शास्त्रीय संगीत के पुरोधा और सुरों के रसराज कहे जाने वाले पंडित जसराज का 17 अगस्त को 90 की उम्र में देहांत हो गया। दिल का दौरा पड़ने से अमेरिका में इनकी मौत हुई। इस खबर को सुनकर हर किसी को गहरा सदमा लगा हैं।
20 Aug, 2020 09:25 AMमुंबई: शास्त्रीय संगीत के पुरोधा और सुरों के रसराज कहे जाने वाले पंडित जसराज का 17 अगस्त को 90 की उम्र में देहांत हो गया। दिल का दौरा पड़ने से अमेरिका में इनकी मौत हुई। इस खबर को सुनकर हर किसी को गहरा सदमा लगा हैं।
वहीं बीते दिन ही उनका पार्थिव शरीर अमेरिका के न्यू जर्सी से मुंबई पहुंच गया है। 20 अगस्त को वह पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे। मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा।
पद्म विभूषण (2000) , पद्म भूषण (1990) और पद्मश्री (1975) जैसे सम्मानों से नावाजे जा चुके पंडित जसराज का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा। 90 साल के पंडित जसराज को 21 बंदूकों की सलामी दी जाएगी।
उनकी अंत्येष्टि का सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर लाइव प्रसारण होगा. फेसबुक पर आर्ट एंड आर्टिस्ट्स और दुर्गा जसराज, सांरंग देव, मधुरा जसराज और पंडित जसराज फैंस के पेज पर ये लाइव प्रसारण दोपहर दो बजे से शाम साढ़े चार बजे तक होगा।
बता दें कि 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज मेवाती घराने से जुड़े हुए थेष ये घराना अपने-आप में हिंदुस्तानी संगीत का स्कूल कहलाता है। पंडित जसराज ने अपने घराने की शुद्धता को कायम रखते हुए कई प्रयोग भी किए।
जैसे उन्होंने खयाल गायन में कुछ लचीलेपन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों के तत्वों को जोड़ा। इसके साथ ही उन्होंने जुलगबंदी का एक नया रूप बनाया। पंडित जसराज के परिवार में बेटे सारंग, बेटी दुर्गा, पोते-पोती स्वर शर्मा, अवनि जसराज, मेहरा, ऋषभ देव पंडित और ईश्वरी पंडित हैं।