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Exclusive Interview: माता-पिता से खुलकर बात करें बच्चे, यही मैसेज दे रही है 'कफस': साहिल संघा

Updated 12 July, 2023 01:05:38 PM

शरमन जोशी, मोना सिंह और डायरेक्टर साहिल संघा ने 'पंजाब केसरी' ग्रुप से की विशेष बातचीत

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नाबालिग बच्चों के प्रति मोलेस्टेशन, यौन उत्पीडऩ जैसे मामले आए दिन सुनने को मिलते हैं। इस घिनौनी हरकत का शिकार सिर्फ लड़कियां ही नहीं, लड़के भी हो रहे हैं। वहीं ऐसी घटनाएं फिल्म जगत में भी होती हैं लेकिन ऐसे मामले ज्यादातर बदनामी के डर, पैसों के दबाव और इंडस्ट्री में टिके रहने की लालसा की वजह से बाहर नहीं आ पाते हैं। इस वजह से लोग मायानगरी की जगमगाती दुनिया के पिंजरे में फंसकर रह जाते हैं। वेब सीरीज 'कफस' फिल्मी दुनिया के ऐसे ही घिनौने चेहरे का पर्दाफाश करती है। पेश है सीरीज की स्टार कास्ट शरमन जोशी और मोना सिंह ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।   

 

(शरमन जोशी)
सवाल- आप दोनों में बहुत सारी सामान्यताएं हैं, ऐसे में कितना आसान हो जाता है साथ में काम करना?  
जवाब-
हम सब जानते हैं कि मोना एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं और वह एक अच्छी इंसान भी हैं। मेरे साथ यह एक अच्छी चीज हुई कि मुझे अपने को एक्टर के नखरे नहीं संभालने पड़े। जब आपके को-एक्टर के साथ आपकी अच्छी बॉन्डिंग होती है तो काम करना आसान और मजेदार हो जाता है।   


सवाल- आप अपने बच्चों को क्या सीख देना चाहेंगे?  
जवाब-
मैं यही कहना चाहूंगा कि खुद के साथ ईमानदार रहो और ऐसे ही तुम अपने साथ न्याय कर पाओगे। रियलिटी चैक जिंदगी में बहुत जरूरी है। अगर फिल्म जगत में जाना है तो और भी ऑप्शन आपके पास होने जरूरी हैं। मैंने भी प्लान बी ऑप्शन रखा है।  

सवाल- कई बार स्टार्स को फिल्म में काफी सीरियस रोल भी करने होते हैं, इसका आपकी रियल लाइफ पर कितना असर पड़ता है? 
जवाब-
मुझे एक बार एक थिएटर डायरैक्टर ने खास सलाह दी थी और कहा था कि तुमने अब तक जितने भी किरदार निभाए हैं, उसे भूल जाओ और फ्रैश होकर आओ। यह तुम्हारे लिए ही फायदेमंद होगा। तभी से मैं यही कोशिश करता हूं कि मैं अपने किरदार को फिल्म के सैट पर ही छोड़ दूं क्योंकि यह मेरे काम और मेरी सेहत के लिए सही है। होता यूं है कि जब आप किसी किरदार को जी-जान से निभाते हो तो, उसे अपने अंदर से निकालना बेहद मुश्किल हो जाता है। एक एक्टर के लिए यह बिल्कुल आसान नहीं होता लेकिन फिर भी मैं कोशिश जारी रखता हूं।  


(मोना सिंह) 
सवाल- आप कैसा महसूस करते हैं जब आप इस तरह के शानदार प्रोजैक्ट का हिस्सा बनते हैं?  
जवाब-
इस तरह की फिल्मों का हिस्सा बनना हम एक्टर्स के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि कहीं ना कहीं हिंदी सिनेमा का समाज पर गहरा असर पड़ता है। लोग अपने चहेते स्टार्स से प्रेरित होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप इस तरह के सामाजिक मुद्दों को अपनी फिल्मों के जरिए उठाएं। तो बस हमारी कोशिश रहती है कि लोगों के बीच सही विषय को सामने लाएं।   

सवाल- आप अपने किरदार से क्या लेकर गईं?  
जवाब-
मैंने अपने किरदार से यही सीखा कि जो आपके लिए सही है उसके लिए बिना घबराए खड़े रहो। ऐसी लाइफ का क्या फायदा, जहां आप अपने हक के लिए ना लड़ें।   

सवाल- आपके अनुसार एक्टर होने की बेस्ट चीज क्या है? 
जवाब-
हमें ऐसे किरदार को जीने का मौका मिलता है, जो आप कभी सोच भी नहीं सकते। किसी भी एक्टर के लिए एक ही जिंदगी में इतने सारे कैरेक्टर को निभाना बेहद रोमांचक होता है। जिस काम से आपको इतना प्यार है, उससे आप पैसा भी कमा रहे हैं और आपको लोगों का प्यार भी मिल रहा है। एक एक्टर को इससे ज्यादा और क्या चाहिए।  

(डायरेक्टर साहिल संघा  )
सवाल- फिल्म का टाइटल 'कफस' क्यों रखा और ये क्या बताने का प्रयास कर रहा है?  
जवाब-
कफस का मतलब होता है केज, पिंजरा। यह एक ऐसे परिवार की कहानी है जो एक हादसे और एक फैसले की वजह से पिंजरे में फंस जाता है तो कफस चुनने का अर्थ यही है। वहीं, इसको चुनने का दूसरा कारण यह है कि बहुत से लोग हमसे यह सवाल कर सकें क्योंकि बहुत से लोगों को इसका मतलब ही पता नहीं है। कफस शब्द बहुत अलग और अट्रैक्टिव है जिसकी वजह से हमने इसे चुना। आज इतने शोज हैं, इतनी फिल्में हैं... मतलब बहुत सारा कंटैंट है। इतना कुछ है दिखाने के लिए ऐसे में जब मैं अचानक से कफस फैंकू, तो एक बार तो लोग इसका नाम सुनने को लिए रुकेंगे।    

सवाल- इस फिल्म को बनाने का ख्याल आपको कैसे और कहां से आया? 
जवाब-
यह एक फॉर्मेट है यूके में, जिसे डार्क मंथ कहते हैं जिसके राइट्स अपलॉज के पास हैं। मैं अप्लॉज एंटरटेनमैंट के साथ पहले काम कर रहा था तब इसको ढूंढा। जब हमने पहला प्रोजैक्ट खत्म किया तब उन्होंने कहा कि अब हम कफस करते हैं। यह जॉनर पूरा अलग है, इसमें ज्यादा मजा आएगा। सफर वहां से यह शुरू हुआ। मेरी राइटर करण शर्मा से बात हुई। उन्होंने इसका इंडियन वर्जन लिखना शुरू किया। बहुत चैलेंजिंग था क्योंकि जब कोई कहानी ग्लोबल हो तो उसे कल्चरल बनाना ट्रिकी होता है लेकिन करण ने इसे लिखने में बहुत मेहनत की और खूबसूरती से इसे लिखा।    

सवाल- आपके लिए इसकी कास्ट चुनना कितना चैलेंजिंग रहा? 
जवाब-
हां, यह मेरे लिए चैलेंजिंग रहा, खासकर तब जब शो में बच्चे काम कर रहे हों। चाइल्ड एक्टर्स को ढूंढऩा ही अपने आपमें चैलेंज है लेकिन मेरे पास मुकेश छाबड़ा का सपोर्ट था। उन्होंने चाइल्ड एक्टर्स से मिलवाया, तब मैं मिखाइल गांधी से मिला। वह खूबसूरत-मासूम लड़का है जो किरदार में फिट बैठा। उसने स्क्रिप्ट पढ़ी तो उसे भी पसंद आई और कहा कि मुझे यह करना है। सिर्फ मिखाइल ही नहीं, शो के सभी चाइल्ड आर्टिस्ट बहुत टैलेंटिड हैं। मैं भाग्यशाली महसूस करता हूं कि वह मेरे शो का हिस्सा बने। बाकी अगर मैं सीनियर एक्टर की बात करूं तो चाहे फिर वो शरमन हो या मोना, सभी ने बहुत अच्छा और जल्दी काम किया।    

सवाल- कफस से क्या मैसेज जाने वाला है? 
जवाब-
कफस यह मैसेज दे रहा है कि बच्चे अपने माता-पिता से खुलकर बात करें। जैसे शो की शुरुआत में दिखाया गया है कि वह बच्चा अपने माता-पिता के पास आता है और उनसे बिना डरे जो कुछ भी उसके साथ हुआ सबकुछ बताता है । तो हमारा पहला कदम ही लोगों को प्रोत्साहित करना है कि आपके साथ जो भी हो घर आकर सब कुछ शेयर करें।    

सवाल- आज के वक्त में बतौर डायरैक्टर आप किस तरह का कंटैंट बनाना चाहते हैं? 
जवाब-
मेरा पिछला शो एक पारिवारिक सिट-कॉम ड्रामा था, जो नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुआ था। वह कफस से बिल्कुल अलग था तो मैं बहुत अलग-अलग तरह जॉनर के शो बनाना चाहता हूं लेकिन अगर मैं अभी की बात करूं तो मैं ड्रामेटिक, एक्शन पर आधारित शो बनाना पसंद करूंगा।

Content Editor: Varsha Yadav

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