बॉलीवुड के लिए साल 2023 काफी शानदार रहा है। एक के बाद एक अच्छी कहानी से सितारों ने दर्शकों को नवाजा है। 'जवान' से लेकर 'पठान' तक एक से एक अच्छी कहानियां देखने को मिली है।
27 Dec, 2023 05:36 PMनई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड के लिए साल 2023 काफी शानदार रहा है। एक के बाद एक अच्छी कहानी से सितारों ने दर्शकों को नवाजा है। 'जवान' से लेकर 'पठान' तक एक से एक अच्छी कहानियां देखने को मिली है। वहीं, इस साल zee5 ने भी दमदार फिल्मों और वेब सीरिज की पेशकश की। जिनमें से एक लिस्ट जारी है।
1. कड़क सिंह [Kadak singh]
कड़क सिंह पंकज त्रिपाठी की फिल्म है। अगर आपको थ्रिलर फिल्में पसंद हैं तो आपको इसमें पंकज त्रिपाठी का एक अलग अंदाज देखने को मिलेगा। करीब दो घंटे की यह फिल्म धीरे- धीरे आपको आगोश में लेती है। फिर आप भी कड़क सिंह की तरह हर एक किरदार को शक की नजर से देखने लगते हैं। लेकिन सेकंड हाफ में आकर कहानी थोड़ा उलझ जाती है और क्लाइमैक्स के दौरान आपको चीजों का अंदाजा होने लगता है। बेशक अगर अनिरुद्ध स्क्रिप्ट पर थोड़ी और मेहनत करते, तो शायद दर्शकों और ज्यादा हैरान कर सकते थे।
2. सिर्फ एक बंदा ही काफी है [ Sirf Ek Bandaa Hi Kaafi hai]
मनोज बाजपेयी की ये फिल्म कोर्ट रूम ड्रामा है। ये फिल्म 23 मई, 2023 को एक ऐसी ही फिल्म रिलीज हुई है जो आपका ‘सिनेमाई जादू’ में फिर से भरोसा पैदा कर देगी. फिल्म का नाम है ‘सिर्फ एक ही बंदा काफी है’और ये बंदा है मनोज बाजपेयी। हिंदी सिनेमा में कई फिल्मों में आपने कोर्ट-रूम ड्रामा देखा है, लेकिन ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ इस दर्जे की अभी तक की सबसे मौलिक फिल्म कही जा सकती है. न जोर से चिल्लाता अर्दली और न क्लोजिंग स्पीच पर तालियां बजाते कोर्ट रूम में बैठे लोग. इस फिल्म की कहानी इतनी कसी और इतनी टाइट है कि आपको कहीं भी रुकने, ठहरने का वक्त नहीं मिलेगा और ये बात ओटीटी रिलीज में बेहद अहम हो जाती है।
3. गदर 2 [ Gadar 2 ]
सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' का फैंस को बेसब्री से इंतजार था। इस फिल्म का पहला पार्ट 'गदर' साल 2001 में रिलीज हुआ था। 'गदर 2' की शुरुआत काफी धुआंधार अंदाज में होती है. शुरुआत में नैरेटर नाना पाटेकर आपको तारा सिंह और सकीना की कहानी सुनाते हैं। कैसे तारा को सकीना मिली, उसे सकीना से प्यार हुआ और फिर कैसे अशरफ अली अपनी बेटी को वापस पाकिस्तान ले गया था. छोटे चरणजीत उर्फ जीते को आप एक बार फिर अपनी मां की याद में रोते देखेंगे. 'गदर' के अंत में तारा अपनी सकीना और जीते को पाकिस्तान से वापस भारत ले आया था।
4. किसी का भाई किसी की जान [ Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan]
सलमान खान की ईद के मौके पर रिलीज 'किसी का भाई किसी की जान' साल 2014 में आई तमिल सुपरस्टार अजित कुमार की फिल्म 'वीरम' की रीमेक है। इस फिल्म के नाम की तरह इसके बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। डायरेक्टर फरहाद सामजी 'वीरम' को हिंदी में 'बच्चन पांडे' के नाम से अक्षय कुमार के साथ बनाना चाहते थे। लेकिन बाद में उन्होंने एक दूसरी तमिल फिल्म 'जिगरठंडा' पर 'बच्चन पांडे' बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। फिर फरहाद सामजी ने 'वीरम' की स्क्रिप्ट सलमान को दिखाई, जो उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने इस पर 'कभी ईद कभी दिवाली' टाइटल से फिल्म घोषित कर दी, जो कि आखिरकार अब 'किसी का भाई किसी की जान' के नाम से रिलीज हुई है।
5. मिसेज अंडरकवर [ Mrs undercover]
फिल्म की शुरुआत कोलकाता में एक महिला वकील की दर्दनाक हत्या से होती है, जिसे एक सरफिरे सीरियल किलर ने बाकायदा उसका विडियो बनाकर मारा है। खुद को कॉमनमैन कहने वाला यह हत्यारा अपना मुकाम हासिल करने वाली महिलाओं से खुन्नस रखता है और देश के अलग-अलग शहरों में करीब डेढ़ दर्जन ऐसी महिलाओं की हत्या कर चुका है। उधर फिल्म की नायिका अंडरकवर सीक्रेट एजेंट दुर्गा (राधिका आप्टे) भी कोलकाता में ही रहती है। अनाथालय में पली बढ़ी दुर्गा अपने देश के लिए कुछ करने का ख्वाब लेकर बाकायदा ट्रेनिंग लेकर सीक्रेट फोर्स में भर्ती हुई थी। फिर वह अपने कवर की खातिर कोलकाता के एक बिजनेसमैन से शादी करके गृहस्थी बसा लेती है। उसकी फैमिली में पति, सास-ससुर और एक बेटा है।
6. हड्डी [ Haddi]
'हड्डी' देखकर आप को भी यह यकीन हो जाएगा कि यह किसी फिल्म के सफलता की गारंटी नहीं है। 'हड्डी' एक ऐसी फिल्म है, जो एक परेशान करने वाले मुद्दे पर रोशनी तो डालती है, लेकिन यह अपने मुख्य किरदारों यानी हीरो और विलेन पर बहुत अधिक निर्भर है। जहां कहीं भी कहानी की गहराई में उतरने की बात आती है, यह फिल्म किनारे को छूकर ही आगे बढ़ जाती है और कमजोर पड़ जाती है।
एक क्रूर किन्नर बदले की आग में तप रही है। वह उन लोगों से बदला लेने के मिशन पर है, जिन्होंने उसकी जिंदगी तबाह की है। लेकिन इस किन्नर की खुद की जिंदगी में कई गहरे रहस्य हैं। वह एक संदिग्ध बिजनेस चलाती है, जिससे उसके इस मिशन का भी पर्दाफाश हो सकता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस किन्नर महिला के लीड रोल में हैं। 'Haddi'की कहानी इसी प्लॉट के इर्द-गिर्द घूमती है।
7. घूमर [ Ghoomer]
फिल्म ‘घूमर’ का जो सार है, वही बाल्की के सिनेमा का विस्तार है। उनका सिनेमा लॉजिक का खेल नहीं, उनका खेल मैजिक का है। जादू जो वह अपने किरदारों के इर्द गिर्द रचते हैं। पिता की उम्र के शेफ से मोहब्बत से जिंदगी में चीनी कम नहीं होती बल्कि जीने की मिठास बढ़ती है, वैसे ही जैसे अपने पिता के पिता का रोल करते अभिषेक बच्चन के जीने की कला फिल्म ‘पा’ के बाद शर्तिया बदली होगी। यूं लगता है जैसे अभिषेक बच्चन ने मान लिया है कि वह हिंदी सिनेमा के हाशिये पर जा रहे हैं। उनके हाव भाव अब वैसे ही हैं। बीते साल उनके जन्मदिन पर शुरू हुई इस फिल्म का पहला लुक बीते साल ही मानसून के मौसम में आ गया था। फिल्म जितनी तेजी से बनी, उतनी ही धीमी गति से रिलीज हुई।
8. [दुरंगा] Duranga
'दुरंगा' की कहानी इरा जयकार पटेल (दृष्टि धामी) नामक एक क्राइम ब्रांच अफसर के इर्द-गिर्द घूमती है. इरा का पति समित पटेल (गुलशन देवैया) एक आर्टिस्ट है. उसकी पुलिस अफसर पत्नी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा सके, इसलिए वो अपनी खुशी से परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी निभाता है. लेकिन इरा की जिंदगी में एक ऐसा केस आता है जब उसे लगता है कि उसके पति का कहीं न कहीं उस केस से कनेक्शन है जो उसके अतीत से जुड़ा हुआ है. यह जानकर इरा पूरी तरह से हिल जाती है कि जिस इंसान के साथ वह पिछले 13 साल से रह रही है, वह ऐसा कैसे हो सकता है? दरअसल, एक बूढी़ महिला की उसके घर में हत्या हो जाती है. इस केस की जांच इरा को मिलती है. वहीं, एक पत्रकार विकास सरवदेकर खुलासा करता है कि 17 साल बाद यह हत्या उसी तरह से हुई है, जिस तरह से अभिषेक बन्ने के पिता बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) किया करते थे।
9. द कश्मीर फाइल्स [The kashmir Files]
'द कश्मीर फाइल्स' को रिलीज़ हुए भले ही एक साल बीत गया, लेकिन फिल्म की चर्चा अब तक होती है। हालांकि एक लोगों का एक धड़ा ऐसा भी जो इस फिल्म को बिल्कुल नापसंद करते हैं और उन्होंने इसे एक प्रोपोगेंडा फिल्म बताया था जिसमें कुछ राजनेता भी शामिल थे। इसके लिए विवेक अग्निहोत्री को काफी ट्रोल भी किया गया था, लेकिन हर ट्रोलिंग का जवाब दिया था। फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी ने लीड रोल निभाया था।
10. लॉस्ट [Lost]
दो घंटे 10 मिनट की फिल्म ‘लॉस्ट’ उन निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी की फिल्म है जिन्होंने साल 2016 में फिल्म ‘पिंक’ के जरिये हिंदी सिनेमा में खूब वाहवाही लूटी थी। इसके पहले वह चार पांच चर्चित फिल्में बांग्ला में बना चुके थे। फिल्म ‘लॉस्ट’ अनिरुद्ध की अपनी सी कहानी लगती है। बंगाली सिनेमा से हिंदी सिनेमा में आने वाले निर्देशकों में एक किस्म की धूनी सी रमाए रहने की प्रवृत्ति दिखती है। इनमें से ज्यादातर को ‘भद्रलोक’ का सिनेमा हिंदी में बनाना होता है।