पाहवा कहती हैं, “मेरा ध्यान न केवल इस बात पर केंद्रित था कि कहानियों को कैसे प्रस्तुत करना है बल्कि इस  पर भी की उन्हें कैसे लिखा गया है।  वो  पल बहुत ही सुन्दर होता है जब एक अभिनेता की आवाज इन कहानियों को जीवंत कर देती है.  मेरा मानना है कि ये कहानियां न केवल अतीत के बारे में हैं बल्कि वर्तमान और शायद भविष्य के बारे में भी हैं। उदाहरण के लिए, 'टोबा टेक सिंह' केवल विभाजन के बारे में नहीं है, बल्कि ये भी जताती है की तब क्या होता है जब नफरत और विभाजन विवेक और शांति पर हावी हो जाते हैं। इसी तरह, 'हतक ' लैंगिक प्रश्नों के बारे में है,   और नारी शक्ति की अजेयता के बारे में भी । ये कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं और इसलिए जरूरी है कि इन्हें नई पीढ़ी को फिर से सुनाया जाए।"
 
अभिनेता मनोज पाहवा कहते हैं, "'टोबा टेक सिंह' ने  मुझे एक बार फिर विभाजन और विस्थापन के आघात की याद दिला दी, जिसे लाखों लोगों ने 1947 में अनुभव किया था।पागल समझे जाने वाले  बिशन सिंह  की पीड़ा जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक मोहरा भर है हर उस नागरिक  की पीड़ा है जिससे उसका घर छिन गया। वो स्वयं को  नो-मैन्स लैंड में पाता है, और असंख्य लोगों को चिन्हित करता है  जिनकी पहचान विभाजन में  खंडित  हो गई थी। मंटो का कटाक्ष भरा अंदाज़ और व्यंग्य कहानी  को एक ख़ास मर्म देता है ।"
 
अपनी कहानी की चर्चा करते हुए, लोकप्रिय अभिनेत्री सादिया सिद्दीकी कहती हैं, "हतक एक सुन्दर दिल वाली सेक्स वर्कर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समाज के हाशिए पर रहती है और एक हवलदार, माधो के साथ भावनात्मक सम्बन्ध बना लेती है। कहानी में मोड़ तब आता है जब एक दिन, सुगंधी अपनी कार में एक अमीर ग्राहक से मिलती है, जो  उसका क्रूरता से  मजाक उड़ाता है और उसे अस्वीकार कर देता है। मुझे सबसे  दिलचस्प  ये बात लगी  कि सुगंधी, इस अपमान से तबाह होने के बावजूद, अपने जीवन का पुनर्मूल्यांकन शुरू करती है और अपने आत्मसम्मान को नहीं खोती ."  

दोनों कहानियों को डिश टीवी और डी2एच रंगमंच और एयरटेल थिएटर पर 27 नवंबर को क्रमशः दोपहर 2 बजे और रात 8 बजे प्रसारित किया जाएगा।

News Editor: Dishant Kumar

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