सिनेमा की अच्छी और बुरी दो कैटेगरी तो आपने सुनी होंगी। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, तीसरे सिनेमा के बारे में जिसका नाम है
08 Dec, 2016 05:14 PMलॉस एंजलिस: सिनेमा की अच्छी और बुरी दो कैटेगरी तो आपने सुनी होंगी। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, तीसरे सिनेमा के बारे में जिसका नाम है डिसटर्बिंग सिनेमा। ऐसा सिनेमा, जहां फिल्मों में सेक्शुअलिटी, वॉयलेंस और बर्बरता की भरमार देखने को मिलती है, लेकिन इमोशन्स का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहता। आज हम आपको एेसी ही फिल्मों के बारें में बताएंगे।
फिल्म : एंटीक्राइस्ट (2009)
यह फिल्म डेनमार्क की है और इसके डायरेक्टर लार्स वॉन ट्रायर है। फिल्म सेडनैस से भरी है, जो सीधा आपके सब कॉन्सियस माइंड को क्लिक करेगी। फिल्म में एक कपल के बीच कई वॉयलेंट सेक्शुअल सीन्स को दिखाया गया है जो कि उनके इकलौते बच्चे की डेथ के बाद होते हैं।
फिल्म :ग्रोटेस्क्यू (2009)
यह फिल्म जापान की है और इसके डायरेक्टर कोजी सिरेयसी हैं। फिल्म में एक कपल अपनी पहली डेट पर पागल आदमी के जाल में फंस जाता है। जो उन्हें किडनैप कर बुरी तरह प्रताड़ित करता है।
फिल्म :इन माय स्किन (2002)
इस फिल्म के डायरेक्टर मरीना डे वन का है और यह फ्रांस की है। फिल्म ‘इन माय स्किन’ एक महिला की कहानी है, जो अपनी मानसिक शांति के लिए खुद को हर्ट करती है।
आपको बता दें कि एेसी ही कई फिल्में है जिनका इमोशन्स का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इन फिल्मों के नाम है... फिल्म डैड गर्ल (2008), द ह्यूमन सेंटीपीड (2009), आफ्टरमैथ (2014), नैकरोमेन्टिक (2014), सलो ऑर द 120 डेज ऑफ सदोम (1976), बिगोटन (1991)।