एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को 1 महीना होने जा रहा है लेकिन अब तक यह वजह साफ नहीं हुई है कि एक्टर ने ये कदम क्यों उठाया। सुशांत के सुसाइड के बाद ही ये खबर सामने आई कि वह 6 महीने से डिप्रेशन में थे। वहीं अब एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सुशांत दो बीमारियों पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से परेशान थे। इतना ही नहीं एक्टर 1 हफ्ते के तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती भी रहे थे।
13 Jul, 2020 10:36 AMमुंबई: एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को 1 महीना होने जा रहा है लेकिन अब तक यह वजह साफ नहीं हुई है कि एक्टर ने ये कदम क्यों उठाया। सुशांत के सुसाइड के बाद ही ये खबर सामने आई कि वह 6 महीने से डिप्रेशन में थे। वहीं अब एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सुशांत दो बीमारियों पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से परेशान थे। इतना ही नहीं एक्टर 1 हफ्ते के तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती भी रहे थे।
एक टॉप पुलिस अधिकारी ने एनबीटी को यह जानकारी दी है। इस अधिकारी के अनुसार-'सुशांत केस में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि उनके खिलाफ कोई पेशेवर साजिश हुई है। यह भी साफ हो गया है कि पूरा मामला सुसाइड का है। इसके पीछे की वजह पर भी पुलिस पहुंच चुकी है। रिपोर्ट में लिखा है कि सुशांत पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे और इन बीमारियों का इलाज कराने के लिए देश में लॉकडाउन घोषित होने से पहले एक सप्ताह तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती रहे थे।
इस रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि सुशांत की मां डिप्रेशन से पीड़ित थीं। उनका लंबा इलाज चला था। जब उनकी मौत हुई, तब सुशांत 16 साल के थे। उनकी चार बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी थी और पिता बिहार में ही रहते थे। कुछ गवाहों ने पूछताछ में बताया है कि बॉलीवुड में बिजी होने के बावजूद भी सुशांत अकेलापन महसूस करते थे।
'शक करने लगता है आदमी'
इस अधिकारी के अनुसार, पैरानोया एक शक की बीमारी है। इसमें इंसान को कई बार वक्त लगता है कि हर कोई उससे घृणा कर रहा है। कई बार एकांत में उसे यह भी लगता है कि कोई उसका मर्डर भी करने वाला है। बाइपोलर डिसऑर्डर बीमारी में पीड़ित व्यक्ति की मनोदशा बारी-बारी से विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। कभी वह अचानक से तनाव में आ जाता है, तो कभी उसका आत्मविश्वास एकदम बढ़ जाता है।
इसके बाद फिर से वह एकदम शांत या गुम हो जाता है। इस बीमारी में कई बार व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता। इसके अलावा मशहूर मनोचिकित्सक डॉक्टर हरीश शेट्टी ने कहा-'जैसे दिल के कई मरीज आईसीयू में भर्ती होने के बावजूद ठीक नहीं होते और उनकी मृत्यु हो जाती है, ठीक उसी तरह मेंटल इलनेस के सभी मरीज बचते नहीं हैं। उनमें से कुछ आत्महत्या कर लेते हैं।'