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Death Anniversary: शहंशाह-ए-गजल मेहंदी हसन की ये 4 गजलें आज भी हैं लोगों की फेवरेट

Updated 13 June, 2023 11:19:18 AM

आज यानी 13 जून को गजलों के शहंशाह मेहदी हसन की डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर हम आपको उनकी लाइफ के कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत में हुए पुलावामा हमले ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद बहुत से पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम मिलना बंद हो गया, हालांकि इसमें कुछ ऐसे कलाकार भी रहे जो अभी भी भारतीय लोगों के दिलों पर राज करते हैं। ऐसे ही महान कलाकारों में से एक थे मेहंदी हसन। मेहंदी हसन की गजलों को आज भी लोग बेहद पसंद करते हैं। आज यानी 13 जून को गजलों के शहंशाह मेहंदी हसन की डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर हम आपको उनकी लाइफ के कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं।  

मेहंदी हसन ऐसे में बने गजलों के शहंशाह
मेहंदी हसन का जन्म 18 जुलाई 1927 को राजस्थान के झुंझनू जिले में हुआ। बचपन से ही उनका झुकाव संगीत की ओर था क्योंकि उनके पिता अजीम खान और चाचा इस्माइल खान इस क्षेत्र में उस्ताद की उपाधि प्राप्त कर चुके थे। मेहंदी हसन को बचपन से ही इसकी शिक्षा मिलनी शुरू हो गई थी। ऐसे में जब मेहंदी हसन 18 साल के हुए तब तक, वह संगीत की दुनिया के मास्टर बन गए थे। वह स्टेज पर भी परफॉर्म करने लगे थे। हालांकि जब वह महज 20 साल के थे तभी भारत -पाकिस्तान के विभाजन के कारण उन्हें पाकिस्तान जाना पड़ा। लेकिन उनके चाहने भारत में भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ऐसे में जब भी उनका भारत आने का मन करता था तो वह यहां आ जाते थे। आज हम आपको उनकी कुछ शानदार गजलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आज भी लोग दीवानों की तरह पसंद करते हैं। 

मेहंदी हसन की मशहूर गजलें 
'रंजिश ही सही'  

'शिकवा न कर, गिला न कर'

 

'रफ्ता रफ्ता'

 

'मुझे तु्म नजर से'

Content Editor: Varsha Yadav

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